नैनपुर
सत्येन्द्र तिवारी न्यूज नेशन 81 के लिए नैनपुर से
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01 अक्टूबर से शुरू होगा कान्हा उधान 30 सितंबर तक चलेगा आपरेशन मानसून अभियान,
कान्हा पार्क में घुसपैठ टीवी ना हो इसलिए चल रहा ऑपरेशन मानसून
01 अक्टूबर से शुरू होगा पर्यटको का आना
कान्हा में वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए कर्मचारी, श्रमिकों की नजर
नैनपुर - विश्व प्रसिद्ध कान्हा नेशनल पार्क में रैनी सीजन में तीन माह के लिए पर्यटन बंद हो जाता है, रैनी सीजन के चलते पर्यटकों का आना नहीं होता है। कान्हा पार्क 1 जुलाई से 30 सितंबर तक पर्यटन के लिए बंद रहता है। इसके बाद 01 अक्टूबर से फिर कान्हा पार्क में पर्यटन शुरू किया जाता है। तीन माह पर्यटको को वनराज के दीदार नही होते है। इस रैनी सीजन में जंगल और वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए ऑपरेशन मानसून चलाया जाता है। विगत दो माह से कान्हा में ऑपरेशन मानसून चलाया जा रहा है। यहां जंगल के चप्पे-चप्पे पर विभाग के अधिकारी, कर्मचारी नजर बनाए हुए है। विभाग के अमला और अधिकारियों की गश्त पूरे रैनी सीजन में चल रही है। संवेदनशील इलाकों की निगरानी की जा रही है।
जानकारी अनुसार विश्व की सबसे बड़ी जैव विविधता की प्रयोगशाला राष्ट्रीय उद्यान कान्हा है। जहां पर हर प्रकार के जीव जंतु वनस्पति वनों से आच्छादित है। दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु एवं वन्य प्राणी की उपलब्धता है। राष्ट्रीय उद्यान कान्हा के नाम से मंडला जिले को पूरी दुनिया में जाना जाता है। कान्हा नेशनल पार्क भारत के मध्यप्रदेश में मंडला और बालाघाट जिले की सीमा कान्हा में स्थित है। 1930 के दशक में कान्हा क्षेत्र को दो अभ्यारण्यों में बांटा गया था, हालोन और बंजर। जिसका एरिया 250 और 300 वर्ग किलोमीटर था। वहीं कान्हा नेशनल पार्क का अब विस्तार हो चुका है। अब कान्हा क्षेत्र में कोर 941.792, बफर 1134.319 और फेन 110.740 वर्ग किलोमीटर में फैला है।
बताया गया कि कोर, बफर और फेन में पेट्रोलिंग कैंप है लेकिन बारिश के चलते मार्ग क्षतिग्रस्त हो जाते है। झाडिय़ां बढ़ जाती है। दुर्गम स्थानों पर वाहनों से नही जाया जा सकता है। इस स्थिति में वन्यप्राणियों के शिकार, अवैध कटाई, अतिक्रमण और अवैध चराई की संभावना बढ़ जाती है। कान्हा में वन्यप्राणियों और उनके आवास की सुरक्षा के लिए कान्हा प्रबंधन के द्वारा ऑपरेशन मानसून 1 जुलाई से 30 सितम्बर तक चलाया जाता है। इस विशेष अभियान में कान्हा के अधिकारी और कर्मचारियों के द्वारा जंगल की गश्ती की जा रही है। जिससे जंगल में बाहरी और शिकारियों की घुसपैठ को रोका जा सके।
कान्हा के विभागीय हाथियों से गश्ती
गश्ती लिए रोस्टर तैयार किया जाता है। जिसमें अधिकारी, कर्मचारियों के दिन निर्धारित किये गये है। गश्त की सुरक्षा के लिए बनाये गये प्लान के अनुसार गश्ती का प्रतिवेदन रोजाना मुख्यालय भेजा रहा है। जिससे गश्ती में लापरवाही ना हो पाये। कान्हा नेशनल पार्क में पैदल और हाथियों के सहारे गश्ती की जा रही है। कान्हा में 16 हाथी है। इस साल कान्हा, किसली और मुक्की में हाथियों से गश्ती की जा रही है। एक माह में 15 दिन हाथी का संवेदनशील और दुर्गम इलाकों में गश्ती में उपयोग किया जा रहा है।
कर्मचारियों के स्वास्थ्य का ख्याल
कान्हा नेशनल पार्क में बारिश के दौरान नमी, मच्छर और दूषित पानी पीने के कारण मलेरिया, पीलिया, गेस्ट्रोराइटिस बीमारी फैलन की संभावना रहती है। कर्मचारियों को पानी उबालकर पीने, मच्छरदानी का उपयोग और प्राथमिक उपचार के लिए दवाईयों की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा कर्मचारियों और उनके परिवार के लिए माह में हर परिक्षेत्र में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है।
घुसपैठ ना हो इसके लिए कर्मचारी, श्रमिक चौकन्ने
कान्हा नेशनल पार्क में संवदेनशील इलाके और पगडंडियों को चिह्नित किया गया है। यहां गश्ती के दौरान विशेष निगरानी की जा रही है। कान्हा नेशनल पार्क में 649 संवेदनशील इलाके है। इनको 38 वर्ग में विभाजित किया गया है। यहां करीब 150 से अधिक पगडंडी 1284 किलोमीटर की है। घुसपैठ के अंदेशा को देखते हुये कर्मचारियों और श्रमिकों का दल यहां 24 घंटे नजर बनाये हुए है। कैंप में मौजूद वनरक्षक और 2 श्रमिक निगरानी करते है। जिससे घुसपैठ ना हो। बता दे कि कान्हा में कुछ ऐसे क्षेत्र है, जहां कैंप से स्टॉफ को जाने में समय लग जाता है। इन संवेदनशील इलाके में दस अस्थाई कैंप भी बनाये गये है। कान्हा मुक्की, भैसानघाट, सूपखार, फेन अभ्यारण में कैंप संचालित है। यहां कैंप में कर्मचारियों के साथ निर्धारित रात्रि में अधिकारी भी रूक रहे है।
01 अक्टूबर से फिर पर्यटन
बारिश के बाद 1 अक्टूबर से कान्हा मे पर्यटन शुरू कर दिया जाएगा। जिस जोन में सड़क तैयार हो जाएगी और पयर्टन में आसानी होगी, वहां पर्यटन कराया जाएगा। 15 अक्टूबर से बारिश के आसार नहीं रहते है। जिससे 16 अक्टूबर से कोर एरिया के सभी जोन में पर्यटन चालू हो जाएगा। कान्हा नेशनल पार्क में बाघ के दीदार के लिए देशी-विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आते है। यहां बारिश के तीन माह पर्यटन बंद रहता है। बारिश के कारण पार्क में मार्ग खराब हो जाते है। जिससे आवागमन संभव नहीं हो पाता है। जंगल में प्रवेश करना खतरे से खाली नहीं होता। वन्य प्राणी व जीव जंतु का भी खतरा बना रहता है। वन्यप्राणियो के प्रजननकाल का भी समय यही रहता है। जिससे बारिश के सीजन में पर्यटन प्रतिबंधित किया जाता है।