सेवानिवृत्त कांतिलाल पराडके का वैवाहिक अभिनंदन! संघर्ष गाथा - NN81

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सेवानिवृत्त कांतिलाल पराडके का वैवाहिक अभिनंदन! संघर्ष गाथा - NN81

02/06/2025 | जून 02, 2025 Last Updated 2025-06-02T06:39:07Z
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महारास्ट्र नंदुरबार (जाविद शेख )


शहादा प्रतिनिधि: सहायक यातायात निरीक्षक एवं समाजसेवी कांतिलाल पराडके का सेवानिवृत्ति समारोह अक्कलकुवा में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कांतिलाल एस पराडके एवं उनकी धर्मपत्नी निर्मलाबाई कांतिलाल पराडके का अभिनंदन किया गया। सरकारी सेवानिवृत्ति के पश्चात शेष मधुर जीवन समाजोन्मुखी कार्यों में जनता, गरीब एवं वंचितों के प्रति समर्पण की भावना के साथ शैक्षणिक, सामाजिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक, धार्मिक कार्यों में व्यतीत हो, समाज में एक-दूसरे को सुख देने एवं प्राप्त करने का कार्य हो। ऐसी शुभकामनाएं दी गई। 


कांतिलाल एस पराडके की कक्षा एक से सात तक की प्राथमिक शिक्षा शासकीय आदिवासी आश्रम विद्यालय, रानीपुर तालुका, शहादा जिला, नंदुरबार में हुई। वर्ष 1970 के पश्चात उन्होंने कक्षा आठ से दस तक की शिक्षा पंडित जवाहरलाल नेहरू विद्यालय एवं जूनियर कॉलेज, बोराडी तालुका, शिरपुर जिला, धुले में पूरी की। उन्होंने एस.पी.डी.एम. में प्रवेश लिया। कॉलेज, शिरपुर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और टी.वाई.बी.कॉम की शिक्षा पूरी की। वे आदिवासी छात्र संघ के सचिव थे और उस समय आदिवासी क्षेत्र में बड़ी मात्रा में अतिक्रमण था, यानी वन भूमि पर आदिवासियों के अधिकार, जिसके नेतृत्व में उन्होंने आदिवासियों को जमीन दिलाई। उन्होंने वन अधिकार के तहत आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और उन्होंने संगठन का पूरा नेतृत्व किया। उन्होंने महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम कर्मचारी संघ, अक्कलकुवा डिपो के सचिव के रूप में भी काम किया। वर्ष 2025 में उन्हें सहायक यातायात निरीक्षक के पद पर पदोन्नत किया गया और 35 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद 31 मई 2025 को सेवानिवृत्त हुए। आज से 30 से 35 वर्ष पूर्व अक्कलकुवा जैसे स्थान पर, सभी ओर किसी भी प्रकार की कल्याणकारी व्यवस्था या परिस्थिति का अभाव होते हुए भी, अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में भी, उस समय की कठोरतम परिस्थितियों में भी, हमारे साथ-साथ, स्वयं और अपने परिवार के साथ-साथ उस अल्प वेतन वाली नौकरी, अनेक पारिवारिक जिम्मेदारियों और प्रत्येक की अस्थिर मनःस्थिति और मानसिकता को संभाले रखने का दृढ़ प्रयास करने वालों में कांतिलाल पराडके भी एक थे।