**यह कैसा विकास, आजादी के दसको बाद भी सुविधाओं से वंचित ग्रामीण**
संवाददाता अभिषेक अग्रवाल उमरिया
बिरसिंहपुर पाली --- उमरिया जिले के आदिवासी विकास खंड पाली के ग्राम पंचायतों में विकास का सपना आज भी अधूरा दिखाई पड़ता है । आदिवासियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार के व्दारा विकास की गंगा बहायी जा रही है , लेकिन धरातल पर देखा जाए तो पूरी योजनाएं भ्रष्टाचार के दल-दल में फंसीं दिखाई दे रही है । सड़क, पुलिया, नाली की मांग के लिए ग्राम वासी की चीख-पुकार रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी कान में तेल डालकर मूक बधिर बन बैठे हैं ।
इसी तरह का एक संवेदनशील और पीड़ाजनक मामला ग्राम पंचायत मालाचुआ में देखने में आया है । बताया जाता है कि ग्राम पंचायत मालाचुआ के आदिवासी बहुल वार्ड क्रमांक 8,9 एवं 10 में बरसात के इन दिनों सड़क न होने के कारण यहां के रहवासियों को घर से निकलना मुश्किल भरा काम बना हुआ है । इन वार्डो में आज तक सड़क निर्माण न होने के कारण सर्वाधिक असुविधा छोटे बच्चों को होती कि है , जिससे उन्हें विद्यालय आने जाने में कठिनाइयो का सामना करना पड़ता है । खेदजनक कहा जाये कि यहां के रहवासियों का जीवन आज भी आदिम काल के आदिवासियों के समान बीत रहा है ।
आजादी के 77 सालों के बाद भी आवागमन की दृष्टि से पिछड़े हुए इन वार्डो में कोई बदलाव नहीं होने से आदिवासियों का जीवन त्रासदी से उबर नहीं पाया ।ध्यान देने योग्य है कि इस समस्या की त्रासदी के लिए ग्राम पंचायत मालाचुआ के सरपंच व सचिव को मूलरूप से जिम्मेदार ठहराया जा रहा है ,तो फिर भी अन्य जनप्रतिनिधि और ग्राम पंचायत के विकास के लिए जिम्मेदार अधिकारी और वरिष्ठ प्रशासनिक अमला इस समस्या के लिये उतने ही दोषी है जितने ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव। किसी भी ग्राम पंचायत का समग्र रूप से विकास हो,
इसके लिए ग्राम पंचायतों में बकायदा कार्य-योजना बनाईं जाती है और ये कार्ययोजना त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत क्रमश राज शासन तक जाती है फिर भी इन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में आज तक सड़क का न बन पाना जिम्मेदारो को कटघरे में खड़ा करता है ।