हजारो श्रावक श्राविकाओं ने दी मुनि भूतबली सागर जी को श्रद्धांजलि* * *उनके मार्ग पर चल कर हम भी अपना कल्याण करें* *-कैलाश परमार*
रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर एमपी
आष्टा । जैन आगम के सर्वथा अनुकूल मुनि धर्म का निर्वहन करते हुए पूज्य भूतबली सागर जी महाराज ने बुधवार को अपनी देह त्याग दी । नगर के जैन जैनेतर भक्तो पर उनकी अपार कृपा थी । संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी के शिष्यों में ज्येष्ठ रहे मुनि श्री भूतबली सागर जी महाराज को सोमवार को स्वास्थ्य संबंधी प्रतिकूलता हुई थी इस खवर के बाद से ही देश भर में फैले शिष्यों का महाराज श्री के दर्शनार्थ नगर में आना शुरू हो गया था । बुधवार को उनका समाधिपूर्वक देहावसान हो गया । मुनि श्री के पार्थिव शरीर को श्रावकों के दर्शनार्थ किला मन्दिर प्रांगण में रखा गया था जहां उनके संघस्थ शिष्य मुनि सागर जी , मौन सागरजी तथा मुक्ति सागर जी महाराज के सानिध्य में बहन मंजुला दीदी ने शांति और समाधि पाठ किया । इस अवसर पर विनयांजलि सभा भी हुई । अन्य वक्ताओं सहित प्रदेश कांग्रेस महासचिव तथा पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार ने मुनि श्री की नगर के भक्तों पर विशेष कृपा का उल्लेख करते हुए उनके बताए हुए मार्ग पर चलने की भावना प्रकट की । बाद समाधिस्थ मुनि भूतबली सागर जी का डोला निकाल कर किला मन्दिर के परिसर में विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया जहां हजारो श्रावको ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर आहुति स्वरूप श्रीफल अर्पित किए ।