नैनपुर
मंडला/एमपी
सत्येन्द्र तिवारी न्यूज नेशन 81 के लिए नैनपुर से
9399424203
जिला बनाओ संघर्ष समिति के द्वारा एस डी एम नैनपुर को
मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा
नैनपुर को जिला बनाने हेतु
नैनपुर - जैसा की विदित है नैनपुर जिला बनाओ संघर्ष समिति के द्वारा पिछले बीस वर्षों से लगातार नैनपुर को जिला बनाने के लिए शांति पूर्ण आंदोलन किया जा रहा है ।विधान सभा चुनाव के पहले समिति द्वारा लगातार 72 दिनों तक आंदोलन किया गया।जिसमे आत्मदाह जैसा उग्र आंदोलन भी शामिल हे।उसी कड़ी में आज जिला बनाओ संघर्ष समिति के सदस्यों द्वारा मध्य प्रदेश के माननीय मुख्य मंत्री मोहन यादव के नाम नैनपुर अनुविभागीय अधिकारी जे पी यादव को ज्ञापन सौंपा गया। जैसा को बॉडी है
भाजपा घोषणा पत्र 2003 एवं पूर्व मुख्यमंत्री का वादा किया गया था । और उनके द्वारा घोषणा पत्र में भी यह उल्लेख ही । भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र 2003 में नैनपुर को जिला बनाने की घोषणा की गई थी साथ ही 2008 जन अर्शीवाद रैली में माननीय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने वादा किया था
यह कि सिवनी जिले की केवलारी घंसौर, धनौरा एवं नैनपुर तहसील को मिलाकर नैनपुर को जिला बनाना प्रस्तावित है केवलारी घंसौर धनौरा लामटा अपने जिला मुख्यालय से 50 से 140 कि0मी0 तक दूर है जबकि केवलारी घसौर धनौरा लामटा की सीमाये नैनपुर से लगी हुई है और महज 20 से 40 कि०मी० तक की दूरी पर मुख्यालय स्थित है जबकि इन तहसीलो के गाँव नैनपुर से लगे हुये है।
विगत विधानसभा चुनाव 2023 के पूर्व नैनपुर को जिला बनाने के लिये नैनपुर मुख्यालय में 72 दिनों तक लगातार धरना प्रदर्शन हुये जिसमें केवलारी घसौर धनौरा लामटा के जनप्रतिनिधियों ने शिरकत की।
नैनपुर जिले को लेकर संयोजक विमलेश सोनी एवं बहन सुमिता यादव ने आत्मदाह करने जैसे कड़े कदम उठाये जिन्हें मौके नाके पर पुलिस प्रशासन द्वारा बचाया गया
निवेदन - माननीय मुख्यमंत्री जी आपकी सरकार का यह स्वर्णिम कार्यकाल है जिसमें आपने उन जिला एवं तहसील मुख्यालय के ग्रामों की सीमा को पुर्ननिर्धारण करने की बात कही है जो कि अपने जिला मुख्यालय से अधिक दूर है और ग्रामीण जनों को वर्तमान मुख्यालय पहुंचने में काफी परेशानी होती है । आस पास के लोगों ने कहा है की
हम सभी नैनपुर केवलारी घंसौर, धनौरा, लामटा वासी आपसे सविनय निवेदन करते है कि नैनपुर को जिला बनाकर उक्त संबंधित तहसीलों को नैनपुर जिले में समाहित कर उनके वर्तमान मुख्यालय की दूरी को कम कर सकते है जिससे ग्रामीण आदिवासी, सामाजिक जनों को सस्ता सुलभ एवं निकट मुख्यालय होने का लाभ मिल सके।