संवाददाता - गजेंद्र पटेल, न्यूज़ नेशन 81 पर, जनपद बिछिया जिला मंडला
पत्थर में श्रीराम के चरण पड़ते ही बन गई सुंदर स्त्री,गौतम ऋषि के श्राप से अहिल्या बन गई थी पत्थर!
सातवें दिन अन्न में कराया अधिवास, आज करेंगे शनैय अधिवास!
*एंकर-* राजीव कालोनी झंडा चौक में स्थित श्री हनुमान मंदिर में प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा और श्री विष्णु पुराण का नौ दिवसीय आयोजन चल रहा है। यहां स्थापित होने वाली भगवान की प्रतिमाओं को प्रतिदिन अलग-अलग अधिवास भी कराकर उनका पूजन, अर्चन के साथ प्रतिदिन रूद्री निर्माण, अभिषेक के साथ आरती की जा रही है। इस धार्मिक कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रृद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है।
समिति के सदस्यों ने बताया कि विष्णु पुराण का वाचन कथा वाचिका उमा तिवारी देवी द्वारा किया जा रहा है। मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा और विष्णु पुराण के आयोजन में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों के प्रसंगों का वर्णन प्रतिदिन किया जा रहा है। पुराण के सातवें दिन विश्वामित्र, अहिल्या के उद्धार का प्रसंग भक्तों को श्रवण कराया गया। आज आठवें दिन सीता स्वयंवर और ताड़का वध का प्रसंग भक्तों को श्रवण कराया जाएगा।
अन्न से कराया भगवान को अधिवास :
श्री हनुमान मंदिर में श्रीराम दरबार के साथ श्री गणेश, श्रीलक्ष्मी नारायण, राधा कृष्ण, श्री हनुमान, काल भैरव भगवान की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजन, अर्चन के साथ अधिवास कराया जा रहा है। जिसमें पहले दिन जलाधिवास, दूसरे दिन दुग्धाधिवास, तीसरे दिन धृताधिवास, चौथे दिन फूलाधिवास, पांचवें दिन फलाधिवास, छटवें दिन विभिन्न मिष्ठान व शक्कर और सातवें दिन सभी भगवान की प्रतिमाओं का अन्नाधिवास कराया गया।
इंद्र ने किया छल, पत्थर की बन गई माता अहिल्या :
सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति झंडा चौक द्वारा आयोजित श्री विष्णु पुराण कथा में कथा वाचिका उमा तिवारी देवी कथा के सातवें दिन माता अहिल्या के उद्धार की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि जब जनकपुर में सीता स्वयंवर में विश्वामित्र के साथ भगवान राम लक्ष्मण जनकपुर के लिए जाते है, इसी दौरान रास्ते में एक पत्थर श्रीराम के चरणों से टकरा जाता है, और देखते ही देखते वह पत्थर एक सुंदर स्त्री के रूप में परिवर्तित हो जाता है। तब विश्वामित्र इस पत्थर रूपी स्त्री की कथा राम को बताते हैं। विश्वामित्र कहते है कि यह गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या हैं, जो अपने पति के श्राप के कारण पत्थर बन गई थीं। एक दिन देवराज इंद्र की निगाह अहिल्या पर पड़ी, वह उसके साथ भोग करना चाहते थे। इंद्र ने चन्द्रमा के साथ मिलकर गौतम ऋषि के साथ छल करते है और इंद्र गौतम ऋषि का रूप धारण कर अहिल्या के पास पहुंच जाते है। जब गौतम ऋृषि गंगा स्नान के बाद बाहर निकलते हैं, तभी उन्हें उनके साथ छल होने की जानकारी लगती है। यह सुनकर गौतम ऋषि वापस घर आते हैं। जहां इंद्र को अपनी पत्नी के साथ देखकर क्रोधित होकर श्राप देतेहै और अहिल्या को पत्थर बनने का श्राप देते हैं। अहिल्या के क्षमा मांगने पर गौतम ऋषि ने कहा कि भगवान के चरण स्पर्श से ही उद्धार होगा। कथा वाचिका उमा तिवारी देवी ने और अन्य प्रसंग भक्तों को सुनाए। आज आठवें दिन माता सीता के स्वयंवर का प्रसंग विष्णु पुराण में सुनाया जाएगा।