ग्राम भगवंत नगला में मनाई गई बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर की 133 बी जयंती

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ग्राम भगवंत नगला में मनाई गई बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर की 133 बी जयंती

15/04/2024 | April 15, 2024 Last Updated 2024-04-15T08:11:10Z
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ग्राम भगवंत नगला में मनाई गई बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर की 133 बी जयंती 

संविधान के रचयिता बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 133 वी जयंती रविवार 14 अप्रैल 2024 को ग्राम भगवंत नगला के गांव  में बड़ी धूमधाम से मनाई गई 

ब्यूरो रिपोर्ट अमरजीत कुमार (W.D.)

संविधान रचयिता बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 133 वी जयंती रविवार 14 अप्रैल 2024 को ग्राम भगवंत नगला  के  गांव  में बड़ी धूमधाम से मनाई गई। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कुलदीप सिंह सागर अध्यक्ष, विशाल गौतम, नबाब सिंह, अनुज कुमार, शिलेन्द्र कुमार, अखिलेश कुमार, अमरजीत कुमार, ब्रज्मोहम,  अन्य ग्राम बासी लोग  इस प्रोग्राम में आए और  सभी अतिथियों ने  अंबेडकर जी की प्रीतिमा रखकर फूलमाला  पहनाकर स्वागत किया और केक भी काटा गया और अंबेडकर सेवा समिति के सदस्यों और कार्यक्रम में आए हुए सभी अतिथियों व ग्रामीणों ने संविधान के रचयिता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कर उन्हें नमन किया गया। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने गोष्ठी कर उनकी शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। और ग्राम भगवंत नगला से अंबेडकर सेवा समिति सदस्यों द्वारा पंचशील ध्वज दिखाकर शोभायात्रा को रवाना किया।  और सभी भगवंत नगला के ग्राम बासी ने मिलकर DJ लगाकर बाबा साहब के भजन कीर्तन गाकर सभी ग्राम बासी ने डांस भी किया और सभी ग्रामवासी उपस्थित रहे।

बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर जीवन परिचय हिंदी

डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक महार परिवार में हुआ था. उस समय भारत में जाति व्यवस्था बहुत कठोर थी और उन्हें बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा. हालांकि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत मेहनत की और विदेशों में भी पढ़ाई की.

डॉ भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय

Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi

Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi: सहृदय नेता डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में स्थित ‘महू’ में हुआ था जिसका नाम आज बदलकर डॉ.अंबेडकर नगर कर दिया गया है। डॉ. भीमराव अंबेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। डॉ. भीमराव अंबेडकर जाति से दलित थे। उनकी जाति को अछूत जाति माना जाता था। इसलिए उनका बचपन बहुत ही मुश्किलों में व्यतीत हुआ था।

बाबासाहेब अंबेडकर सहित सभी निम्न जाति के लोगों को सामाजिक बहिष्कार, अपमान और भेदभाव का सामना करना पड़ता था। किंतु उन्होंने जीवन में आयी सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया व दुनिया में अपनी एक विशिष्ठ पहचान बनाई। आइए अब हम इस ब्लॉग के माध्यम से डॉ. भीमराव अंबेडकर के संपूर्ण जीवन परिचय (Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi) के बारे में विस्तार से जानते है।

जन्म 14 अप्रैल 1891 

मध्य प्रदेश, भारत में

जन्म का नाम भिवा, भीम, भीमराव, बाबासाहेब अंबेडकर

अन्य नाम बाबासाहेब अंबेडकर

राष्ट्रीयता भारतीय

धर्म बौद्ध धर्म

शैक्षिक सम्बद्धता • मुंबई विश्वविद्यालय (बी॰ए॰)

• कोलंबिया विश्वविद्यालय

(एम॰ए॰, पीएच॰डी॰, एलएल॰डी॰)

लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स 

(एमएस०सी०,डीएस॰सी॰)

ग्रेज इन (बैरिस्टर-एट-लॉ)

पेशा विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ,

शिक्षाविद्दार्शनिक, लेखक पत्रकार, समाजशास्त्री, मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्, धर्मशास्त्री, इतिहासविद् प्रोफेसर, सम्पादक

व्यवसाय वकील, प्रोफेसर व राजनीतिज्ञ

जीवन साथी  रमाबाई अंबेडकर       

(विवाह 1906- निधन 1935) 

 डॉ० सविता अंबेडकर      

( विवाह 1948- निधन 2003) 

बच्चे यशवंत अंबेडकर

राजनीतिक दल    

                   शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन

स्वतंत्र लेबर पार्टी

भारतीय रिपब्लिकन पार्टी

अन्य राजनीतिक संबद्धताऐं                    सामाजिक संगठन:

