पोषण वाटिका के उत्पाद, कुपोषण दूर करने में मददगार होंगे – कलेक्टर सुश्री बाफना
----
सक्षम आंगनवाड़ी केन्द्रों की कार्यकर्ताओं को पोषण वाटिका निर्माण का प्रशिक्षण
-----
पोषण वाटिका के माध्यम से आसानी से उगने वाली हरी पत्तेदार साग-सब्जी, फल आदि कुपोषण को दूर करने में मददगार होंगे। यह बात कलेक्टर सुश्री ऋजु बाफना ने आज कृषि विज्ञान केन्द्र में पोषण वाटिका निर्माण के संबंध में शुजालपुर विकासखण्ड क्षेत्र की 30 सक्षम आंगनवाड़ी केन्द्रों की कार्यकर्ताओं के लिए चल रहे चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में कही। उल्लेखनीय है कि कृषि विज्ञान केन्द्र में विकासखण्डवार सक्षम आंगनवाड़ी केन्द्रों की 30-30 कार्यकर्ताओं को पोषण वाटिका निर्माण के लिए चार दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। शाजापुर विकासखण्ड की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। शुजालपुर विकासखण्ड की कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण का आज तीसरा दिवस था।
प्रशिक्षण में उपस्थित होकर कलेक्टर सुश्री बाफना ने कहा कि सभी कार्यकर्ताएं पोषण-वाटिका निर्माण का अच्छे से प्रशिक्षण लें और अन्य ग्रामीणजनों को भी पोषण वाटिका निर्माण के लिए प्रेरित करें। पोषण वाटिका निर्माण के लिए बीज आसानी से प्राप्त हो जाते हैं। आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषण वाटिका निर्माण के लिए पर्याप्त स्थल हो तो मनरेगा से भी यहां वाटिका विकसित की जा सकती है। कलेक्टर ने कहा कि कुपोषण दूर करने के लिए भोजन में पोषण तत्वों की पर्याप्त मात्रा आवश्यक है। महिलाओं में अक्सर खून की कमी (ऐनीमिया) की समस्या रहती है, इसे पोषण वाटिका में लगाए गए हरे पत्तेदार सब्जियों से दूर किया जा सकता है। साथ ही बच्चों की माताओं को भी पोषण वाटिका के लाभ से अवगत कराते हुए उन्हें भी प्रेरित करें। स्वसहायता समूहों को भी पोषण वाटिका से जोड़कर उन्हें प्रोटीनयुक्त उत्पाद तैयार करने के लिए प्रेरित करें। महिलाएं खान-पान में बदलाव लाएं और बच्चों को डिब्बा बंद या बाजार में उपलब्ध खाद्य उत्पादों का सेवन कराने की बजाय पोषण वाटिका से प्राप्त पौष्टिक खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल करें, इससे बच्चों का विकास होगा। इस अवसर पर कलेक्टर ने कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा पौष्टिक आहार के लिए वाटिका में लगाए जाने वाले पौधों के बनाए गए चक्र का भी अवलोकन किया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डॉ. जीआर अम्बावतिया ने प्रशिक्षण देते हुए कहा कि सोयाबीन में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन रहता है, इसका सेवन गेहूं के आटे में मिलाकर किया जा सकता है। कृषि विज्ञान केन्द्र की डॉ. गायत्री वर्मा रावल ने प्रशिक्षण देते हुए कहा कि हरी सब्जियों में पालक, मैथी, चौलाई, शतावरी, लौकी, गिलकी, बथुआ, कद्दू आदि का रोपण पोषण वाटिका में किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मोरिंगा (सहजन) प्रत्येक आंगनवाड़ी केन्द्र में लगाया जाना चाहिये, इसकी जड़, तना, पत्ती, फूल एवं फल सारे उपयोगी हैं। मोरिंगा के पत्ते के पाऊडर में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन एवं केल्श्यिम रहता है, इसका भी सेवन कर प्रोटीन एवं कैल्शीयम की कमी दूर की जा सकती है। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र में पौष्टिक एवं औषधीय प्रजातियों के पौधे उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग पोषण वाटिका में किया जा सकता है।
इस दौरान महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुश्री नीलम चौहान, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. एसएस धाकड़, डॉ. डीके तिवारी, डॉ. मुकेश सिंह भी उपस्थित थे।
शाजापुर से संवाददाता राजकुमार धाकड़