सत्संग की आधी घड़ी तप के वर्ष हजार तो भी बराबर है नहीं कहे कबीर विचार : NN81

Notification

×

Iklan

सत्संग की आधी घड़ी तप के वर्ष हजार तो भी बराबर है नहीं कहे कबीर विचार : NN81

07/04/2024 | April 07, 2024 Last Updated 2024-04-07T14:48:05Z
    Share on

 सत्संग की आधी घड़ी तप के वर्ष हजार तो भी बराबर है नहीं कहे कबीर विचार



 जिला गुना से गोलू सेन की रिपोर्ट




अशोक नगर कबीर साहिब जी का सिर्फ दो लाइन का ये दोहा बहुत बड़ी सत्संग की महिमा बताता है । संतो ने सत्संग को मोक्ष की धारा कहा है पर हम बिना तत्वदर्शी संत के मोक्ष की धारा प्राप्त नहीं कर सकते । तत्वदर्शी संत का सत्संग हमें इस संसार रूपी भवसागर से पार लगा सकता है क्यों की सत्संग से ही हमें पता चलता है की मनुष्य जीवन कितना अनमोल है और यह क्यों मिलता है । कहा जाता है कि देवता भी मनुष्य जीवन के लिए तराशते हैं क्यों की मनुष्य जीवन एक ऐसा साधन है जिससे हम मोक्ष प्राप्त कर सकते है ।

वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज ही वह तत्वदर्शी संत है और संत रामपाल जी महाराज ही यथार्थ सत्संग कर रहे है आज भारत और अन्य कई देशों में  जगह जगह जा कर संत रामपाल की महाराज जी के शिष्य LCD के मध्यम से उनके सत्संग प्रसारित कर रहे हैं ऐसा ही जिला अशोक नगर के ग्राम पीलीघाट में दिनांक 07/04/2024 को देखने मिला जहां LCD के मध्यम से संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुनने को मिला सत्संग प्रवचनो का लाभ लेने के लिए कई सैकड़ों में श्रद्धालु सत्संग सुनने पहुंचे । सत्संग में संत रामपाल जी महाराज ने बताया की मनुष्य का जन्म मरण क्यों होता है ? परमात्मा साकार है या निराकार ? तत्वदर्शी संत की क्या पहचान है ? सत्संग में चाय और बिस्कुट का भी प्रबंध किया गया था सारे श्रद्धालुओं ने सत्संग के बाद लाइन से चाय और बिस्कुट लिया । सत्संग में मौजूद कुछ भक्तों ने बताया कि संत रामपाल जी महाराज सारे समाज को सत भक्ति देकर मोक्ष देने के लिए आए हैं उनसे नाम दीक्षा लेकर सत भक्ति प्राप्त करें तथा अपने और अपने परिवार को एक सही रास्ता दिखाएं संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने से पहले कुछ नियम बताए जाते हैं जिनको आखरी सांस तक पालन करना होता है जैसे कोई भी नशीली वस्तु का सेवन करना तो दूर किसी को लाकर भी नहीं देना है, चोरी जारी भ्रष्टाचार और दहेज ना लेना है ना देना है, ऐसे ही कुछ नियम जिनको करने से हमें मोक्ष मिल सकता है तथा हम वहां सदा के लिए जा सकते हैं जहां ना मृत्यु होती है ना जन्म और वहां सुख ही सुख है दुख नहीं है जिसका नाम है 'सतलोक'

सत्संग में उपस्थित सेवादार भक्त तिलक दास, संजू दास, अमोल दास, रामनारायण दास, दिनेश दास, आदि