शारदेय नवरात्रि स्पेशल : 10 महाविद्याओं का एक रूप माता, छित्रमस्तिका : NN81

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शारदेय नवरात्रि स्पेशल : 10 महाविद्याओं का एक रूप माता, छित्रमस्तिका : NN81

04/10/2024 | अक्टूबर 04, 2024 Last Updated 2024-10-04T08:40:18Z
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 NEWS NATION 81 


 संवाददाता गजेंद्र पटेल


 लोकेशन जिला मंडला,विकासखंड बिछिया,,




स्लग -  शारदेय नवरात्रि स्पेशल :

10 महाविद्याओं का एक रूप माता, छित्रमस्तिका 


 *अंजनिया से 08 कि मी दूर दिवारा गांव में,मां का दरबार,भक्तों की होती है मुरादें पूरी,जीव बलि की प्रथा बंद, नारियल करते हैं भेंट* 


एंकर  -  जनमानस का उद्धार करने वाली करुणामयी माता 'छित्रमस्तिका' का मंदिर मंडला जिले के अंजनिया नगर से तकरीबन 08 किलो मीटर दूर गांव दिवारा में है l जहां शारदेय और चैत्र नवरात्र में भक्तों का तांता लगा रहता है l इस वर्ष भी शारदीय नवरात्र में महाविद्या का रूप मां छित्रमस्तिका की पूजा में पूरा गांव लीन है l यहां दूर दराज से भक्त उपासक दर्शन के लिए पहुंचते हैं l वहीं ग्राम के दस्तावेजों के अनुसार माने तो यहां लगभग 1700 ईसवी में बिहार से निजाम शाह मंडला आए तो, उनके साथ पिंडी ग्राम के तिवारी भी आए l जिन्होंने माता की मूर्ति को बिहार शक्तिपीठ से लाकर मंडला के ग्राम दिवारा पहुंचकर स्थापित किया l जिसमें माता का रूप अद्वितीय है,जिनका मस्तष्क कटा हुआ है जो स्वयं के हाथ पर है l माता के आजू-बाजू उनकी 'सेविका' जय, विजिया है l जिसमें धड़ से जो तीन रक्त की धार निकल रही है उसमें दो धार जया, विजिया के मुख में और, एक धार माता के मुख में जा रही हैं l माता रति व काम देव पर खड़ी है l बताया गया की माता का यह रूप अपनी सेविका की तृष्णा मिटाने के लिए उन्हें अपना रक्त पान कराया जहाँ माता साधकों की साधना व तंत्र विद्या में महारथ देती हैं l स्थानीय ग्रामीणों की  माने तो बताया जाता है कि यहां मंदिर पर पूर्व में बलि प्रथा का विधान था और उस समय माता के सेवक भडीश्वर महाराज व खड़ेश्वर दत प्रखंड तांत्रिक हुआ करते थे l उनके बाद 1960 से यहां बलि प्रथा माता की आज्ञा अनुसार बंद कर दी गई l माना जाता है कि सात्विक रूप से नारियल को बलि के रूप में चढ़ाया जाता है l नारियल को जीव का प्रतीक माना गया है l यहां श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर जीव लेकर आते जरूर है! लेकिन उन्हें देवी का प्रसाद खिलाकर छोड़े जाने लगा है!!  मंदिर में बड़े दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामनाएं  लेकर आते हैं l ऐसे हजारों लोग हैं जिनके कार्य माता की इच्छा से ही पूरे हुए हैं l आज भी जो श्रद्धालु यहां सच्चे मन से प्रार्थना वंदना करता है, उसके कार्य सफलतापूर्वक होते हैं l माता छित्रमस्तिका के आशीर्वाद से गांव में आज तक किसी भी प्रकार की विपत्ति नहीं आई देवी मां को चिंतपूर्णी के नाम से भी जाना जाता है l