नैनपुर
सत्येन्द्र तिवारी न्यूज नेशन 81के लिए नैनपुर से
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निवारी और मक्के ग्राम के बीच खेतो में लगी आग
10 से 12 एकड़ का रकबा हुआ जलकर खाख
दो किसानों की 5 एकड़ की फसल जलकर हुई खाख
घंटो तांडव मचाती रही आग
नैनपुर--/ निवारी और मक्के ग्राम के बीच कल दोपहर में खेतों में अचानक आग लग गई। लगभग 10 से 12 एकड़ के रकबे में फैली यह आग घण्टो अपना तांडव मचाती रही। बमुश्किल ग्रामीणों और नपा के फायर ब्रिगेड की मदद से इस आग पर काबू पाया गया। आग किन कारणों से लगी यह अभी अज्ञात है। मगर लोगो का कहना है कि खेतो के ऊपर से जाते बिजली के झूलते तार आपस मे टकरा गये और उनसे निकली चिनगारी ने एक भयावह रूप ले लिया। आग लगने की घटना दोपहर में हुई जिसकी जानकारी भी वहां से गुजरने वाले लोगों ने निवारी के ग्रामीणों को दी। जब तक लोग सक्रिय हो पाते तब तक खेतो में फसल के कटने के बाद रखे पैरा और गेंहू के शीला ने इसे और फैलाने में भारी मदद की। आग की इस घटना में निवारी ग्राम के किसान राजू ठाकुर और गोविंद प्रसाद ठाकुर की लगभग ढाई-ढाई एकड़ के खेत की फसल जलकर खाख हो गई। जबकि आग का तांडव संजय ठाकुर समनापुर, जगदीश ठाकुर निवारी, संतू ठाकुर निवारी के किसानो के खेतों में कहर बरपा रहा था। यह तो अच्छा था कि इन खेतो में खड़ी फसल एक या दो दिन पहले ही काटी गई थी। वरना इस घटना में इन किसानों को भी बहुत नुकसान होता और बहुत बड़े रकबे की फसल जलकर खाख हो जाती। आग की इस घटना की जानकारी पाकर नैनपुर एस डी एम श्रीमती सोनल सिडाम, तहसीलदार नितिन गौड़ मौके पर पहुंचे।
समय पर काम नही कर पाए फायर फाइटर
आग की इस घटना में नगर पालिका से दो फायर ब्रिगेड बुलाये गये थे। किसानों और ग्रामीण जनों का आरोप था कि इन फायर फाइटरों ने आग पर काबू पाने में अपेक्षाकृत बहुत देरी की। एक फाइटर का पानी ही नही फेक पा रहा था। जिससे आग फैलती गई। इस घटना में ग्राम पंचायत के पानी के टेंकरो का भी कोई उपयोग समय पर नही होने का आरोप ग्रामीणों ने लगाया है। बहरहाल आग की इस घटना और उसकी भयावहता से क्षेत्र के किसानों में दहशत व्यापत हो गई है। जिनके खेतो की फसल अभी तक नही कटी है। वे अब रातों रात अपनी फसल के काटने की जुगत में है।
नरवाई न जालाये किसान अपील
वही स्थानीय प्रशासन ने एक बार पुनः ग्रामीण जनों और अंचल के किसानों से अपील की है कि वे अपने खेतों में पराली या नरवाई न जालाये। इस तरह की कार्यवाही अब प्रतिबंधित भी है। नरवाई जलाने से ग्रीष्मकाल में आगजनी की बड़ी बड़ी घटनाओं का अंदेशा रहता है। वर्तमान समय मे देखा जाता है कि फसलों के काटने के बाद किसान अपने खेतों में सफाई करने के लिए नरवाई या पराली जलाते है। ग्रीष्मकाल में चलने वाली तेज हवा इस आग की फैलाने में मददगार होती है। जिससे इस तरह की घटनाएं भयावह रूप ले लेती हैं।