अभिषेक अग्रवाल उमरिया
जहां एक ओर प्रशासन किसानों और वन्य प्राणियों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं लेकर आती है, वहीं अधिकारी अपने दबंगई के नाम योजनाओं को अपने अनुसार चालना चाहते है, हाल ही में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व इन दिनों वन्यजीव संरक्षण से ज्यादा प्रशासनिक विवादों को लेकर चर्चा में है। इलाके के रेंजर अर्पित महारल एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। कांग्रेस नेता कुनाल चौधरी ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा कर रेंजर पर गंभीर आरोप लगाए हैं और भाजपा सरकार को भी कठघरे में खड़ा किया है।
कुनाल चौधरी ने कहा भाजपा सरकार का प्रशासन कोर्ट के आदेश को अपनी जेब में रख जनता से तलवे चटवा रहा है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के रेंजर जिसके क्षेत्र में 10 हाथियों की मौत हुई थी उस मामले को दबा गए और अब ग्रामीण किसानों के साथ लगातार बदसलूकी की जा रही है।
वायरल वीडियो में ग्रामीण किसानों और अधिकारियों के बीच तीखी बहस देखी जा सकती है। किसानों का आरोप है कि रेंजर ने कथित रूप से तलवे चाटने जैसी भाषा का प्रयोग किया, जिससे जनाक्रोश भड़क गया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है।
जब इस विवाद पर रेंजर अर्पित मैराल से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि यह मामला 150 एकड़ वनभूमि पर अवैध कब्जा हटाने का है। हमारी 100 से ज्यादा कर्मचारियों की टीम वहां गई थी। अतिक्रमण हटाने के दौरान गांव वालों का विरोध हुआ और कुछ गहमा-गहमी हो गई।
रेंजर ने वीडियो में आए आरोपों को नकारते हुए कहा कि जो व्यक्ति इस वीडियो को फैला रहा है वह पहले वन विभाग में कार्यरत था लेकिन अनुशासनहीनता के चलते हटा दिया गया था। यह पूरी साजिश उसी की है। मैंने किसानों और गांव वालों के लिए ऐसा कुछ नहीं कहा।
हालांकि किसान संघ इससे सहमत नहीं हैं। किसान संघ के जिला अध्यक्ष अभिषेक अग्रवाल का कहना है कि रेंजर का रवैया पहले से ही तानाशाही वाला रहा है। यह पहली बार नहीं है जब रेंजर ने किसानों के साथ बदसलूकी की है। कई बार अपशब्द बोले गए हैं और किसान संघ बात तक नहीं सुनी जाती।
अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या सरकार इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को जवाबदेह बनाएगी, या फिर यह मुद्दा भी अन्य फाइलों की तरह बंद कर दिया जाएगा।