*सागर*
*नमामि गंगे अभियान के तहत जन संरक्षण संवर्धन के कार्य होंगे 5 जून से 16 जून तक*
*नमामि गंगे अभियान में जन प्रतिनिधियों स्वयंसेवी संस्थाओं की सहभागिता अनिवार्यता हो* - कलेक्टर दीपक आर्य
रिपोर्ट - संजय कुमार सेन
सागर - नमामि गंगे अभियान के तहत जन संरक्षण संवर्धन के कार्यों को प्रारंभ करें, एवं नमामि गंगे अभियान में जन प्रतिनिधियों स्वयंसेवी संस्थाओं की सहभागिता अनिवार्यता सुनिश्चित की जावे। उक्त निर्देश कलेक्टर दीपक आर्य ने नमामि गंगे अभियान कार्यक्रम के तहत आयोजित बैठक में दिए। इस अवसर पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पी.सी. शर्मा, समस्त जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, समस्त नगरीय निकायों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जन अभियान परिषद के अधिकारी सहित अन्य मौजूद थे।
कलेक्टर दीपक आर्य ने नमामि गंगे अभियान की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि नमामि गंगे अभियान के तहत जिले की समस्त पंचायतों में जल स्त्रोतों तथा नदी, तालाबों, कुआँ, बावड़ी तथा अन्य जल स्त्रोतों के संरक्षण एवं पुर्नजीवन हेतु 5 जून से 16 जून तक विशेष अभियान के संचालन होगा। जिसमें जिले के समस्त जनप्रतिनिधि सामाजिक तथा अशासकीय संस्थाओं एवं योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के अंतर्गत जन अभियान परिषद की सहभागिता अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जावे। अनेकानेक ऐसी जल संग्रहण संरचनाएं (जैसे नदी, तालाबों, कुआँ, बावड़ी आदि) उपलब्ध हैं जो कि वर्तमान में विभिन्न कारणों से अनुपयोगी हो गई हैं। जल स्त्रोतों का अविरल बनाये जाने के लिए इन संरचनाओं का पुर्नरोद्धार / जीर्णोद्धार एवं नवीनीकरण किया जाकर इन्हें उपयोगी बनाया जाना आवश्यक है।
उक्त उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर 5 जून से 16 जून तक की अवधि में प्रदेश में प्रवाहित होने वाली नदियों, तालाब एवं जल संरचनाओं के पुर्नजीवीकरण / संरक्षण का विशेष अभियान चलाया जाना है। उक्त अभियान हेतु ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग नोडल विभाग होगा। अभियान के दौरान मनरेगा योजना अंतर्गत जल संरक्षण/संवर्धन के प्रगतिरत कार्य जैसे कपिलधारा कूप, खेत तालाब, सामुदायिक तालाब इत्यादि को अभियान अवधि में अधिक से अधिक कार्य पूर्ण कराने हेतु आवश्यक प्रयास किया जाये।
इस विशेष अभियान के अंतर्गत समस्त जन प्रतिनिधि, सामाजिक तथा अशासकीय संस्थाओं एवं योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के अंतर्गत कार्यरत जन अभियान परिषद की सहभागिता सुनिश्चित कराई जानी है। अभियान का क्रियान्वयन निम्नानुसार संपादित किया जाये। जल संरक्षण तथा संवर्धन के अपूर्ण कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर इस अभियान में पूर्ण कराया जाये।
कलेक्टर दीपक आर्य ने कहा कि मनरेगा से निर्मित तालाब निर्माण के पूर्ण कार्य जो 05 वर्ष या अधिक पुराने हैं तथा जिनमें नरेगा से जीर्णोद्धार/गहरीकरण का कार्य आवश्यक है के जीर्णोद्धार/गहरीकरण का कार्य अभियान अंतर्गत लिया जाए। मनरेगा अंतर्गत अनुमत्य कार्यों को ही लिया जाए तथा शेष कार्यों हेतु अन्य मद जैसे 15 वां वित्त आयोग, टाइड फंड, पांचवां वित्त आयोग, राज्य वित्त आयोग, पंचायत निधि, सांसद/विधायक निधि इत्यादि का उपयोग किया जाए।
