लांजी नगर परिषद का वाचनालय बना शोपीस
लांजी में नगर परिषद के गठन को लेकर लगभग 2 वर्ष होने जा रहे हैं लेकिन क्षेत्र में ऐसा कोई विकास कार्य नहीं हो पाया है जिससे लांजी क्षेत्र की जनता संतुष्ट हो सके। जिस तरह इन दो वर्षों में लांजी के विकास की गति ठमी है वह लोगों में जन चर्चा का विषय बना हुआ है इतना ही नहीं अगर नगर परिषद के कर्तव्यों की बात कही जाए तो उसमें भी कोसों दूर नजर आ रहे हैं उदाहरण के लिए नगर पंचायत द्वारा निर्मित वाचनालय उचित रखरखाव के अभाव में अपनी दूरदर्शन पर आंसू बहा रहा है देखने में यह भी आया है कि स्वच्छता के नाम पर उक्त परिसर में गंदगी का आलम बरकरार है जहां नगर परिषद के द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसके कारण कभी कबार आवारा पशुओं को भी देखने की जन चर्चा जोरों पर है उक्त वाचनालय का लांजी नगर में किसी भी प्रकार का सदुपयोग नहीं हो रहा है मात्र शोपीस बनकर बैठा हुआ है जबकि वाचनालय में लोगों के लिए पत्र पत्रिकाएं तथा समाचार पत्रों का होना आवश्यक है जहां लोग जाकर इन सब का उपयोग करते हैं लेकिन लांजी वाचनालय में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है जिससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर परिषद लांजी अपने कर्तव्य के प्रति कितना सजग है इसी तरह साफ सफाई की बात करें तो लांजी नगर में स्वच्छता के नाम पर मंत्र ठकोसला किया जा रहा है । यथार्थ में लांजी नगर में साफ सफाई की ओर किसी का भी ध्यान नहीं है जबकि उक्त वाचनालय को जनता की सेवा के लिए बनाया गया था लेकिन आज पर्यंतक उसका उपयोग समझ में नहीं आ रहा है मांग की जा रही है कि उक्त वाचनालय को मूर्त रूप देकर जनता के हित में वाचनालय का उचित प्रयोग किया जाए ताकि उक्त वाचनालय की गरिमा बनी रहे।
सरकार की ओर से जहां शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है, वहीं पिछले लंबे समय से सार्वजनिक वाचनालय का अभाव बना हुआ है नगर वासी पिछले कई वर्षों से सार्वजनिक वाचनालय की कमी का दंश झेल रहे हैं परंतु इस ओर जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन की ओर से उचित प्रयास नहीं किया जा रहा है। लेकिन यह वाचनालय पिछले कई सालों से बंद पड़ा है। विगत वर्षों में नगर में कई बार नवीन पंचायतें आई और चली गई लेकिन अभी तक वाचनालय का सपना साकार नहीं हो पाया है। उधर, प्रशासन की उदासीनता व उपेक्षा के चलते यह वाचनालय पिछले कई वर्षों से बंद पड़ा है। नगर में सरकारी व निजी कॉलेज के साथ दर्जनों शिक्षण संस्थाएं संचालित है जिसमें सैकड़ो की तादाद में छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है। इसके बावजूद यहां नगर परिषद व प्रशासन की ओर से सार्वजनिक वाचनालय की सुविधा प्रारंभ नहीं की जा रही है। जब से यह वाचनालय बना है उसका ताला ही नहीं खोला जाता है जिसकी नगर में भारी जन चर्चा व्याप्त है।