साधु संतों के शब्द सुनकर मन में उतारें -- मुनिश्री भूतबलि सागर महाराज
पूजन भाव से करना चाहिए --मुनि सागर महाराज
रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर एमपी
आष्टा।साधु संतों के शब्द सुनकर मन में उतारें
भोजन और पूजन में जल्दी -जल्दी नहीं करना चाहिए। भोजन तन के लिए और पूजन मन के लिए है। पूजन भाव से करने पर मन साफ सुथरा होता है। पर्व मन के अंदर का कूड़ा - कचरा साफ करने का है। समाज व कुटुम्ब में सोच बदलनी चाहिए। चाहे मांगलिक कार्य हो या पारिवारिक आदि कार्य के साथ साथ अपने घरों में भी नित्य दिन में भोजन व खाद्य पदार्थ का सेवन करें और कराएं। भारतीय परम्परा के खिलाफ है रात्रि भोजन।
उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर नंदीश्वर द्वीप महामण्डल विधान के दौरान पूज्य गुरुदेव मुनिश्री भूतबलि सागर महाराज एवं मुनि सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। आपने कहा कि हमें वीतरागता पर ध्यान देना होगा। मुनिश्री भूतबलि सागर महाराज ने कहा रोटी को पीना चाहिए और पानी को खाना चाहिए।रोटी को बत्तीस बार चबा चबाकर खाने से वह रस के समान बन जाएंगी और उसे पीलो, वही पानी को धीरे-धीरे पीना अर्थात खाना चाहिए। कभी भी मन में ईर्ष्या भाव न रखें। आष्टा का यह किला मंदिर छोटा सम्मेद शिखर जी है, यहां पर धर्म - आराधना नित्य करते रहे। मुनि सागर महाराज ने कहा कि व्यक्ति पूरी जिंदगी धन अर्जित करने में बीता देता है और जब मृत्यु होने पर श्मशान घाट पर
कफन भी अंत्येष्टि के दौरान हटा देते हैं। कुछ भी साथ नहीं जाएगा। धन का सही उपयोग करें। आपने कहा कि बच्चों से पूछों की कहां रहते हो, तो उत्तर मिलता है कि माता-पिता मेरे साथ है, जबकि कहना चाहिए कि माता-पिता के साथ में रहता हूं। न सोना काम आएगा,न चांदी काम आएगी। भोजन में सोना, चांदी , हीरा,जबारत नहीं सब्जी, रोटी ही सेवन करना होगी। समाज में उन्नति होना है। दिया तले अंधेरा है, पिड़ावा धर्म और कर्म के क्षेत्र में आष्टा से बहुत आगे है। समाज विकसित हो। विकल्प नहीं करें।