गुना जिले से संवाददाता बलवीर जोगी
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का पर्व सबसे बड़ा पर्व माना जाता है इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते हैं क्योंकि शनि देव मकर राशि के स्वामी है इसलिए इस मकर संक्रांति कहा जाता है मानता है कि मकर संक्रांति के दिन पानी में काले तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान करने से कुंडली के ग्रह दोष दूर हो जाते हैं साथ ही सूर्य देव की कृपा भी प्राप्त होती है मकर संक्रांति पर स्नान दान का बहुत महत्व रहता है मकर संक्रांति का उत्सव भगवान सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है
भक्त इस दिन भगवान सूर्य की पूजा कर आशीर्वाद मांगते हैं इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत और नई फसलों की कटाई शुरू हो जाती है मकर संक्रांति ऐतिहासिक पर्व है मकर संक्रांति की शुरुआत 1000 साल पहले 1 जनवरी को मनाई गई थी इसके बाद 500 साल बाद 10 और 11 जनवरी को मनाई गई 2050 साल पहले 11 और 12 जनवरी को मनाई गई सन 1900 से 2077 14 और 15 जनवरी को मनाई गई जब से ही मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है
हिंदू धर्म की माने तो मकर संक्रांति के दिन मंदिरों में पूजा अर्चना होती है और सूर्य भगवान की पूजा की जाती है और दान और धर्म का इसका सबसे बड़ा महत्व रहता है