मुनि संघ का नेमि नगर में प्रवेश और मंगल विहार किया, हाटपिपल्या पहुंचेगा मुनि संघ ।
पाठशाला में जाने वाले बच्चे निश्चित संस्कारित होगें-- मुनि सागर महाराज
रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर एमपी
आष्टा।परम पूज्य वात्सल्य रत्नाकर समाधि सम्राट मुनिश्री भूतबलि सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि मौन सागर महाराज, मुनि सागर महाराज एवं मुक्ति सागर महाराज ने रविवार को सुबह श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर से रवाना होकर श्री नेमिनाथ मंदिर नेमि नगर साईं कॉलोनी पहुंचे और शाम को वहां से हाटपिपल्या के लिए मंगल विहार किया।
समाज के बच्चों द्वारा दिव्यघोष तथा मुनि संघ का जयकारा लगाते हुए नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए किला मंदिर से नेमिनाथ मंदिर पहुंचे और वहां पर मुनि सागर महाराज ने शाम को मंगल विहार के पूर्व कहा कि समय के साथ समझ से काम करें।भाव का महत्व है। जैसे ही सूर्योदय होता है अंधकार का नाश हो जाता है। समाज के नरेन्द्र गंगवाल ने मुनि श्री के आशीष वचन की जानकारी देते हुए बताया कि गुरु मिलना अलग बात है और सतगुरु मिलना अलग बात है। अपने को रास्ता दिखाने वाले ह्रदय को स्वच्छ कराने वाले सदगुरु होते हैं। गुरु का हमें भी अभाव हो गया। चार साल में जैन समाज के अनेक अनुभवी चले गए, लेकिन उनके द्वारा दी गई शिक्षा, दीक्षा है उसका लाभ मिलता रहेगा।
पंचम काल है।जो धर्म से नहीं जुड़े थे,वह नेमिनाथ मंदिर बनने के बाद धर्म और गुरु से जुड़े हैं। मुनि सागर महाराज ने कहा ज्ञान से हम व्यक्ति को धर्म से जोड़ सकते हैं। धर्म सभा में शामिल होने पर ज्ञान बढ़ेगा। स्वाध्याय नित्य करें, स्वाध्याय से कल्याण होगा। पाठशाला में बच्चों को संस्कार हेतु अवश्य भेजें। कल्याण की भावना रखें। मनमानी नहीं करें दिन में शादी करें, रात्रि भोजन नहीं कराना चाहिए। नेमि नगर से मुनिश्री मौन सागर महाराज का कदम -कदम पर पग प्रक्षालन किया गया। मुनि संघ के मंगल विहार में समाज के काफी संख्या में श्रावक -श्राविकाएं शामिल थे।