गुरुतुर भाषा छ्त्तीसगढ़ी, जो हमें आपस में दिल से जोड़ती है : NN81

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गुरुतुर भाषा छ्त्तीसगढ़ी, जो हमें आपस में दिल से जोड़ती है : NN81

02/12/2024 | दिसंबर 02, 2024 Last Updated 2024-12-02T10:33:21Z
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 *गुरुतुर भाषा छ्त्तीसगढ़ी, जो हमें आपस में दिल से जोड़ती है* - विष्णु देव साय 


 *छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने प्रयास किया जाएगा*- बृजमोहन अग्रवाल 


*राजभाषा आयोग के कार्यक्रम में छाए रहे राजनांदगांव जिले के कवि/‌साहित्यकार*,,,,,



  राजनांदगांव / छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा न्यू सर्किट हाउस, सिविल लाइंस रायपुर में  एक दिवसीय छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम में प्रदेश भर से पधारे छ्त्तीसगढ़ी के कवि साहित्यकारों द्वारा एक बार फिर छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग मुखर हुई।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश सरकार के मुखिया विष्णु देव साय जी थे अध्यक्षता रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने की। सर्वप्रथम छ्त्तीसगढ़ महतारी का पूजन- वंदन के साथ कार्यक्रम की हुई शुरूआत में सुप्रसिद्ध लोक गायक सुनील तिवारी ने राज्य गीत- "अरपा पैरी के धार" का सुमधुर गायन‌ कर वातावरण को गरिमामय बनाया।

*गुरुतुर भाषा छत्तीसगढ़ी*

छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस के अवसर पर प्रदेश भर से पधारे बड़ी संख्या में कवि/‌साहित्यकारो को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि हमारी सरकार छ्त्तीसगढ़ी भाषा के लिए लगातार काम कर रही है। छत्तीसगढ़ी गुरतुर भाषा है, जो हमें आपस में दिल से जोड़ती है।श्री साय ने छ्त्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा देने में छ्त्तीसगढ़ी फिल्मों का बड़ा योगदान बताया और कहा कि छत्तीसगढ़ी फिल्मे काफी लोकप्रिय है। मुख्यमंत्री जी ने साहित्य परिषद में छ्त्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के विलय की समाप्ति की घोषणा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ राजभाषा, राजभाषा छ्त्तीसगढ़ी को बढ़ावा देने का काम करते रहेगा।

पूर्व संस्कृति मंत्री व वर्तमान सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सांसद के रूप में वे छ्त्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा को लोकप्रिय बनाने और राजभाषा का सम्मान देने के लिए यह जरूरी है कि हम  छ्त्तीसगढ़ी में बातचीत करें और नई पीढ़ी को भी छ्त्तीसगढ़ी में बोलना सिखाएं।इस अवसर पर संस्कृति विभाग के सचिव - अन्वलगन पी० व संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने भी उपस्थितों को छ्त्तीसगढ़ी में संबोधित किया। 

*कवि सम्मेलन आयोजित*

राजभाषा आयोग के पूर्व सचिव व सुप्रसिद्ध कवि/‌साहित्यकार पद्मश्री डॉ सुरेन्द्र दुबे ने छ्त्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराया जाना अति आवश्यक बताया और कहा कि बाकी सब कुछ बाद मे हो लेकिन आठवीं अनुसूची जरुरी है। इसी तरह डॉ रामकुमार बेहार ने भी छ्त्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में लाया जाना बहुत जरूरी बताया।

 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीएम श्री साय व रायपुर के सांसद श्री अग्रवाल के आगमन‌के पूर्व आयोग के सचिव अभिलाषा बेहार के सुसंयोजन में कवि ‌सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर दुर्ग-‌भिलाई के कवि किशोर मिश्रा, बेमेतरा के रामानंद त्रिपाठी, बालोद के डा, अशोक आकाश  जगदलपुर की चमेली नेताम आदि ने‌ अपनी छत्तीसगढ़ी कविताओं से समां ‌बांधा वहीं संस्कार धानी नगरी के वरिष्ठ कवि /‌ साहित्यकार आत्माराम कोशा "अमात्य" ने पृथक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण से पूर्व पलायन की विभिषिका झेल‌ रहे लोगो की पीड़ा इन शब्दों में व्यंजित की - चल‌, वो, देहरी में दीया बार दन,, घर‌ के कोई  रखवार नहीं हे,, इस अवसर पर उपस्थित  डॉ, राम कुमार बेहार, डॉ रमेंद्र नाथ मिश्र ,पद्मश्री सुरेंद्र दुबे, श्रीमती शशि दुबे, सचिव-अभिलाषा बेहार, डॉ०पीसी लाल यादव, सुशील भोले, कुबेर साहू , शकुंतला तरार आदि वरिष्ठ कवि साहित्यकारों ने श्री कोशा के उक्त रचना की भरपूर सराहना की वहीं हाल तालियो से गूंज‌ उठा। इस अवसर पर सचिव अभिलाषा बेहार ने आयोग के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ कवि एवं गीतकार पं० दानेश्वर शर्मा के "तपत‌ कुरु" गीत का स्वर पाठन कर मूर्धन्य साहित्यकार स्वर्गीय शर्मा जी को याद को जीवंत  किया। डोंगरगढ़ से पधारे कवि अमृत दास साहू ने वृद्ध माता-पिता को सम्मान देने वाली कविता तथा सुरगी  के कवि/‌साहित्यकार‌ ओमप्रकाश साहू अंकुर ने " तोर कतका गुन ल गावंव ,, छत्तीसगढ़  महतारी नामक सुरमई कविता पढ़कर लोगों को विमोहित किया।

*मुख्यमंत्री के हांथों छ्त्तीसगढ़ी पुस्तकों का विमोचन*


राजभाषा दिवस समारोह के मुख्य अतिथि श्री साय द्वारा छ्त्तीसगढ़ी भाषा को समृद्ध करने वाले छह साहित्यकारों का सम्मान किया गया। वहीं छ्त्तीसगढ़ी में  लिखित व राजभाषा आयोग द्वारा प्रकाशित छ्त्तीसगढ़ी में लिखित 12 पुस्तकों का विमोचन किया गया। इस दौरान सुरगी के कवि/साहित्यकार ओमप्रकाश साहू अंकुर रचित "‌पुरखा के सुरता" नामक गद्य कृति का विमोचन कर उसका शाल श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर जिले के कवि/साहित्यकार-‌ शत्रुघन सिंह राजपूत ने अपनी बाल काव्य संग्रह "अभी - अभी खिले फूल " की प्रति राजभाषा आयोग की सचिव अभिलाषा बेहार को सादर भेंट किया। इस अवसर पर कवि/ साहित्यकार  कुबेर साहू,अखिलेश्वर प्रसाद मिश्रा, विरेंद्र तिवारी "वीरु"महेन्द्र बघेल‌ "मधु", लखन साहू "लहर", कथाकार- मानसिंह "मौलिक", रौशन साहू, किशोर माहेश्वरी, कुलेश्वर साहू,राज कुमार चौधरी, मदन मंडावी, थनवार निषाद "सचिन", हेमलाल सहारे, रामकुमार चंद्रवंशी ,कोमल गुरु  नंद कुमार "नादान" आदि  राजभाषा आयोग के विभिन्न कार्यक्रमों में छाए रहे। उक्ताशय की जानकारी कथाकार मानसिंह मौलिक द्वारा दी गई है।