राम का नाम और उनके गुण दोनों ही सुंदर है : NN81

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राम का नाम और उनके गुण दोनों ही सुंदर है : NN81

04/01/2024 | January 04, 2024 Last Updated 2024-01-04T05:25:36Z
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 राम का नाम और उनके गुण दोनों ही सुंदर है। ....मालव माटी के संत गोविंद जाने की राम कथा का दूसरा दिवस


रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर एमपी 



 नगर में चल रही संत श्री गोविंद जानने की कथा के तीसरे दिवस पर आज मधुर वचन सुनते हुए संत श्री ने जीवन मंत्र और रघुकुल के संस्कारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि,

जीवन में हमेशा लिखे हुए कागज की तरह ही बनो लिखे हुए कागज मूल्यवान होते हैं रद्दी और कोरे कागज की तरह बनोगे तो रोड पर फेंक दिए जाओगे अपने जीवन की किताब में अनमोल शब्द लिखने का प्रयास करो ताकि आपकी हमेशा कद्र होती रहे। जो बदला लेने की भावना रखें वह दृष्टि है पर जो दुष्ट को भी बदल दे वही संत और महात्मा है हमेशा बदले की नहीं बदलने के भाव रखो, भक्ति करो तो मीराबाई जैसी करो भक्ति करने में धान की आवश्यकता नहीं होती है राजा की बेटी अपने राजपथ को त्याग कर गोवर्धन की धुन में लग गई एक दिन गोविंद को स्वयं उनके घर आना पड़ा भक्ति में ही सच्ची शक्ति है मेरा तो गिरधर नागर दूसरों ना कोई जिस दिन धन से नहीं धणी से प्रेम हो जाएगा उस दिन गिरधर आपसे मिलने आएगा, भजन करते समय मेरा अपना तुम्हारा अच्छा बुरा सामने आ गया तो समझो आपका भजन व्यर्थ है, जिन्होंने गुरु मंत्र की ज्यादा हासिल कर ली जिनके मन में गुरुमुखी है वह एक दिन रघुनाथ जी से गुण धारण कर लेता है, कथा को सुन लेने से कुछ भी नहीं होता कथा को सार्थक आत्मा में पी लेने से आपका भला होता है यह अमृत रूपी शब्द आपके जीवन को धन्य करते हैं,



जब जब होई धर्म की हानि, बारहि असुर अधम अभिमानी.

तब तब धर प्रभु विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सच्जन पीड़ा.

जाब जब इस धरती पर धर्म की हानि होगी, असुरों और अधर्मियों का अन्याय धरती पर बढ़ जाएगा. तब तब प्रभु अलग अलग रूपों में अवतार लेकर धरती पर आयेंगे, और सच्जनों और साधु संतों को उन अधर्मियों के अन्याय से मुक्ति दिलाएंगे. 


अवधपुरीं रघुकुलमनि राऊ। बेद बिदित तेहि दसरथ नाऊँ॥

धरम धुरंधर गुननिधि ग्यानी। हृदयँ भगति भति सारँगपानी॥

अवधपुरी में रघुकुल शिरोमणि दशरथ नाम के राजा हुए, जिनका नाम वेदों में विख्यात है। वे धर्मधुरंधर, गुणों के भंडार और ज्ञानी थे। उनके हृदय में शार्गंधनुष धारण करनेवाले भगवान की भक्ति थी, और उनकी बुद्धि भी उन्हीं में लगी रहती थी।


कथा स्थल में मुख्य रूप से डॉ मनोज नागर,बंटी मेवाडा,चेतन सिंह ठाकुर, चेतन वर्मा,राजा मेवाडा, जुगल पटेल, नानुराम मेवाडा, चन्दर ठेकेदार, धीरप सिंह, विजय खंडेलवाल, सौभल सिंह मुलगी, बलभहादुर भगत ,जुगल मालवीय,जितेन्द्र सिलोठिया,कमल सिंह चौहान,जय हिंद शर्मा सीहोर,जटल सिंह, सांध्य बजाज , भागवती सोनी, शैल बाला शर्मा,मनीषा नागर विनीता माहेश्वरी,टीना पांचाल ,सुरुचि सिंह, संगीता शुक्ला, आदि।