असोगा पंचायत शराब भट्टी स्थानांतरण के नाम पर तालाब और पेड़ों की बलि चढ़ाने की तैयारी: NN81

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असोगा पंचायत शराब भट्टी स्थानांतरण के नाम पर तालाब और पेड़ों की बलि चढ़ाने की तैयारी: NN81

05/05/2025 | मई 05, 2025 Last Updated 2025-05-05T06:32:48Z
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 Reported By: Gopesh Sahu

Edited By: Abhishek Vyas @abhishekvyas9


असोगा पंचायत शराब भट्टी स्थानांतरण के नाम पर तालाब और पेड़ों की बलि चढ़ाने की तैयारी:

असोगा पंचायत में शासकीय शराब भट्टी को वर्तमान स्थान से हटाकर गांव के पास शासकीय तालाब किनारे स्थानांतरित करने की तैयारी का ग्रामीणों ने विरोध शुरू कर दिया है। यह स्थानांतरण न केवल तालाब के अस्तित्व को खतरे में डाल सकता है, बल्कि वहां लगे सैकड़ों रतनजोत और अन्य पेड़-पौधों की भी बलि चढ़ने की आशंका है।

गौरतलब है कि असोगा गांव में वर्षों तक अमानक कच्ची शराब की बिक्री से परेशान ग्रामीणों ने शासन से शासकीय शराब दुकान खोलने की मांग की थी, ताकि अवैध शराब पर रोक लगे। ग्रामीणों की मांग पर पंचायत ने ग्रामसभा से प्रस्ताव पारित कर गांव से दूर एक निजी स्थान पर शराब दुकान खोलने की अनुमति दी थी। इसके बाद गांव में अवैध शराब की बिक्री में गिरावट आई और गांव में शांति का माहौल बना।

लेकिन हाल ही में हुए पंचायत चुनावों के बाद नई पंचायत द्वारा शराब दुकान को गांव के समीप शासकीय भूमि में स्थानांतरित करने की योजना बनाई गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह निर्णय कच्ची शराब माफिया के दबाव में लिया जा रहा है और इससे गांव का शांत माहौल बिगड़ सकता है।

पूर्व उपसरपंच रमेश टंडन ने बताया कि शराब दुकान के कारण गांव में अवैध शराब की बिक्री में काफी हद तक कमी आई है और अब दुकान को विवादित स्थल पर लाकर पुनः तनाव की स्थिति पैदा की जा रही है।

वहीं, वर्तमान सरपंच श्रीमती जानकी चोपड़िया का कहना है कि पंचायत दुकान को बंद नहीं करना चाहती, बल्कि निजी भूमि से हटाकर शासकीय भूमि पर संचालित करने की योजना बना रही है जिससे पंचायत को आर्थिक लाभ भी हो।

पंचायत सचिव सियाराम तारक के अनुसार, स्थानांतरण प्रस्ताव तो रखा गया है लेकिन अभी स्थल का चयन नहीं हुआ है, तालाब किनारे दुकान खोले जाने की जानकारी उन्हें नहीं है।

ग्रामीणों में इस मुद्दे को लेकर आक्रोश व्याप्त है और वे जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि दुकान को वर्तमान स्थान से न हटाया जाए। यदि प्रशासन ने ग्रामीणों की बात नहीं सुनी तो यह आंदोलन का रूप भी ले सकता है।

अब देखना यह होगा कि शासन जनहित में फैसला लेता है या विवाद को जन्म देता है।