• बहिष्कृत हितकारिणी सभा

• समता सैनिक दल

शैक्षिक संगठन:

• डिप्रेस्ड क्लासेस एज्युकेशन सोसायटी

• द बाँबे शेड्युल्ड कास्ट्स इम्प्रुव्हमेंट ट्रस्ट

• पिपल्स एज्युकेशन सोसायटी

धार्मिक संगठन:

भारतीय बौद्ध महासभा

पुरस्कार/ सम्मान • बोधिसत्व (1956) 

• भारत रत्न (1990) 

• पहले कोलंबियन अहेड ऑफ देअर टाईम (2004) 

• द ग्रेटेस्ट इंडियन (2012)

मृत्यु 6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65)       

डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक, नयी दिल्ली, भारत

समाधि स्थल  चैत्य भूमि,मुंबई, महाराष्ट्र

THIS BLOG INCLUDES:

बाबासाहेब अंबेडकर का बचपन

बाबासाहेब अंबेडकर की शिक्षा

कोलंबिया यूनिवर्सिटी में मास्टर्स

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मास्टर्स

रचनावली

डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित पुस्तकें

बाबासाहेब अंबेडकर के पास कितनी डिग्री थी?

प्रयत्नशील सामाजिक सुधारक डॉ भीमराव अंबेडकर

भीम राव अंबेडकर जीवनी: छुआछूत विरोधी संघर्ष

डॉ भीमराव अंबेडकर बनाम गांधी जी

डॉ भीमराव अंबेडकर राजनीतिक सफर

पुरस्कार एवं सम्मान

डॉ भीमराव अंबेडकर का निधन

बाबासाहेब अंबेडकर के बारे में रोचक तथ्य

बाबासाहेब अंबेडकर के कुछ महान विचार

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

FAQs

बाबासाहेब अंबेडकर का बचपन

डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi) और उनके पिता मुंबई शहर के एक ऐसे मकान में रहने गए जहां एक ही कमरे में पहले से बेहद गरीब लोग रहते थे इसलिए दोनों के एक साथ सोने की व्यवस्था नहीं थी तो बाबासाहेब अंबेडकर और उनके पिता बारी-बारी से सोया करते थे। जब उनके पिता सोते थे तो डॉ भीमराव अंबेडकर दीपक की हल्की सी रोशनी में पढ़ते थे। भीमराव अंबेडकर संस्कृत पढ़ने के इच्छुक थे, परंतु छुआछूत की प्रथा के अनुसार और निम्न जाति के होने के कारण वे संस्कृत नहीं पढ़ सकते थे। परंतु ऐसी विडंबना थी कि विदेशी लोग संस्कृत पढ़ सकते थे। भीम राव अंबेडकर जीवनी में अपमानजनक स्थितियों का सामना करते हुए डॉ भीमराव अंबेडकर ने धैर्य और वीरता से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई।

डॉ भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय PDFDownload

बाबासाहेब अंबेडकर की शिक्षा

Bhimrao Ambedkar

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने सन् 1907 में मैट्रिकुलेशन पास करने के बाद ‘एली फिंस्टम कॉलेज‘ में सन् 1912 में ग्रेजुएट हुए। सन 1913 में उन्होंने 15 प्राचीन भारतीय व्यापार पर एक शोध प्रबंध लिखा था। डॉ.भीमराव अंबेडकर ने वर्ष 1915 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए की डिग्री प्राप्त की। सन् 1917 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर ली। बता दें कि उन्होंने ‘नेशनल डेवलपमेंट फॉर इंडिया एंड एनालिटिकल स्टडी’ विषय पर शोध किया। वर्ष 1917 में ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में उन्होंने दाखिला लिया लेकिन साधन के अभाव के कारण वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाए।

कुछ समय बाद लंदन जाकर ‘लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स‘ से अधूरी पढ़ाई उन्होंने पूरी की। इसके साथ-साथ एमएससी और बार एट-लॉ की डिग्री भी प्राप्त की। वह अपने युग के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे राजनेता और एवं विचारक थे। बता दें कि वह (भीम राव अंबेडकर जीवनी) कुल 64 विषयों में मास्टर थे, 9 भाषाओं के जानकार थे, इसके साथ ही उन्होंने विश्व के सभी धर्मों के बारे में पढ़ाई की थी।

