*स्वयं को ईश्वर समझने वालों का सर्वनाश होता है- ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी*
*ईश्वरीय रंग में रंगा हुआ मनुष्य ही योगी है- ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी*
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मंशापूर्ण हनुमान मंदिर के पास स्थित सेवाकेंद्र में अलौकिक होली स्नेह मिलन समारोह का आयोजन हुआ जिसमें ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी ने होली का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि होली अर्थात बीती सो बीती, जो हुआ उसकी चिंता ना करो और आगे के लिए श्रेष्ठ कर्म, ज्ञान, योग युक्त होकर करो, होली अर्थात होली हो गई, मैं आत्मा अब ईश्वर अर्पण होली, अर्थात अब जो भी कार्य करना वह परमात्मा के आदेश अथवा श्रीमत के अनुसार ही करना है। होली शब्द का अर्थ हिंदी में पवित्र है तो जो भी कर्म करना है किसी मनोविकार के वशीभूत होकर ना हो अर्थात शुद्ध पवित्र हो इस प्रकार से हम होली के त्यौहार के एक शब्द से ही अनेक शिक्षाएं ग्रहण कर सकते हैं। होली के पावन पर्व पर एक दूसरे पर रंग डालने की प्रथा है। ज्ञान को रंग कहा जाता है ज्ञानी मनुष्य का संग अर्थात संबंध संपर्क में रहने वाली आत्मा को भी ज्ञान का रंग चढ़ता है, इस सृष्टि पर दो ही रंग है एक माया का रंग दूसरा ईश्वर का रंग इस रंगमंच पर हर एक मनुष्य इन दोनों में से एक न एक रंग में तो रंगता ही है। निःसंदेह ईश्वरीय रंग में रंगना श्रेष्ठ होली मनाना है क्योंकि इस रंग में रंगा हुआ मनुष्य ही योगी है।
जिला गुना से गोलू सेन की रिपोर्ट