चांचौड़ा के बीनागंज मनोहर धर्मशाला में हुआ सत्संग तत्वदर्शी संत ने पवित्र धर्म ग्रंथो को प्रोजेक्टर पर उंगली रखकर प्रमाण के साथ बताया कबीर को सर्वोच्च भगवान : NN81

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चांचौड़ा के बीनागंज मनोहर धर्मशाला में हुआ सत्संग तत्वदर्शी संत ने पवित्र धर्म ग्रंथो को प्रोजेक्टर पर उंगली रखकर प्रमाण के साथ बताया कबीर को सर्वोच्च भगवान : NN81

26/08/2024 | August 26, 2024 Last Updated 2024-08-26T08:35:46Z
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 चांचौड़ा के बीनागंज मनोहर धर्मशाला में हुआ सत्संग तत्वदर्शी संत ने पवित्र धर्म ग्रंथो को प्रोजेक्टर पर उंगली रखकर प्रमाण के साथ बताया कबीर को सर्वोच्च भगवान



जिला गुना से गोलू सेन की रिपोर्ट




गुना/बीनागंज:  कबीर जी के सिद्धांतों को मानने वाले लोग देश और दुनिया में बड़ी संख्या में है।कोई उन्हें संत, फकीर और कोई कवि तथा सतगुरु के रूप में मानते हैं। पाठकों संत कबीर दास जी संत, फकीर, कवि और सतगुरु ही नहीं, वह इस अथाह ब्रह्मांड के स्वामी अर्थात सर्वोच्च भगवान भी है। यह बात जानकर आप हैरान हो जाएंगे किंतु सत्य यही है। दरअसल, गुना जिले में चाचौड़ा तहसील के ग्राम बीनागंज मनोहर  धर्मशाला में कबीरपंथी तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज का एक दिवसीय एलसीडी टीवी के माध्यम से जिला स्तरीय सत्संग हुआ। जिसमें तत्वदर्शी संत रामपाल जी ने कबीर जी को भगवान होने का प्रमाण प्रोजेक्टर के माध्यम से उंगली रखकर श्रद्धालुओं को दिखाए। पवित्र हिंदू धर्म के पवित्र ऋग्वेद मंडल नंबर 9 सूक्त 86 मंत्र 26, 27 तथा यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में स्पष्ट लिखा है, कबीर पापों का शत्रु है, बंधनों का शत्रु है अर्थात बंदी छोड़ है। वह स्वप्रकाशित धूलोक के तीसरे पृष्ठ पर राजा के समान सिंहासन पर विराजमान है। पाक कुरान शरीफ से प्रमाणित किया कि सूरत फुरकानी 25 आयत 52 से 59 में लिखा है, उस अल्लाह ने छ दिन में सृष्टि रची सातवे दिन तख्त पर जा विराजा उसकी ख़बर किसी बखवर से पूछ देखो, वह अल्लाह कबीर है। वही बाइबिल और सिक्ख धर्म के प्रवर्तक गुरु नानक देव जी की वाणी से भी प्रमाणित किया कि , आज से 627 वर्ष पूर्व काशी बनारस में जो कबीर धानक रूप में आए थे वही सारी सृष्टि के रचनहार कबीर है। अंत में उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को उपदेश देते हुए कहा कि, हम सभी एक पिता की संतान है, अज्ञान बस भिन्न भिन्न धर्म और मजहब में बट गए, और कहा कि,

 जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा। हिंदू,मुस्लिम, सिख ईसाई धर्म नही कोई न्यारा। सत्संग सुनकर कई श्रद्धालुओं ने संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा प्राप्त की और आजीवन मर्यादा में रहने की प्रतिज्ञा ली