भारत का संविधान देश की मौलिक आवश्यकता : NN81

Notification

×

Iklan

भारत का संविधान देश की मौलिक आवश्यकता : NN81

26/11/2023 | November 26, 2023 Last Updated 2023-11-26T13:49:02Z
    Share on

 भारत का संविधान देश की मौलिक आवश्यकता :- कैलाश परमार


रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर 



आष्टा - सभी के लिए न्याय,सभी के लिए सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रता, समान अवसर, विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान की मूल आत्मा है। आज ही के दिन वर्ष 1949 में भारत के संविधान को अपनाया गया था। भारत के संविधान के निर्माण में डॉ भीमराव अंबेडकर के अहम योगदान को सदैव याद किया जाएगा। भारत का संविधान देश के लोगों के लिए एक जीवंत और प्रेरणादायक दस्तावेज है। जिसने न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के शक्तियों के बंटवारे को औपचारिक रूप दिया। तभी ये संस्थाएं स्वतंत्र रूप से काम करने लगी।


संविधान ने नागरिकों के हितों को बनाए रखने के लिए न्यायपालिका विधायिका एवं कार्यपालिका को अपनी जिम्मेदारी आदि। जिससे नागरिकों की उम्मीद और अपेक्षाओं को साकार किया जा सका। संविधान से नागरिकों को अधिकार मिलता है साथ ही नागरिकों को उनके कर्तव्यों का पालन करने का भी निर्देश दिया जाता है। विविध जातियों, धर्मो के लोगो को संविधान ने ही एक माला में पिरोकर रखा है।

उक्त आशय के उदगार प्रदेश कांग्रेस महामंत्री एवं पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष कैलाश परमार  ने संविधान दिवस पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर पार्क में डॉक्टर आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए संविधान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। उन्होंने  कहा कि संविधान ही इस देश की मौलिक आवश्यकता है। इस अवसर पर पूर्व पार्षद शैलेष राठौर,ब्लॉक कांग्रेस आष्टा कार्यकारी अध्यक्ष नरेंद्र कुशवाहा, पूर्व पार्षद अनिल धनगर, मनमोहन परमार सहित कई नागरिकगण मौजूद थे।