क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया कजरिया तीज का पर्व
सिवनी से अरुण राजपूत
9754417510
केवलारी श्रेत्र विभिन्न ग्रामों में कजरीया तीज त्यौहार मनाया गया जिसमें विभिन्न प्रकार की झांकियां निकाली गई कजरीया पर्व की गाथा इस प्रकार है पौराणिक मान्यता के अनुसार एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था जो बहुत गरीब था उसके साथ उसकी पत्नी ब्राह्मणी भी रहती थी ब्राह्मण की पत्नी ने भाद्रपद महीने की कजली तीज का व्रत किया उसने अपने पति यानि ब्राह्मण से कहा कि उसने तीज माता का व्रत रखा है उसे चने का सत्तू
चाहिए कहीं से ले आओ ब्राह्मण ने ब्राह्मणी को बोला कि वह सत्तू कहां से लाएगा।
इस पर वी ब्राह्मणी ने कहा कि उसे सत्तू चाहिए फिर चाहे वो चोरी करें या डाका डालें लेकिन उसके लिए सत्तू लेकर आए रात का समय था ब्राह्मण घर से निकलकर साहूकार की दुकान में घुस गया उसने साहूकार की दुकान से चने की दाल घी शक्कर लिया और सवा किलो तोल लिया फिर इन सब से सत्तू बना लिया जैसे ही वह जाने लगा वैसे ही आवाज सुनकर दुकान के सभी नौकर जाग गए सभी जोर-जोर से चोर चोर चिल्लाने लगे इतने में ही साहूकार आया और
ब्राह्मण को पकड़ लिया ब्राह्मण ने कहा कि वो चोर नहीं है वो एक गरीब ब्राह्मण है उसकी पत्नी ने तीज माता का व्रत किया है इसलिए सिर्फ यह सवा किलो का सत्तू बनाकर ले जाने आया था जब साहूकार ने ब्राह्मण की तलाशी ली तो उसके पास से सत्तू के अलावा और कुछ नहीं मिला उधर चांद निकल गया था और ब्राह्मणी सत्तू का इंतजार कर रही थी साहूकार ने ब्राह्मण से कहा कि आज से वो उसकी पत्नी को अपनी धर्म बहन मानेगा उसने ब्राह्मण को रुपए मेहंदी लाचा और बहुत सारा धन देकर दुकान से विदा कर दिया।