राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) फाइनल डिबेट-2023 चाणक्यपुरी न्यू दिल्ली : NN81

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राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) फाइनल डिबेट-2023 चाणक्यपुरी न्यू दिल्ली : NN81

17/12/2023 | December 17, 2023 Last Updated 2023-12-17T05:27:16Z
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 *राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) फाइनल  डिबेट-2023 चाणक्यपुरी न्यू दिल्ली* 


राष्ट्रीय मानव अधिकार कमीशन भारत सरकार के द्वारा आयोजित 28 वां ऑल सेन्ट्रल आर्म्स पुलिस  फोर्स डिबेट कॉम्पटीशन -2023 का फ़ाइनल मुक़ाबला चाणक्य पूरी न्यू दिल्ली में किया गया, जिसमे सेन्ट्रल आर्म्स पुलिस फ़ोर्स  BSF, CISF, CRPF, ITBP, AR, RPF, NSG, SSB, के बीच फाइनल में बहुत ही कड़ा मुक़ाबला हुआ, इस महामुकाबला  में मुख्य रूप से मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष एवं पूर्व माननीय सर्वोच्य न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री अरुण कुमार मिश्रा जी, जनरल सेकेट्रीज (पीएमओ ) सहित दर्जनों सीनियर IAS, IPS, IRS, एवं सीनियर न्यायाधीश, एडवोकेट (सुप्रीम कोर्ट ) मौजूद रहे,फ़ाइनल में कई प्रतिभागियों ने अपने अपने तरीके से बातो को साझा किया किसी इजराइल तो किसी ने NCRB की रिपर्टो के आधार पर बहस किया, तो वही मि. टेकेश्वर सिंह परस्ते जो मध्यप्रदेश के जिला उमरिया  से आते है, इतना बड़ा राष्ट्रीय मंच जहां खुद मानव अधिकार मंचासीन हो का फायदा उठाते हुये हासिये पर मौजूद आदिवासियों का मुद्दा जोर-सोर से उठाते हुये कहा महोदय मै स्वम आदिवासी दलित परिवार से आता हू मैंने अपनी आँखों से देखा है, गरीबी, भुखमरी, लाचारी के आँगन में मानवता को दम तोड़ते हुये, मैंने देखा एक बेटे को बीमार माँ को पीठ में लाद कर घुटनों तक कीचड में चलते हुये, मैंने देखा है गरीबी के दंश झेल रहे परिवार के जच्चा ओर बच्चा को तड़फ -तड़फ कर दम तोड़ते हुये, हम सबने देखा है मध्यप्रदेश के सीधी का पेशाब काण्ड जिसमे दबंगो के द्वारा दलित के मुँह में पेशाब कर पूरी मानव जाती को शर्मसार को किया गया, जैसे बातो को जबरस्त तरीके से पटल पर रखा, परस्ते जी ने धारा प्रवाह बोलते हुये कहा माननीय वन अधिकाराधिनियम 2006 एवं पेसा एक्ट जैसे कानूनों को ताक में रख कर कभी वन प्राणी संरक्षण के नाम पर तो कभी विकास के नाम पर जल जंगल जमीन के पुजारी आदिवासियों के मौलिक अधिकारों को कुचल कर जबरन विस्थापन कर दिया जाता है जिससे आजीवका के साथ -साथ संस्कृति पर भी गहरा प्रभाव है, टेकेश्वर सिंह ने जोर देते हुये मानव अधिकार के सामने कहा की देश के कई हिस्सों से विलुप्त होती हुई जनजातियों को न अधिकार पता होता है न कर्त्तव्य पता होता है तो सिर्फ दो वक्त की रोटी ओर जीवन जीने की लालसा, तब जरुरी हो जाता है अनुच्छेद -13(3)एवं अनुच्छेद --244 में संदर्भित पांचवी अनुसूची को लागू करना ! 


 टेकेश्वर सिंह परस्ते ने NCRB के एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुये बोला की भारतीय जेलों सबसे ज्यादा 70% प्रतिशत विचाराधीन  हासिये पर मौजूद अनुसूचित जाति, जन जाति, पिछड़ा वर्ग के लोग है, जिसमे कई कैदियों को ये भी नहीं पता की किस अपराध बंद है, क्युकी उसके परिवार के लोगों को दो वक्त की रोटी की जुगाड़ करते शाम हो जाता है, जमानत का पैसा वकील का फीस कहा से दे ! टेकेश्वर सिंह परस्ते ने एक दलील में कहा स्वच्छता के सिपाही कहे जाने वाले सफ़ाई कर्मचारी अपने बच्जो को दो वक्त की रोटी दे सके ऐसी जिम्मेदारी निभाते निभाते हर साल सैकड़ो सफ़ाई कर्मचारी सीवर ओर गटर साफ़ करते करते   काल के गाल में समां जाते उनके अधिकारों की कोई बात कौन करेगा, परस्ते जी सुझाव स्वरूप निष्कर्ष में कहा समाज के भटके हुये लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए समाज के बीच समाजस्य्ता स्थापित करने के लिए सिर्फ अधिकार ही नहीं बल्कि मौलिक कर्तव्यों का हो भी जरुरी है आज जरुरत है शिक्षा पद्धति को सरल बनाने आज जरुरत सबका साथ सबका विकास की आज जरुरत है मम-भाव ओर संम-भाव आज जरूरत है मानव अधिकार जैसे समितियों को जनपद स्तर एवं पंचायत तक लेजाने की ताकि चौथी पंक्ति तक मानव अधिकार की आवाज़ पहुंच सके !

एक से बड़ कर मन मोहक दलील  पेश कर विभाग को फाइनल रोलर ट्राफी दिलाने में सफल रहे !