राष्ट्रीय मानव अधिकार कमीशन भारत सरकार के द्वारा आयोजित वाद -विवाद प्रतियोगिता का सेमीफ़ाइनल मुक़ाबला चाणक्य पूरी न्यू दिल्ली में किया गया, जिसमे सेन्ट्रल आर्म्स पुलिस फ़ोर्स BSF, CISF, CRPF, ITBP, AR, RPF, NSG, SSB, के ज़ोनल में प्रथम एवं दूसरा स्थान प्राप्त 64 प्रतिभागियों के बीच सेमीफ़ाइनल कड़ा महामुकाबला हुआ,जिसमे उमरिया जिला के छोटा सा गाँव करही से मि. टेकेश्वर सिंह परस्ते राष्ट्रीय स्तर के मंच पर विषय के विपक्ष में अपने विचार रखते हुये जबरजस्त दलील पेश किया, मि. टेकेश्वर सिंह परस्ते ने निष्कर्ष में कहा भू-मण्डलीकरण के दौर में विकास के मार्ग पर कैंसर का रूप धारण कर चुकी नक्सलवाद समस्या का कारन और कोई नहींबल्कि हम है हमारी दोष पूर्ण नीतियां है, पशुपति से लेकर तिरुपति तक समाज का बड़ा भाग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है तो वही एक वर्ग 5G इंटरनेट WiFi जैसे सुविधाओं से सुशज्जित एसो आराम कि जिंदगी बिता रहा है तो दूसरी और वह शोषित वर्ग रोटी, कपड़ा, मकान जैसे मूलभूत सुविधाओं से वंचित है
अमृत उत्सव मना रहा देश के 75 सालो के बाद भी दलित, शोषित, वंचित वर्ग कल्याणकारी योजनाओं से वंचित है, परस्ते जी ने मणिपुर कि घटना एवं तमिलनाडू के वाचथी ग्राम कि घटना जिसे हाल ही में माननीय उच्च न्यायालय मद्रास ने 31 सालो बाद फैसला सुनाया है जिसमे SP, COLECTOR, DFO सहित 269 लोगों को दोषी करार दिया है, इस घटना में जब उस आदिवासी गांव में कहर भरपाया जा रहा था उस वक्त के खौपनाक मंजर के बीच मानव अधिकार कभी कुंआ में डूबता तो कभी चुल्लू भर पानी में कभी पेड़ से लटकता तो कभी घुटने टेक कर रहम कि भीख मांगता रहा, इसके बाबजूद उत्पात मचाते हुये 18 आदिवासी महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया था जिसमे एक 8 माह कि गर्ववती महिला और 13 वर्षीय मासूम बच्ची शामिल है,
सदन में मौजूद आईएएस, आईपीएस जैसे सीनियर अधिकारियों के साथ -साथ सैकड़ो लोंगो ने सराहना किया, मि.टी एस परस्ते जी ने तरह तरह के मन मोहक दलील एवं हृदयविदारक घटनाओं को बेवाकी से पटल पर रखते हुये सेमीफ़ाइनल मुकाबला जीत कर फाइनल में प्रवेश किया !