यह भी पढ़ें – सत्य, अहिंसा के पुजारी ‘महात्मा गांधी’ का संपूर्ण जीवन परिचय 

कोलंबिया यूनिवर्सिटी में मास्टर्स

कोलंबिया विश्वविद्यालय में छात्र के रूप में अंबेडकर वर्ष 1915 -1917 में 22 वर्ष की आयु में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए। जून 1915 में उन्होंने अपनी एम.ए. परीक्षा पास की, जिसमें अर्थशास्त्र प्रमुख विषय, और समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और मानव विज्ञान यह अन्य विषय थे। उन्होंने स्नातकोत्तर के लिए प्राचीन भारतीय वाणिज्य विषय पर रिसर्च कार्य प्रस्तुत किया।

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मास्टर्स

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अपने प्रोफेसरों और दोस्तों के साथ अंबेडकर सन् 1916 – 17 से सन् 1922 तक एक बैरिस्टर के रूप में लंदन चले गये और वहाँ उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट थीसिस पर काम करना शुरू किया। 

यह भी पढ़ें – ‘लौहपुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय 

रचनावली

भीम राव अंबेडकर जीवनी में महत्वपूर्ण दो रचनावलियों के नाम नीचे दिए गए हैं-

डॉ बाबासाहेब अंबेडकर राइटिंग्स एंड स्पीचेज [महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रकाशित]

साहेब डॉ अंबेडकर संपूर्ण वाड़्मय [भारत सरकार द्वारा प्रकाशित]

डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित पुस्तकें

भीम राव अंबेडकर जीवनी में बाबासाहेब समाज सुधारक होने के साथ-साथ लेखक भी थे। लेखन में रूचि होने के कारण उन्होंने कई पुस्तकें लिखी। अंबेडकर जी द्वारा लिखित पुस्तकों की लिस्ट नीचे दी गई है-

भारत का राष्ट्रीय अंश

भारत में जातियां और उनका मशीनीकरण

भारत में लघु कृषि और उनके उपचार

मूलनायक

ब्रिटिश भारत में साम्राज्यवादी वित्त का विकेंद्रीकरण

रुपए की समस्या: उद्भव और समाधान

ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का अभ्युदय

बहिष्कृत भारत

जनता

जाति विच्छेद

संघ बनाम स्वतंत्रता

पाकिस्तान पर विचार

श्री गांधी एवं अछूतों की विमुक्ति

रानाडे,गांधी और जिन्ना

शूद्र कौन और कैसे

भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म

महाराष्ट्र भाषाई प्रांत

यह भी पढ़ें – ‘पंजाब केसरी’ लाला लाजपत राय का संपूर्ण जीवन परिचय 

बाबासाहेब अंबेडकर के पास कितनी डिग्री थी?

भारत रत्न Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi के पास 32 डिग्रियों के साथ 9 भाषाओं के सबसे बेहतर जानकार थे। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मात्र 2 साल 3 महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी की थी। वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ‘डॉक्टर ऑल साइंस’ नामक एक दुर्लभ डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने वाले भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति हैं। प्रथम विश्व युद्ध की वजह से उनको भारत वापस लौटना पड़ा। कुछ समय बाद उन्होंने बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में नौकरी प्रारंभ की। बाद में उनको सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स मे राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गयी। कोल्हापुर के शाहू महाराज की मदद से एक बार फिर वह उच्च शिक्षा के लिए लंदन गए।

प्रयत्नशील सामाजिक सुधारक डॉ भीमराव अंबेडकर

डॉ बी. आर. अंबेडकर ने इतनी असमानताओं का सामना करने के बाद सामाजिक सुधार का मोर्चा उठाया। अंबेडकर जी ने ऑल इंडिया क्लासेज एसोसिएशन का संगठन किया। सामाजिक सुधार को लेकर वह बहुत प्रयत्नशील थे। ब्राह्मणों द्वारा छुआछूत की प्रथा को मानना, मंदिरों में प्रवेश ना करने देना,  दलितों से भेदभाव, शिक्षकों द्वारा भेदभाव आदि सामाजिक सुधार करने  का प्रयत्न किया। परंतु विदेशी शासन काल होने कारण यह ज्यादा सफल नहीं हो पाया। विदेशी शासकों को यह डर था कि यदि यह लोग एक हो जाएंगे तो परंपरावादी और रूढ़िवादी वर्ग उनका विरोधी हो जाएगा।