पुराने कुएं एवं बावड़ी जीर्णोद्धार के कार्य पूर्व वर्षों में सघनता से मनरेगा से लिए गए हैं, जीर्णोद्धार हेतु शेष बावड़ियों को मनरेगा के प्रावधानों के अनुरूप लिया जा सकता है। जल संग्रहण संरचना के पुनरोद्धार/जीर्णोद्धार के अंतर्गत मुख्य रूप से कैचमेंट क्षेत्र में अवरोध का चिन्हांकन कर उपस्थित अवरोधों/अतिक्रमण को हटाकर, फीडर चैनल बनाकर या अन्य आवश्यक उपाय कर पानी की आवक में वृद्धि किया जाना। पानी का रिसाव रोकने के लिये पडल तथा आवश्यक हर्टिंग कार्य। डूब क्षेत्र का निर्धारण कर उपस्थित अवरोधों/अतिक्रमण को हटाया जाना। पूर्व निर्मित तालाब के पाल (बंड) की मिटटी के कटाव अथवा क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में तालाब के पाल (बंड) को उसके मूल स्वरूप में पुनः निर्मित किया जाना। तालाबों की पिंचिंग, बोल्डर-टो तथा घाट आदि की मरम्मत का कार्य, वेस्ट वियर के स्थान तथा रूपांकन में सुधार कर मरम्मत कार्य, मनरेगा के अतिरिक्त अन्य मद से जल संरचनाओं से गाद निकालना एवं गहरीकरण का कार्य किया जाना तथा आवश्यकता अनुरुप नवीन फीडर चैनल /फीडर बण्ड का निर्माण व कैचमेंट क्षेत्र से अवरोधो को हटाना शाामल है।
उपरोक्त के अतिरिक्त चयनित जल संरक्षण तथा संवर्धन संरचनाओं का जीर्णोद्धार/उन्नयन कार्य स्थानीय, सामाजिक, अशासकीय संस्थाओं एवं जनभागीदारी के माध्यम से कराया जा सकता है, जिस हेतु जनभागीदारी से सहयोग प्राप्त किया जा सकता हे। जीर्णोद्धार/नवीनीकरण किये जाने वाले जल संग्रहण संरचना के कैचमेन्ट में आने वाले अतिक्रमण एवं अन्य गतिरोधों को दूर करना। क्रियान्वयन के दौरान जनभागीदारी श्रम, सामग्री, मशीनरी अथवा धन राशि के रूप में सहयोग,जीर्णोद्धार/नवीनीकरण कार्य की सतत निगरानी करना।
डूब क्षेत्र के निर्धारण हेतु स्थानीय लोगो से चर्चा कर एचएफएल का चिन्हांकन। जल संरचना के विभिन्न घटकों में आवश्यक सुधार तथा उनकी प्राथमिकता का निर्धारण, ।वेस्टवियर की मूल ऊंचाई, क्षति, सुधार का इतिहास और परिवर्तन पर समुदाय /स्टेक होल्डर से संवाद कर आवश्यक सुधारों का आंकलन।तालाब में जमा गाद की मोटाई का आंकलन ,बांध के पाल से पानी के रिसाव के संबंध में जानकारी एवं उसका आंकलन। आवश्यकतानुसार बंड तथा बेस्टवियर की लंबाई का सर्वेक्षण । जल संग्रहण संरचनाओं से निकाली गई मिट्टी एवं गाद का उपयोग स्थानीय कृषकों के खेतों में किया जाये।
जल संरचनाओं के किनारों पर यथासंभव बफर जोन तैयार किया जाये। इस जोन में हरित क्षेत्र/पार्क का विकास किया जाये। जल संरचनाओं के किनारों पर अतिक्रमण को रोकने के लिये फेसिंग के रूप में वृक्षारोपण किया जाये तथा इनके संरक्षण के लिये सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से जागरुकता अभियान चलाया जाये। जल संरचनाओं के आसपास किसी भी प्रकार का सूखा अथवा गीला कचरा फेंकना प्रतिबंधित किया जाये। यदि पूर्व से ऐसे कचरा पाया जाता है तो उसे हटवाया जावे तथा प्रतिबंधित गतिविधियों हेतु सूचना पट्टी लगाई जाये। जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार / नवीनीकरण कार्य के क्रियान्वयन के दौरान गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जावे।