महतारी वंदन योजना ने दिखाए स्वालंबन बने का रास्ता : NN81

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महतारी वंदन योजना ने दिखाए स्वालंबन बने का रास्ता : NN81

30/06/2024 | June 30, 2024 Last Updated 2024-06-30T04:31:26Z
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 *महतारी वंदन योजना  ने दिखाए  स्वालंबन बने का रास्ता


*छोटी सी सहायता भी जरूरतमंद के जीवन में लाती है उजियारा : श्रीमती सरिता कुर्रे*


     जिला ब्यूरो चीफ सक्ती




एक-एक रूपए की कीमत क्या होती है, यह किसी गरीब परित्यक्ता महिला से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। ऊपर से जब दो-दो बच्चों के  पालन-पोषण के साथ पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। ऐसी परित्यक्ता बेसहारा गरीब महिला जिसके जीवन-यापन के लिए रोजी-मजदूरी के अलावा और कोई आय का साधन न हो तो उस स्थिति के बारे में समझा जा सकता है। लेकिन ऐसी दयनीय और दुःख भरी जिंदगी में यदि किसी परिवार को छोटी सी आर्थिक सहायता हो जाए तो यह डूबते को तिनके का सहारा कहा जा सकता है। दरअसल यह वाक्या है, सक्ती जिले के तहसील-डभरा अंतर्गत ग्राम छुछुभांठा निवासी श्रीमती सरिता कुर्रे का।

       श्रीमती सरिता कुर्रे ने बताया कि उन्हें जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के तहत महतारी वंदन योजना से उन्हें जब पहली बार 1000 रूपए की किश्त मिली तो अंतरात्मा की खुशी को बयां नहीं कर पाई। क्योंकि वह रोजी मजदूरी से मुश्किल 200-300 रूपए कमा पाती थी, जो रोज के खर्चे में निकल जाते थे। धीरे-धीरे उन्हें अब तीन किश्तें मिल चुकी है। श्रीमती कुर्रेे ने कहा कि हालांकि जीवन चलाने के लिए 1000 रूपए काफी नहीं है। लेकिन जीवन की गाड़ी को आगे धकेलने में सहायक जरूर सिद्ध होती है। 


श्रीमती सरिता कुर्रे ने भावुक स्वर में बताया कि मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। परित्यक्तता होने के बाद मैं अपने मायका ग्राम-छुछुभांठा में रहकर रोजी-मजदूरी का कार्य कर अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हूं। बड़ी मुश्किल जीवन-यापन चल रही है। इसी बीच प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी के गारंटी के तहत महतारी वंदन योजना आयी। योजना के तहत मैंने गांव की अन्य महिलाओं के साथ गांव की आंगनबाड़ी जाकर महतारी वंदन योजना का फॉर्म जमा किया। सरकार ने अपना वादा निभाया और 10 मार्च 2024 को मेरे खाता में 1000 रूपए आने का सिलसिला शुरू हुआ। अब तक मुझे महतारी वंदन योजना के तहत तीन माह का एक-एक हजार रूपए महीना के हिसाब से तीन हजार रूपए मिल चुका है। इस राशि से मैं अपने बच्चों के पढ़ाई-लिखाई के लिए खर्च की हूं। निश्चित ही सहायता छोटी क्यूं न हो अगर वास्तविक जरूरतमंद को मिले तो उसके जीवन में उजियारा लेकर आती है। मेरे घर में इस उजियारा के लिए मैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और छत्तीसगढ़ सरकार को धन्यवाद देती हूं।