भीम राव अंबेडकर जीवनी: छुआछूत विरोधी संघर्ष

डॉ भीमराव अंबेडकर छुआछूत की पीड़ा को जन्म से ही झेलते आए थे। जाति प्रथा और ऊंच-नीच का भेदभाव वह बचपन से ही देखते आए थे और इसके स्वरूप उन्होंने काफी अपमान का सामना किया। डॉ भीमराव अंबेडकर ने छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष किया और इसके जरिए वे निम्न जाति वालों को छुआछूत की प्रथा से मुक्ति दिलाना चाहते थे और समाज में बराबर का दर्जा दिलाना चाहते थे। 1920 के दशक में मुंबई में डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपने भाषण में यह साफ-साफ कहा था कि “जहां मेरे व्यक्तिगत हित और देश हित में टकराव होगा वहां पर मैं देश के हित को प्राथमिकता दूंगा परंतु जहां दलित जातियों के हित और देश के हित में टकराव होगा वहां  मैं दलित जातियों को प्राथमिकता दूंगा।” वे दलित वर्ग के लिए मसीहा के रूप में सामने आए जिन्होंने अपने अंतिम क्षण तक दलितों को सम्मान दिलाने के लिए संघर्ष किया। सन् 1927 में अछूतों को लेने के लिए एक सत्याग्रह का नेतृत्व किया। और सन् 1937 में मुंबई में उच्च न्यायालय में मुकदमा जीत लिया।

डॉ भीमराव अंबेडकर बनाम गांधी जी

सन् 1932 में पुणे समझौते में गांधी और अंबेडकर आपसी विचार विमर्श के बाद एक मार्गदर्शन पर सहमत हुए। वर्ष 1945 में अंबेडकर ने हरिजनों का पक्ष लेने के लिए महात्मा गांधी के दावे को चुनौती दी और व्हॉट कांग्रेस एंड गांधी हैव डन टू द अनटचेबल्स ( सन् 1945) नामक लेख लिखा l सन् 1947 अंबेडकर भारत सरकार के कानून मंत्री बने डॉ. भीमराव अंबेडकर गांधीजी और कांग्रेस के उग्र आलोचक है । 1932 में ग्राम पंचायत बिल पर मुंबई की विधानसभा में बोलते हुए अंबेडकर जी ने कहा : बहुतों ने ग्राम पंचायतों की प्राचीन व्यवस्था की बहुत प्रशंसा की है । कुछ लोगों ने उन्हें ग्रामीण प्रजातंत्र कहां है । इन देहाती प्रजातंत्रों का गुण जो भी हो, मुझे यह कहने में जरा भी दुविधा नहीं है कि वे भारत में सार्वजनिक जीवन के लिए अभिशाप हैं । यदि भारत राष्ट्रवाद उत्पन्न करने में सफल नहीं हुआ यदि भारत राष्ट्रीय भावना के निर्माण में सफल नहीं हुआ, तो इसका मुख्य कारण मेरी समझ में ग्राम व्यवस्था का अस्तित्व है।

डॉ भीमराव अंबेडकर राजनीतिक सफर

वर्ष 1936 में बाबा साहेब जी ने स्वतंत्र मजदूर पार्टी का गठन किया था। सन् 1937 के केन्द्रीय विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 15 सीट की जीत मिली। अम्बेडकर जी अपनी इस पार्टी को आल इंडिया शीडयूल कास्ट पार्टी में बदल दिया, इस पार्टी के साथ वे 1946 में संविधान सभा के चुनाव में खड़े हुए, लेकिन उनकी इस पार्टी का चुनाव में बहुत ही ख़राब प्रदर्शन रहा। कांग्रेस व महात्मा गाँधी ने अछूते लोगों को हरिजन नाम दिया, जिससे सब लोग उन्हें हरिजन ही बोलने लगे, लेकिन अम्बेडकर जी को ये बिल्कुल पसंद नहीं आया और उन्होंने उस बात का विरोध किया था। उनका कहना था अछूते लोग भी हमारे समाज का एक हिस्सा है, वे भी बाकि लोगों की तरह आम व्यक्ति ही हैं। अम्बेडकर जी को रक्षा सलाहकार कमिटी में रखा गया व वाइसराय एग्जीक्यूटिव परिषद  उन्हें लेबर का मंत्री बनाया गया था। बाबा साहेब आजाद भारत के पहले कानून मंत्री भी बने थे।

पुरस्कार एवं सम्मान

बाबा साहेब अंबेडकर को अपने महान कार्यों के चलते कई पुरस्कार भी मिले थे, जो इस प्रकार हैं:

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का स्मारक दिल्ली स्थित उनके घर 26 अलीपुर रोड में स्थापित किया गया है।

अंबेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश रखा जाता है।

1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।

कई सार्वजनिक संस्थान का नाम उनके सम्मान में उनके नाम पर रखा गया है जैसे कि हैदराबाद, आंध्र प्रदेश का डॉ. अम्बेडकर मुक्त विश्वविद्यालय, बी आर अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय- मुजफ्फरपुर।

डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा नागपुर में है, जो पहले सोनेगांव हवाई अड्डे के नाम से जाना जाता था।

अंबेडकर का एक बड़ा आधिकारिक चित्र भारतीय संसद भवन में प्रदर्शित किया गया है।

डॉ भीमराव अंबेडकर का निधन

डॉ भीमराव अंबेडकर सन 1948 से मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित थे और वह 1954 तक बहुत बीमार रहे थे। 3 दिसंबर 1956 को डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध और धम्म उनके को पूरा किया और 6 दिसंबर 1956 को अपने घर दिल्ली में अपनी अंतिम सांस ली थी। बाबा साहेब का अंतिम संस्कार चौपाटी समुद्र तट पर बौद्ध शैली में किया गया। इस दिन से अंबेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश रखा जाता है।

बाबासाहेब अंबेडकर के बारे में रोचक तथ्य

Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi के बारे में रोचक तथ्य नीचे दिए गए हैं-

भारत के झंडे पर अशोक चक्र लगवाने वाले डाॅ. बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर ही थे।

डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर लगभग 9 भाषाओं को जानते थे।

भीमराव अंबेडकर ने 21 साल की उम्र तक लगभग सभी धर्मों की पढ़ाई कर ली थी।

भीमराव अंबेडकर ऐसे पहले इन्सान थे जिन्होंने अर्थशास्त्र में PhD विदेश जाकर की थी।

भीमराव अंबेडकर  के पास लगभग 32 डिग्रियां थी।

बाबासाहेब आजाद भारत के पहले कानून मंत्री थे।

बाबासाहेब ने दो बार लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन दोनों बार हार गए थे।

भीमराव अम्बेडकर हिन्दू महार जाति के थे, जिन्हें समाज अछूत मनाता था।

भीमराव अम्बेडकर कश्मीर में लगी धारा नंबर 370 के खिलाफ थे।

बाबासाहेब अंबेडकर के कुछ महान विचार

Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi के कुछ महान विचार नीचे दिए गए हैं-

1.जो कौम अपना इतिहास तक नहीं जानती है, वे कौम कभी अपना इतिहास भी नहीं बना सकती है।

2. जीवन लंबा होने के बजाए महान होना चाहिए।

   3.बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।

 4.संविधान यह एक मात्र वकीलों का दस्तावेज नहीं। यह जीवन का एक माध्यम है।

5.जो धर्म जन्म से एक को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच बताये वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।

6.जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके लिए बेईमानी है।

7.मनुष्य नश्वर है, उसी तरह विचार भी नश्वर है, एक विचार को प्रचार प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की नहीं तो दोनों मुरझा कर मर जाते हैं ।

8.यदि मुझे लगा संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो इसे जलानेवाला सबसे पहले मैं रहूँगा।

9. कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए।

10.हिम्मत इतनी बड़ी रखो के किस्मत छोटी लगने लगे ।

11.किसी का भी स्वाद बदला जा सकता है लेकिन ज़हर को अमृत में परिवर्तित नही किया जा सकता । 

12.यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।

13.अपने भाग्य के बजाए अपनी मजबूती पर विश्वास करो।

14.मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।

15.जो व्यक्ति अपनी मौत को हमेशा याद रखता है, वह सदा अच्छे कार्य में लगा रहता है।

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ भारत के संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय (Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। 

FAQs

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के पास कितनी डिग्री थी?

भीमराव अंबेडकर के पास कुल 32 डिग्रियां थीं।

बाबा साहेब की मृत्यु कैसे हुई थी?

बाबा साहेब की मृत्यु मधुमेय (डायबिटीज) से हुई थी।

भारतीय संविधान के निर्माता कौन हैं?

भारतीय संविधान के निर्माता डॉ बाबा साहेब अंबेडकर हैं।

अंबेडकर के गुरु कौन थे?

बाबा साहेब के गुरु का नाम कृष्ण केशव अंबेडकर था।

भीमराव अंबेडकर की पत्नी का नाम क्या था?

भीमराव अंबेडकर ने 2 शादी की थी, उनकी पहली पत्नी का नाम था – रमाबाई अंबेडकर और दूसरी पत्नी का पत्नी का नाम था – सावित्री अंबेडकर।

भीमराव अंबेडकर की मृत्यु कब हुई थी?

भीमराव अंबेडकर की मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को हुई थी।

डॉ भीमराव अंबेडकर ने संविधान कितने दिन में लिखा था?

डॉ भीमराव अंबेडकर ने संविधान 2 साल, 11 माह और 17 दिन में लिख दिया था।

आशा है कि आपको भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi) का संपूर्ण जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Riya Web Technology के साथ बने रहें।