*प्रियांशु मल्होत्रा*
*कोरबा*
*कोरबा: ग्राम रलिया में मुआवजे के खेल का खुलासा, एसईसीएल और राजस्व अधिकारियों की भूमिका पर उठे सवाल*
**कोरबा/रलिया:** ग्राम रलिया में मुआवजे के नाम पर जो खेल चल रहा है, वह अपने आप में अनोखा और चौंकाने वाला है। इस खेल में एसईसीएल को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है, जबकि मुआवजा माफियाओं को करोड़ों का फायदा मिल रहा है। यह सारा खेल जिला कलेक्टर के नाक तले, पूरी साजिश के तहत, खेला जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, इस खेल के सूत्रधार राजस्व विभाग और एसईसीएल गेवरा के जिम्मेदार अधिकारी हैं, जो अपने अनुसार पूरी संरचना बना कर गांव के प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुंचा रहे हैं।
गांव के प्रभावशाली लोग इस खेल में इतनी बुरी तरह से शामिल हैं, मानो उन्हें कोई खजाना मिल गया हो। अगर कोई इनके खेल में दखल देने की कोशिश करता है, तो वे उसके खिलाफ मनगढंत कहानी बना कर शिकायत कर देते हैं। अगर कोई सरकारी कर्मचारी इनके षड्यंत्र में रुकावट बनता है, तो वे उसे बाहर कर उसका स्थानांतरण करवा देते हैं। हाल ही में रलिया के पटवारी और दीपका तहसीलदार ने इनके इशारे पर काम करने से मना किया, तो उनका ट्रांसफर हो गया।
जब समाचार माध्यमों ने मुआवजा माफियाओं के खेल को उजागर करना शुरू किया, तो वे बौखला गए और अपने कृत्यों पर पर्दा डालने की कोशिश करने लगे। हालांकि, जिला कोरबा के तेजतर्रार कलेक्टर के नाक तले यह मुआवजा कांड ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाएगा। जल्द ही इस खेल के सूत्रधार बेनकाब होंगे।
*रलिया में मुआवजे के खेल का पर्दाफाश*
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) गेवरा परियोजना के लिए कोयले की खदान का विस्तार कर रही है। इसके लिए एसईसीएल गेवरा ग्राम रलिया में जमीन अधिग्रहण कर रही है। यहां यह बताना जरूरी है कि एसईसीएल गेवरा द्वारा अधिग्रहित की जा रही भूमि का अधिकांश हिस्सा वनभूमि है। जब ग्रामीणों को इस अधिग्रहण की जानकारी मिली, तो यहां के प्रभावशाली लोगों ने सरकारी भूमि पर मुआवजा पाने के लिए सैकड़ों नकली मकान बना दिए। ये मकान केवल मुआवजा पाने के लिए घटिया और गुणवत्ता विहीन बनाए गए हैं। इन मकानों को देखकर साफ समझा जा सकता है कि इनका कोई इतिहास नहीं था।
प्रभावशाली लोगों ने ज्यादा मुआवजे की चाह में अपने रिश्तेदारों को भी शामिल कर लिया और उनके नाम पर भी मकान तैयार कर दिए। ग्राम रलिया में कुछ वास्तविक प्रभावित लोग भी हैं जो कई सालों से वहां रह रहे हैं और मुआवजे के हकदार हैं। लेकिन एसईसीएल प्रबंधन उन्हें नए-पुराने मकान के विवाद में उलझाकर कम मुआवजा दे रहा है, जबकि हाल ही में बनाए गए प्रभावशाली लोगों के मकानों का मुआवजा लाखों-करोड़ों में बन रहा है। कई प्रभावितों ने कटघोरा एसडीएम से मुआवजा त्रुटि सुधार करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया है।
*रलिया के मुआवजे के खेल का असली चेहरा*
एसईसीएल गेवरा ने ग्राम रलिया में प्रभावित मकानों का सर्वे कर उनकी सूची तैयार की और मुआवजा राशि बनाई। गांव के कुछ प्रभावशाली लोग सरकारी भूमि पर कब्जा कर मकान, गोदाम, दुकान बना कर मुआवजा कतार में शामिल हो गए हैं। तत्कालीन एसडीएम के मौखिक आदेश पर पटवारी ओमप्रकाश प्रधान द्वारा जांच रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें बताया गया कि एसईसीएल गेवरा परियोजना की अर्जित भूमि में दिनेश कुमार और उनके रिश्तेदारों के नाम पर मकान, दुकान, गोदाम निर्माण किया गया है।
पटवारी की जांच रिपोर्ट के बाद तत्कालीन एसडीएम ने इन प्रभावशाली लोगों के मुआवजे पर रोक लगाने का पत्र एसईसीएल गेवरा के महाप्रबंधक को प्रेषित किया। पत्र में उल्लेख है कि शासकीय वनभूमि में 50,000 वर्ग फुट भूमि पर दिनेश कुमार और उनके रिश्तेदारों द्वारा मकान निर्माण किया गया है। एसडीएम ने इनके मुआवजे पर रोक लगा दी थी, लेकिन इस बीच उनका स्थानांतरण हो गया।
*एसईसीएल और राजस्व अधिकारियों की भूमिका*
एसईसीएल गेवरा ने भूमि और मकानों का भौतिक सत्यापन कर मुआवजा के लिए मेजरमेंट बुक को सत्यापित हस्ताक्षर के लिए तहसीलदार दीपका को भेजा। तहसीलदार अशोक शर्मा ने कटघोरा एसडीएम को पत्र प्रेषित कर भूमि और मकानों का पुनः भौतिक सत्यापन करने का आग्रह किया। पत्र में उल्लेख है कि हल्का पटवारी ने बताया कि ग्राम रलिया में प्रभावित मकानों की नापी एसईसीएल और अन्य विभाग के अधिकारियों ने की थी, और प्रभावितों की सूची में शामिल सभी ग्राम रलिया के मूल निवासी नहीं हैं।
*तहसीलदार और पटवारी का ट्रांसफर*
दीपका तहसीलदार ने पटवारी से भूमि और मकानों का भौतिक सत्यापन की जानकारी प्रस्तुत करने कहा, जिसके बाद पटवारी ने जानकारी प्रस्तुत की। इसके बाद तहसीलदार और पटवारी का ट्रांसफर हो गया। यदि तहसीलदार और पटवारी ने एसईसीएल द्वारा बनाए गए मेजरमेंट बुक में हस्ताक्षर कर दिए होते, तो प्रभावशाली लोगों का मुआवजा आसानी से तैयार हो जाता। लेकिन तहसीलदार और पटवारी ने भौतिक जांच कर हस्ताक्षर करने की बात कही, जिससे कई प्रभावशाली लोग मुआवजे की सूची से बाहर हो जाते। अब आप समझ सकते हैं कि ग्राम रलिया में मुआवजे का खेल किस हद तक चल रहा है।