जैन संत अजीतचन्द सागर जी ने फिर बनाया विश्व रिकॉर्ड : NN81

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जैन संत अजीतचन्द सागर जी ने फिर बनाया विश्व रिकॉर्ड : NN81

02/05/2024 | May 02, 2024 Last Updated 2024-05-01T19:15:17Z
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 *जैन संत अजीतचन्द सागर जी ने फिर बनाया विश्व रिकॉर्ड* 


*सहस्त्रावधानी से किया अलंकृत*


जैन समाज सदैव अपने कार्यों से विश्व को चकित करते आ रहा है ऐसा ही क्षण आज दिनांक 01/05/24 को मुंबई के GMCI  सरदार वल्लभ भाई पटेल स्टेडियम में १२००० हज़ार से अधिक जन मैदनी के समक्ष घटित हुआ । जिसमे सागर समुदाय के पटधर परम पूज्य गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्री नरदेव सागर सूरी जी म सा की पावनक़ारी निश्रा में अज्ञानुवर्ती परम पूज्य आचार्य देवेश श्री नयनचंद सागर जी मसा के कृपा पात्र शिष्य युवा गणिवर्य डॉ अजीतचन्द सागर म सा ने सहस्त्रावधान १००० प्रश्नों को क्रमबद्ध दोहराकर जैन संत की क्रिया और साधना से चकित कर दिया । उनके इस अविस्मरणीय साधना से प्रेरित हो महारास्त्रा के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे ने पूज्य श्री द्वारा चलाई जा रही साधना पद्धति को महारास्ट्रा के स्कूल में बच्चो के मेमोरी पॉवर को बूस्ट करने के उद्देश्य से पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की घोषणा की ।  

इस ऐतिहासिक पल के साक्षी के रूप में जैन संघ के विभिन्न समुदाय के कई आचार्य भगवंत एवं साधु साध्वी के साथ , राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के भैयाजी जोशी  सहित महारास्ट्रा हाईकोर्ट के पूर्व चीफ़ जस्टिस, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा , भारत सरकार के जीवजंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य श्री गिरीश शाह एवं कई आईएएस और आईपीएस , न्यूरोसाइंस ऑफ़ मैडिटेशन टीम के डॉ सुधीर शाह की टीम एवं फ़िल्म इंडस्ट्री के निर्माता निर्देशक सुभाष घई , महावीर जैन जैसी हस्तियो ने भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहकर इस अविस्मरणीय घटना के साक्षी बने । 


डॉ. अजीतचंद्र सागर जी महाराज को 1000 अवधान पूरे करने पर पूर्व उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री तातेड़ द्वारा "सहस्रवधानी" की उपाधि प्रदान की गई,

पूज्य आचार्य श्री नयचंद्र सागर सूरीश्वरजी महाराज के मार्गदर्शन में, उन्होंने छोटी उम्र से ही स्मरण शक्ति में असाधारण कौशल का प्रदर्शन किया, जिसकी परिणति ऐतिहासिक सहस्रवधान-1000 अवधान के रूप में हुई। सहस्रवधानी डॉ. अजीतचंद्र सागर जी महाराज ने कहा, "आज का दिन न केवल मेरी यात्रा में बल्कि मानवीय उपलब्धियों के क्षेत्र में भी एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। सहस्रवधान पूरा करना, मौके पर 1000 चीजों को याद करना, मेरे समर्पण और ध्यान की शक्ति का गहन परीक्षण रहा है। मैं इस उपलब्धि से अभिभूत हूं और अपने गुरु के मार्गदर्शन और उन सभी लोगों के समर्थन के लिए आभारी हूं जिन्होंने मेरे साथ इस क्षण को देखा और मनाया।" सरस्वती साधना अनुसंधान फाउंडेशन कर्नाटक के कुर्ग में स्थित जैन मंदिर जीरावाला धाम और सरस्वती माता मंदिर का निर्माण पूरा करने वाला है। कार्यक्रम में विविध प्रकार के प्रश्न पूछे गए, जिनमें चुनौतीपूर्ण गणितीय प्रश्न, उद्धरण और कविताएँ शामिल थीं, जिनका डॉ. अजीतचंद्र सागर जी महाराज ने विस्तृत उत्तर दिया। कार्यक्रम का एक दिलचस्प पहलू संयुक्त ध्यान था, जहाँ उनके चारों ओर एक साथ 15 प्रक्रियाएँ घटित हुईं, जो उनके असाधारण ध्यान और संज्ञानात्मक कौशल को प्रदर्शित करती हैं।

इसके पूर्व भी यह सहस्त्रावधान की क्रिया आज से ठीक ६५० साल पहले एक जैन संत मुनिसुन्दर सूरि जी म सा द्वारा विश्व रिकॉर्ड के रूप में अंकित है ।

उक्त जानकारी देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सौरभ भंडारी ने बताया कि पूज्य श्री का आगामी चातुर्मास रतलाम में ही होना तय है इस अवसर पर रतलाम देवसूर तपागच्छ जैन श्री संघ के अध्यक्ष श्री विनोद मूणत , मोहनलाल कासवा , मेघ कुमार लुनिया , गणतंत्र मेहता , उत्तम कटकानी , सचिन कासवा भी इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने और रतलाम के धर्मप्रेमी जनता को पूज्य श्री के स्वागत की तैयारियों में जुटने की अपील भी की ।