बीजेपी ने सबसे ज्यादा मेहनत कि थी कोरबा लोकसभा मे फिर बुरी तरह हारी : NN81

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बीजेपी ने सबसे ज्यादा मेहनत कि थी कोरबा लोकसभा मे फिर बुरी तरह हारी : NN81

08/06/2024 | June 08, 2024 Last Updated 2024-06-08T13:36:40Z
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 छत्तीसगढ़ कोरबा

नानक राजपुत

स्लग :- बीजेपी ने सबसे ज्यादा मेहनत कि थी कोरबा लोकसभा मे फिर बुरी तरह हारी, अगली चुनाव को लेकर संगठन मे हो सकते हैं बड़े फेरबदल, क्या बाहरी प्रत्याशी होने का हुआ फायदा या ब्राम्हास्त्र स्वरुप नारी न्याय योजना के फ़ार्म कर दिए काम। 



आने वाला समय नगरी निकाय चुनाव, जिला, जनपद व ग्राम पंचायत कि है लेकिन इस बार बीजेपी किसी भी हाल मे पिछड़ना नहीं चाहती, पार्टी हाई कमान कि नजर ऐसे कार्यकर्ता पर रहेगी जो हमेसा से ही समाज के बिच मे अच्छी छबि बनाये बैठे हैं, लेकिन वर्तमान मे विधानसभा, व लोकसभा चुनाव मे किये गये कार्यकर्त्ताओ के रिजल्ट से संगठन भी संकोच मे दिखती नजर आ रहि है, आखिर कौन कर्मठ कार्यकर्ता संगठन के लिए ईमानदारी से कार्य करेगा यह विचार मंथन है।


आठो विधानसभा मे सबसे ज्यादा फोकस पाली तानाखार मे बीजेपी ने कि थी, क्युकी ग्रामीण क्षेत्रो मे कांग्रेस वोटर कि बहुताया है, क्या ग्रामीण क्षेत्रो मे बीजेपी सम्पर्क ना जमा पाई, इसपर विचार मंथन किया जा रहा, आखिर पार्टी कि हार कि असली वजह क्या रहि,  क्या कार्यकर्त्ताओ ने पूरा भरोसे के साथ संगठन के लिए कार्य किया यें मंथन आला हाई कमान करने मे लगी हुई है, वही जो कार्यकर्त्ता वर्तमान मे कांग्रेस से बीजेपी मे शामिल हुए क्या वे पूरी निष्ठा से कार्य किये इस पर भी संगठन नजरें लगाई हुई हैं,


 ज्योतस्ना चरण दास महंत ने एक अहम शब्द को गांठ बांधकर ग्रामीण के हर घर पंहुचाया, वह यें कि सरोज पांडे पर हमेसा से बाहरी प्रत्यासी का आरोप लगाया जाता था, इन्ही आरोपों को कांग्रेस ने मुद्दा बनाया और ग्रामीण क्षेत्रो मे वोटरों के बिच जन सभा मे प्रसार किया गया, मुख्य वजह यह भी रहि कि कोरबा लोकसभा मे लोकल प्रत्याशी कि कमी से बीजेपी अपना पैठ नहीं जमा पाई, वही कांग्रेस के ब्राम्हास्त्र के रूप मे काम किये गए नारी न्याया योजना जिसके तहत प्रत्येक महिलाओ को 1 लाख रूपये सालाना देने का वादा किया गया, हालांकि इसे भी बीजेपी द्वारा रोकने का प्रयास किया गया लेकिन रोक पाने मे असमर्थ साबित हुए वजह यही रहि कि कांग्रेस ने जीत हासिल कि। 


लोकसभा कि बात करें तो मरवाही, रामपुर और पाली-तानाखार की बदौलत इस चुनाव में भले ही कांग्रेस की नैया पार हो गई लेकिन अगले छह महीनों में निकाय चुनाव भी आने वाला है जिसपर बीजेपी कमर कसती हुई नजर आ रहि, 


इस अहम बिंदू पर पार्टी के लिए विचार-मंथन की जरुरत है। इस मामले में राजनीति के तजुर्बेकार कहते हैं कि नगरीय निकाय, जिला, जनपद व ग्राम पंचायत चुनाव के लिए कोरबा के चारो विधानसभा मे भाजपा के संगठन में बड़े फेरबदल की जरूरत नजर आ रही है।


बेहतर होगा कि आला कमान अपने अनुभवी कर्णधारों की राय पर अब पार्टी के पुराने, लोकल और समर्पित सेवकों को भी जिम्मेदारी से नवाजे। मुमकिन है कि संगठन में उन्हें जब अहम जवाबदारी से विश्वास में लिया जाए तो निश्चित तौर पर भाजपा आने वाले चुनाव में कमजोर विधानसभा पर भी कांग्रेस पर भारी पड़ेगा।


 लोकसभा चुनाव-2024 में कोरबा लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती ज्योत्सना महंत ने दूसरी बार विजय श्री हासिल की। वह ऐसी जीतीं हैं, जैसा पहले कभी नहीं हुआ और उन्होंने अपना ही रिकार्ड भी ब्रेक कर इस सीट पर दोबारा कब्जा भी जमाया। उन्होंने कोरबा लोकसभा के अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्र में से सात विधानसभा में बड़ी बढ़त जुटाई 


 लेकिन कोरबा विधानसभा से कांग्रेस बुरी तरह पिछड़ गईं, सोचना होगा कि आखिर क्या ऐसा कारण रहा, जो विधानसभा चुनाव-2023 में यहां से पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल की हार हुई और लोकसभा चुनाव-2024 में भी कांग्रेस प्रत्याशी को भी अच्छा खासा नुकसान हुआ।


राजनितिक विशेषग्य मानते हैं, संगठन को मजबूत बनाने मे कार्यकर्ता कि ही अहम भूमिका रहती है वही संगठन को कमजोर करने मे भी उन्ही का हाथ रहता है,क्या वोटरों तक वे अपना सम्पर्क समावेश कर पाते है, लेकिन आला हाई कमान भी सब पर नजर रखती है, संगठन को संगठित करने के उद्देश्य से लगातार कार्यकर्ताओ कि बैठक समीक्षा कि जानी चाहियें।