द्वापर युग में सुदामा और कृष्ण की जो मित्रता थी वह आज असंभव है : NN81

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द्वापर युग में सुदामा और कृष्ण की जो मित्रता थी वह आज असंभव है : NN81

18/12/2024 | दिसंबर 18, 2024 Last Updated 2024-12-18T07:53:18Z
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 द्वापर युग में सुदामा और कृष्ण की जो मित्रता थी वह आज असंभव है- पंडित ब्रजकिशोर नागर जी महाराज।


श्रीबालीपुरधाम के महाराज जी का भी कथा स्थल पर वंदन किया गया।


मनावर।


 मनावर धार से आशीष जौहरी की रिपोर्ट।



 द्वापर युग में भगवान कृष्ण और सुदामा की जो मित्रता थी वह जग जाहिर है।वर्तमान समय में सच्ची मित्रता बहुत ही कम रहती है ।संसार के प्रति लोगों के प्रति सद्भावना रखता है ।नि:स्वार्थ भावना से जो दोस्ती करता है वही सच्ची दोस्ती होती है । ।दो मुट्ठी चावल के बदले सुदामा को दो लोक की संपत्ति दी थी ।सच्ची मित्रता कृष्ण और सुदामा का प्रेम था।जब मनुष्य का मन भगवान की भक्ति में नहीं लगता है तो उसे मन को सुधारने के लिए कथा में आना होता है। ।कथाएं मनुष्य के मन को सहने कार्य करती और हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। जब जीवन में सुख आता है तो निश्चित से दु:ख भी आएगा ।उक्त विचार गीता प्रचारक समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के समापन अवसर पर पंडित नागर ने बंकनाथ अटल दरबार सत्य देव मंदिर के प्रांगण मे कही।। उन्होंने आगे कहा कि आज के इस युग में मनुष्य बिना सोच समझे गलत फैसला ले लेता है । न अपने परिवार की सोचता हैं न ही अपने बच्चों के बारे में ख्याल आता है ।जब भी जीवन में कभी दु:ख आए तो घबराना नहीं चाहिए ।रामायण, श्रीमदभगवतगीता, पुराणो को पढने एवम उनको भाव मे लाने से हमारे मन के खराब विचारो को बदल देते है। भगवान श्री राम और कृष्णा पर भी कहीं विपत्ति आई लेकिन उन्होंने उसका डटकर सामना किया और आखिर में सफलता प्राप्त की। हमारी समस्या तो छोटी है। जीवन मे कभी धोखा भी आए तो उसका सामना करना चाहिए घबराना नहीं चाहिए। कथा में समापन समापन के दिन अंतिम दिवस पर महिलाओं एवम पुरुषों की काफी भीड़ थी। पूरा पंडाल भरा गया । कथावाचक के भजनों पर श्रोतागण खूब थीरके । श्री श्री 1008 श्रीगजानन जी महाराज श्रीबालीपुरधाम के शिष्य श्री योगेश जी महाराज का भी स्वागत किया गया ।श्री महाराज जी भी आरती में शामिल हुए। बाबा जी की आरती भी गाई गई। अध्यापक जगदीश पाटीदार ,अनिल शर्मा, मोहन सोनी ,रमेश कुशवाहा, लक्ष्मण मुकाती ,जगदीश मुकाती, ,तुकाराम पाटीदार ,ज्योति पाटीदार मुकश मुकाती द्वारा व्यास पीठ पर आरती का लाभ लिया गया।