मुक्तिधामों में नहीं लगे टीन शेड, खुले में होता है अंतिम संस्कार, ग्रामीण लोग करते हैं ईश्वर से प्रार्थना, बारिश में किसी की मौत न हो : NN81

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मुक्तिधामों में नहीं लगे टीन शेड, खुले में होता है अंतिम संस्कार, ग्रामीण लोग करते हैं ईश्वर से प्रार्थना, बारिश में किसी की मौत न हो : NN81

29/07/2024 | जुलाई 29, 2024 Last Updated 2024-07-29T07:14:00Z
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 मुक्तिधामों में नहीं लगे टीन शेड, खुले में होता है अंतिम संस्कार, ग्रामीण लोग करते हैं ईश्वर  से प्रार्थना,  बारिश में किसी की मौत न हो


संवाददाता संदीप शर्मा



बरेली। बाड़ी जनपद पंचायत के कई गांवों में लोग भगवान से प्रार्थना करते हैं कि बारिश के दौरान किसी की मौत न हो। कारण यह कि वे अंतिम संस्कार भी ठीक से नहीं कर पाते,क्योंकि तमाम मुक्तिधामों में टीन शेड नहीं हैं। बारिश में खुले में अंतिम संस्कार करने से काफी परेशानी होती है।


ऐसे कई गांव बड़ी संख्या में हैं, जहां मुक्तिधाम तो है लेकिन मुक्तिधाम में टीन शेडों का निर्माण नहीं हो पाया है। इस कारण बारिश में अंतिम संस्कार करने के लिए मौसम साफ होने का घंटों इंतजार करना पड़ता है। बीते बर्ष रायसेन जिले की कई ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों ने तिरपाल लगाकर अंतिम संस्कार करना पड़ा जिसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर डाले गए थे, मुक्तिधामों का निर्माण तो ग्राम पंचायतों ने कराया है। लेकिन आज भी कई ग्राम पंचायतों के मुक्तिधामों पर आज तक टीन शेड नहीं लगे,

ग्राम पंचायतों में आज भी ऐसे कई गांव मिल जाएंगे, जहां मुक्तिधाम तो है, टीन शेड नहीं लगाया। अधूरी स्थिति में टीन शेड दिखाई दे रहा है।  ग्राम पंचायतों में बारिश के मौसम में किसी की मृत्यु हो जाती है तो मुक्तिधाम में टीन शेड न होने के कारण बारिश रुकने का घंटों इंतजार करना पड़ता है।


सरकारी योजना के बाद भी मुक्तिधामों में टीन शेड बनाने की न अफसरों को चिंता और न ही जनप्रतिनिधियों को


करना पड़ता है। पिछले वर्षों में भी कई गांवों से ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। गांव में किसी के निधन हो जाने के बाद कई घंटों तक बारिश खुलने का इंतजार करना पड़ता या फिर अस्थाई शेड तैयार किए जाते हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा


में टीन शेड अधूरा, बारिश में परेशानी होती जब बारिश रुकती है, तब मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता है। 


बाड़ी जनपद पंचायत क्षेत्र में ऐसे कई गांवों के मुक्तिधाम आधे-अधूरे दिखाई देते हैं। वहां बारिश में यहां अस्थाई शेड बनाकर लोगों को अंतिम संस्कार


के तहत मुक्तिधाम तैयार किए जाने थे, जो कहीं अधूरे हैं तो कहीं पर काम ही शुरु नहीं हो सका। जबकि कुछ गांवो में मुक्तिधाम की जमीन पर लोगों ने कब्जा भी कर लिया है। जिससे बहुत कम जगह बची और जो जगह बची है, वह भी रसूखदारों के अवैध कब्जे होने के कारण धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है।