*नर्मदा बचाओ आंदोलन*
स्लग: ---
*नर्मदा घाटी के कसरावद गाव में आज शुरू जल सत्याग्रह!*
*136 मीटर्स से उपर पहुंचा जलस्तर| हजारों परिवार डूब के कगार पर!*
*कहरषून, नीति, न्यायिक आदेशों का उल्लंघन, बिना पुनर्वास डूब नामंजूर!*
*प्रधानमंत्री जी का जन्मदिन, नर्मदा घाटी के लिए साबित न हो मरणदिन!*
मनावर धार से हर्ष पाटीदार की रिपोर्ट।
विओ: -
नर्मदा घाटी के सरदार सरोवर क्षेत्र के 170 से अधिक गावों में 2023 के मानसून में, जलस्तर / बैकवॉटर बढ़ने से हजारों मकान, बिना भूअर्जन हजारों एकड़ खेत भी डूबग्रस्त और बर्बाद हुए थे| इस साल फिर से घाटी के किसान- मजदूर, मछुआरे, कुम्हार, पशुपालक, दुकानदार समुदायों के हजारों परिवारों के द्वार में डूब के रूप में खड़ी है चुनौती! आजतक सरदार सरोवर का जलस्तर 136 मीटर्स से उपर जा रहा है और उपरी बड़े बांधों के जलाशयों में भी पानी लबालब भरा हुआ है| जलवायु परिवर्तित होते हुए सितंबर- अक्टूबर तक वर्षा आती है और कुछ घंटों/ दिनों में भी अतिवृष्टि होती है तो बड़े बांधों में / जलाशयों में वर्षाकाल में जलाशय सही मात्रा में खाली रखकर, आने वाले दिनों का वर्षाजल उनमें समाना यह शासन का कर्तव्य है! CWC / केंद्रीय जलआयोग की नियमावली का यही सिद्धांत है|
लेकिन नर्मदा घाटी के बड़े बांधों से जलनियमन की चुनौती और Reservoir Regulation Cammittee तथा Flood Cells उपरी तथा सरदार सरोवर के नीचेवास के क्षेत्र में भी (जैसे गरुड़ेश्वर और भरूच में) के केन्द्रों से, नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के द्वारा, समयबद्ध नियमन पर्याप्त मात्रा में न होने पर, जिनका पुनर्वास आधा अधूरा या नही के बराबर हुआ है, उन्हें भी डूबग्रस्त किया जाता है|
कल, 13 सितंबर के रोज रात ओंकारेश्वर बांध के 8 गेट्स खोले गये हैं और उसका जलप्रवाह, तथा इंदिरा सागर से निकासित जलप्रवाह सरदार सरोवर क्षेत्र में पहुंचने पर बड़वानी, धार, खरगोन तक के गांव, खेती, अलिराजपुर जिले की खेती भी, पुनर्वास के सभी लाभ न पाते हुए डूब सकती है| पिछले साल से कई परिवार शासकीय भवनों में, कई परिवार किराये के या रिश्तेदारों के मकानों में, और 2019 से टीनशेड्स में रखे गये 500 तक परिवार भी आजतक पूर्ण पुनर्वास नहीं पाये हैं| बैकवॉटर लेवल्स अवैध तरीके से पुनरीक्षित करके, हर गांव में कम दिखाकर, 15946 परिवारों को 'डूब से बाहर' घोषित किया था, उनको डूब भुगतनी पड़ी है, इसके लिए वे भी अन्यायग्रस्त हैं| शासन का बड़ा अपराध इसमें साबित है! बिना पुनर्वास डूब नामंजूर, नर्मदा घाटी के हजारों लोगों का नारा नहीं, अधिकार और संकल्प है| शासन की संवेदनशीलता की यह परीक्षा है|
इस परिप्रेक्ष्य में जून महिने से कई सारे सत्याग्रही कार्यक्रम, संभव हुआ उतना संवाद, और हजारों की रैली, संकल्प सभा के बाद आज भी 'जलसत्याग्रह' करने जा रहे हैं, घाटी के किसान- मजदूर| कसरावद गांव में, जहां बाबा आमटे जी ने सालों तक डेरा डाला था, आंदोलन के समर्थन में, जहां 2023 तक पशुपालक, दलित, मछुआरे, कई परिवार डूबग्रस्त होते रहे, वहीं आज सुबह से शुरू हुआ 'जलसत्याग्रह'|
मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र तथा केंद्र शासन को चेतावनी भरा आव्हान भी है कि नर्मदा के बांधों से जलनियमन प्रभावी, समयबद्ध तरीके से करें| सरदार सरोवर के गेट्स पर्याप्त मात्रा में खोलकर जलस्तर अब आगे नहीं बढ़ने दें| पीढ़ियों पुराने नर्मदा किनारे बसे परिवारों को बर्बाद न करें और आने वाले वर्षभर में युद्धस्तरीय कार्यवाही के द्वारा सबका न्यायपूर्ण पुनर्वास करें!
बड़वानी, धार जिले के गाव गाव के प्रतिनिधीयों ने और आंदोलन के कार्यकर्ता कमला यादव, केसर सोमरे, मंजूबाई अजनारे, रंजना मोर्य, भगवान सेप्टा, और मेधा पाटकर सह जलसत्याग्रह शुरू किया है|