पिच्छिका और कमंडल जीने के लिए है। अच्छे काम कल पर नहीं छोड़ना चाहिए : NN81

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पिच्छिका और कमंडल जीने के लिए है। अच्छे काम कल पर नहीं छोड़ना चाहिए : NN81

02/04/2024 | April 02, 2024 Last Updated 2024-04-02T17:06:13Z
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 पिच्छिका और कमंडल जीने के लिए है। अच्छे काम कल पर नहीं छोड़ना चाहिए -- मुनि सागर महाराज 


रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर एमपी 



    आष्टा।मानव के आगे देवता भी सुंदर नहीं, नेचुरल रहे, चेहरे को ज्यादा पौता -पौती नहीं करें। लेखक भी मायाचारी को पसंद नहीं करते हैं।हम साक्षात दिखाते हैं।पिच्छिका और कमंडल जीने के लिए है। अच्छे काम कल पर नहीं छोड़ना चाहिए।साधारण व्यक्ति तृष्णा इंद्रिय को पार नहीं कर सकता है। अरहनाथ भगवान ने इसे जीत लिया था। तृष्णा के कारण दुःख उत्पन्न होता है। संसारी प्राणी मोह में उलझा रहता है।

समय का सदुपयोग करें।मरण व्यक्ति को रूलाता है। जन्म,जरा और मृत्यु तीनों को साथ लेकर मनुष्य चलता है। गुरुदेव भूतबलि सागर महाराज ने हमें जो दिया वह शास्वत है।कम से कम समाधि की भावना बनाएं।

 उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर विराजित पूज्य गुरुदेव मुनिश्री भूतबलि सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं।मुनि सागर महाराज ने कहा कि आठ कर्म ही पापी है, मोहिनी कर्म बहुत बलवान है और मुख्य शत्रु है। पुण्य प्रवृत्ति मित्र समान और पाप प्रवृत्ति शत्रु के समान है। मोहिनी कर्म का नाश करना होगा। मोहिनी कर्म के नाश करने पर ही अरिहंत पद की प्राप्ति होगी।अगर एक धागा भी शरीर पर है तो मोक्ष नहीं होगा। अच्छे काम कल पर नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि आज ही और तत्काल करना चाहिए। सादा जीवन उच्च विचार के भाव रखें। समय का मोल है,जीवन अनमोल है,इसे सफल करें।आप लोगों का पुण्य गाढ़ा है, लेकिन पुरुषार्थ कमजोर है। हमारा पुरुषार्थ गाढ़ा है, पुण्य कमजोर है। कुछ लोग अपने शरीर की शोभा बढ़ाते हैं। जबकि आत्म कल्याण बढ़ाना चाहिए। जैन मूर्तियां बनती है तो बिना राग की ।हमारी प्रतिमा और मुनि वीतरागी होते हैं। रागी और राग को आज लोग पूज रहे हैं , इसीलिए वीतरागी बनने का मन लोगों का नहीं हो रहा है।पूजा में भी राग करने लगे हैं,यह ठीक नहीं है। मुनिश्री ने कहा कि 

 बोलने के बाद भी बदलाव नहीं आ रहा है। देश के बच्चों को संस्कार नहीं दोगे तो चैत्यालय के स्थान पर वैश्यालय जाएगा। जीना है तो सुना करों।जब रोज नहाते हो तो अभिषेक भी रोज करना चाहिए। गुरु के बताए मार्ग पर चले, गुरु ने जो शिक्षा, दीक्षा दी है उस पर अमल करें। गुरु आज्ञा सर्वोपरी होना चाहिए।