सतलोक आश्रम बैतूल में संपन्न हुआ 432 यूनिट रक्तदान व 101 जोड़ों का दहेज मुक्त विवाह : NN81

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सतलोक आश्रम बैतूल में संपन्न हुआ 432 यूनिट रक्तदान व 101 जोड़ों का दहेज मुक्त विवाह : NN81

19/02/2024 | फ़रवरी 19, 2024 Last Updated 2024-02-19T17:11:05Z
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 सतलोक आश्रम बैतूल में संपन्न हुआ 432 यूनिट रक्तदान व 101 जोड़ों का दहेज मुक्त विवाह


चार दिवसीय दिव्य समागम में पहुंच रहे 13 राज्यों से कई लाखों लोग





मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के ग्राम उड़दन स्थित सतलोक आश्रम में जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के 37वें बोध दिवस और कबीर परमेश्वर के 506वें निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में महाविशाल समागम चल रहा है। जिसमें संत गरीबदास जी की अमरवाणी के खुले पाठ, महाविशाल भंडारे, आध्यात्मिक सत्संग,रक्तदान/देहदान, आध्यात्मिक प्रदर्शनी व दहेज़ रहित शादी का आयोजन 17-20 फरवरी 2024 तक किया जा रहा है। जिसमें 13 राज्यों से लाखों संख्या में लोग पहुंच रहे हैं और भंडारे का आनंद ले रहे हैं।


वहीं इस महाविशाल चार दिवसीय महासमागम के तीसरे दिन यानी 19 फरवरी (सोमवार) को आश्रम में अंतर्जातीय सामूहिक दहेज रहित शादी का भी आयोजन किया गया। जिसमें मात्र 17 मिनिट में गुरुवाणी द्वारा 101 जोड़ों का दहेज मुक्त विवाह संपन्न हुआ। बता दें, इस विवाह में किसी प्रकार का आडंबर देखने को नहीं मिला,विवाह के सभी जोड़े सिंपल कपड़ो में बैठे रहे व अपने गुरुदेव जी की अमरवाणी को सुनकर सादगीपूर्ण तरीके से विवाह के पवित्र बंधन में बंध गए। साथ ही अनुयायियों द्वारा बैतूल जिला अस्पताल को गरीबों के लिए 432 यूनिट रक्त का दान भी किया गया व 4265 देहदान के फार्म भी भरे गए। समागम के तीसरे दिन तक संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझकर 2185 लोगों ने संत जी से निःशुल्क नामदीक्षा प्राप्त कर अपना मानव जीवन सफल बनाया। 


वहीं खबर के अनुसार, 17 फरवरी 1988 को जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी को स्वामी रामदेवानंद जी से नाम दीक्षा प्राप्त हुई थी, इस दिन की याद बनाए रखने और लोगों को सतभक्ति का संदेश देने के लिए प्रतिवर्ष 17 फ़रवरी को बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है। वहीं आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व ब्राह्मणों ने भ्रांति फैला रखी थी कि "काशी में मरने वाला स्वर्ग और मगहर में मरने वाला नरक में जाता है व गधा बनता है।" उस समय कबीर परमेश्वर ने ब्राह्मणों की इस भ्रांति को मिटाने के लिए वि. स. 1575 (सन् 1518) माघ महीने की शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को सहशरीर सतलोक गए थे। उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले, जिन्हें आपस में बांटकर हिन्दू व मुसलमानों ने उसी स्थान पर 100-100 फिट की दूरी पर दो यादगार बना लीं थी, जोकि आज भी मगहर (वर्तमान जिला संत कबीर नगर, उत्तरप्रदेश) में विद्यमान हैं। इन्हीं दोनों दिनों का दिव्य संयोग इस साल एक साथ हुआ है जिसके कारण ही यह दिव्य समागम एक साथ मनाया जा रहा है। समागम में प्रशासन के आला अधिकारी SDM, तहसीलदार,ASP, नगर निरीक्षक,कई जनप्रतिनिधिगण व शहर के गणमान्य लोग पहुंचे थे उन्होंने आश्रम की व्यवस्था व साफ सफाई को देखकर कार्यक्रम की खूब सराहना की।