NEWS. NATION.81
संवाददाता गजेंद्र पटेल
लोकेशन विकासखंड बिछिया जिला मंडला
व्यक्ति जैसा कर्म करता है, वैसा फल की प्राप्ति करता है l
मंडला मुख्यालय के राजीव कॉलोनी झंडा चौक में चल रहें विष्णु पुराण में गोर्वधन पर्वत की कथा का आयोजन लगा छप्पन भोग l
भगवान की प्रतिमाओं को कराया फल अधिवास l
एंकर - राजीव कालोनी झंडा चौक में श्री विष्णु पुराण का संगीतमय आयोजन के साथ श्री हनुमान मंदिर में प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा के लिए विविध कार्यक्रम किये जा रहे है। यहां स्थापित होने वाली भगवान की प्रतिमाओं को प्रतिदिन अलग-अलग अधिवास भी कराया जा रहा है। पूजन, अर्चन के साथ प्रतिदिन रूद्री निर्माण, अभिषेक के साथ आरती भी जा रही है। इस आयोजन से राजीव कालोनी क्षेत्र भक्तिमय हो गया है। तो वहीं धार्मिक आयोजन में रूद्री निर्माण, अभिषेक, पूजन और विष्णु पुराण की कथा का श्रवण करने बड़ी संख्या में भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। विष्णु पुराण का वाचन कथा वाचिका उमा तिवारी देवी द्वारा किया जा रहा है। बता दे कि सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति द्वारा आयोजित मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा और विष्णु पुराण के आयोजन में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों का वर्णन किया जा रहा है।
फलों से कराया सभी प्रतिमाओं का अधिवास -
श्री हनुमान मंदिर में श्रीराम दरबार के साथ श्री गणेश, श्रीलक्ष्मी नारायण, राधा कृष्ण, श्री हनुमान, काल भैरव भगवान की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजन, अर्चन के साथ अधिवास कराया जा रहा है। जिसमें पहले दिन जलाधिवास, दूसरे दिन दुग्धाधिवास, तीसरे दिन धृताधिवास, चौथे दिन फूलाधिवास, पांचवें दिन सभी भगवान की प्रतिमाओं का फलों से अधिवास कराया गया। यहां सभी भक्तों ने अलग अलग फलों से भगवान को अधिवास कराया। संतरे, केला, पपीता, सेव, अनार, अंगूर, तरबूज समेत अन्य फलों से सभी प्रतिमाओं का फलाधिवास कराया गया। इस दौरान रविवार को सभी प्रतिमाओं का मिष्ठान से अधिवास कराया जाएगा।
गोवर्धन पर्वत को उठाकर नंदगांव को किया सुरक्षित -
सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति झंडा चौक द्वारा आयोजित श्री विष्णु पुराण के पांचवे दिन गोवर्धन पूजा एवं छप्पन भोग कथा वर्णन कथा वाचिका उमा तिवारी देवी द्वारा किया गया। कथा में गोवर्धन पूजा की दिव्य कथा को विस्तार पूर्वक सुनकर मौजूद श्रद्धालु भाव - विभोर हो गए। कथा में बताया कि जहां सत्य एवं भक्ति का समन्वय होता है, वहां भगवान का आगमन अवश्य होता है। कथा में आगे बताया कि नंदगांव में इंद्र पूजन की तैयारी के साथ 56 भोग बनाए जा रहे थे। श्रीकृष्ण ने पूजा ये भव्य तैयारी क्यों चल रही है। नंद बाबा ने कहां कि यह उत्सव की तैयारी भगवान इंद्र की पूजा के लिए की जा रही है। इनकी कृपा से ही बारिश हो सकती है, इसलिए खुश करने के लिए पूजन किया जाएगा। श्रीकृष्ण ने चल रही उत्सव की तैयारी को बंद करा दिए और कहां कि जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल मिलता है। जिसके बाद भगवार इंद्र आक्रोशित हो गए ओर भारी बारिश शुरु कर दी। नंद गांव में त्राहि-त्राहि मच गया। जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को ही उठा लिए। जिसके बाद नंद गांव के लोग सुरक्षति हो गए। इसके बाद से ही गोवर्धन पूजा का क्रम शुरु हुआ। गोवर्धन भगवान की पूजा सभी भक्तों को उपस्थित पंडितों द्वारा कराई और भगवान को 56 भोग अर्पित किया गया। कथा के अंत में आरती के बाद सभी को छप्पन भोग का दिव्य प्रसाद वितरित किया गया।