जल स्त्रोतों, बांध, नदी, जलधारा, झरना, जलाश्य, नलकूप, कुआ से घरेलू प्रयोजन को छोडकर सिंचाई,औद्योगिक, व्यावसायिक अन्य प्रयोजन हेतु जल उपयोग प्रतिबंधित : NN81

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जल स्त्रोतों, बांध, नदी, जलधारा, झरना, जलाश्य, नलकूप, कुआ से घरेलू प्रयोजन को छोडकर सिंचाई,औद्योगिक, व्यावसायिक अन्य प्रयोजन हेतु जल उपयोग प्रतिबंधित : NN81

23/03/2024 | March 23, 2024 Last Updated 2024-03-23T05:23:09Z
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 लोकेशन-सीहोर


ब्यूरोचीफ-शुभम राठौर


• *जल स्त्रोतों, बांध, नदी, जलधारा, झरना, जलाश्य, नलकूप, कुआ से घरेलू प्रयोजन को छोडकर सिंचाई,औद्योगिक, व्यावसायिक अन्य प्रयोजन हेतु जल उपयोग प्रतिबंधित*


• *कलेक्टर श्री सिंह ने नलकूप, बोरिंग मशीन बिना अनुमति के प्रवेश एवं खनन करने पर प्रतिबंध*




    जिले में आगामी ग्रीष्मकाल में पेयजल संकट उत्पन्न होने की संभावना को देखते हुये भू-जल संवर्धन के लिए जियोलोजिकल फार्मेशन अनूकुल नही होने तथा जल स्त्रोत में उपलब्ध जल का पेयजल के अतिरिक्त अन्य प्रयोजनों के लिए उपयोग किये जाने और जिले में औसत वर्षा से कम वर्षा होने के कारण ग्रीष्मकाल में पेयजल का संककट उत्पन्न होने को दृष्टिगत रखे हुये लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय के कार्यपालन यंत्री द्वारा जलस्त्रोतों के परीक्षण के आधार पर जिला दण्डाधिकारी को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत कर आगामी ग्रीष्मकाल में पेयजल संकट को देखते हुये जिले के विकासखण्ड सीहोर, इछावर, आष्टा, बुदनी एवं भैरूंदा (तहसील सीहोर, श्यामपुर, आष्टा, जावर, इछावर, रेहटी, शाहगंज एवं बुदनी) में भू-जल संवर्धन के जियोलोजिकल फार्मेशन अनूकुल नही होने, कृषि कार्य हेतु अत्याधिक भू-जल दोहन होने व रबी फसल के दौरान मावट नही होने से नलकूपों, हैण्डपम्पों का जल स्तर निरन्तर नीचे गिर रहा है व जल आवक क्षमता कम होती जा रही है। जिससे आगामी ग्रीष्मकाल में पेयजल संकट उत्पन्न होने की संभावना है। कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य द्वारा द्वारा स्थिति का परीक्षण किये जाने पर यह परिलक्षित हुआ है कि जिले के समस्त विकासखण्डों/तहसीलों में वर्तमान जल स्त्रोत में उपलब्ध जल का पेयजल के अतिरिक्त अन्य प्रयोजनों के लिए उपयोग किये जाने पर प्रतिबंध नही लगाया गया तो ग्रीष्मकाल में पेयजल संकट उत्पन्न होने की संभावना है।


 कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री प्रवीण सिंह प्रतिवेदन के आधार पर म.प्र. पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 तथा संशोधन अधिनियम 2002 के अन्तर्गत जिले के विकासखण्ड सीहोर, इछावर, आष्टा, बुदनी एवं भैरूंदा (तहसील सीहोर, श्यामपुर, आष्टा, जावर, इछावर, रेहटी, शाहगंज एवं बुदनी) को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित करता हॅू। और धारा 4 (1) के अन्तर्गत उक्त क्षेत्र के समस्त जल स्त्रोतों, यथा बांध नदी, नहर, जलधारा, झरना, झील, जलाश्य, नाला, बंधान, नलकूप कुआ से किसी भी साधन से घरेलू प्रयोजन व निस्तार को छोडकर सिंचाई या औद्योगिक, व्यावसायिक अथवा किसी अन्य प्रयोजन के लिये (पूर्व से अनुमति प्राप्त को छोडकर) जल उपयोग करने के लिए प्रतिबंधित किया जाता है।


 कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री सिंह ने हैण्डपम्पों, नलकूपों में निरंतर भू-जल गिरावट को दृष्टिगत रखते हुये जिले के विकासखण्ड सीहोर, इछावर, आष्टा, बुदनी एवं भैरूंदा (तहसील सीहोर, श्यामपुर, आष्टा, जावर, इछावर, रेहटी, शाहगंज एवं बुदनी) में अशासकीय व निजी नलकूप खनन करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है। सीहोर जिले की सीमा क्षेत्र में नलकूप, बोरिंग मशीन संबंधित अनुविभागीय दण्डाधिकारी की अनुमति के बिना न तो प्रवेश करेगी (सार्वजनिक सडकों से गुजरने वाली मशीनों को छोडकर) और न ही बिना अनुमति के कोई खनन करेगी। प्रत्येक राजस्व एवं पुलिस अधिकारियों को ऐसी बोरिंग मशीने जो अवैध रूप से जिले में प्रतिबंधित स्थानों पर प्रवेश करेगी अथवा नलकूप खनन/बोरिंग का प्रयास कर रही मशीनों को जप्त कर पुलिस एफ.आई.आर दर्ज कराने का अधिकार होगा। आदेश का उल्लंघन करने पर म.प्र. पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 09 के अनुसार दो वर्ष तक के कारावास या दो हजार रूपये जुर्माना या दोनों से दण्डित करने का प्रावधान है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होकर 31 जुलाई 2024 तक प्रभावशील रहेगा।