मनबस ने दृढ़ इच्छाशक्ति से बनाई अपने आर्थिक उन्नति की राह, स्व सहायता समूह से जुड़कर कर रही हैं 25 से 35 हजार तक की आय: NN81

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मनबस ने दृढ़ इच्छाशक्ति से बनाई अपने आर्थिक उन्नति की राह, स्व सहायता समूह से जुड़कर कर रही हैं 25 से 35 हजार तक की आय: NN81

21/03/2025 | मार्च 21, 2025 Last Updated 2025-03-21T12:28:28Z
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  Reported By: Krishna Kumar 

Edited By: Abhishek Vyas @abhishekvyas99


मनबस ने दृढ़ इच्छाशक्ति से बनाई अपने आर्थिक उन्नति की राह, स्व सहायता समूह से जुड़कर कर रही हैं 25 से 35 हजार तक की आय: 

सूरजपुर /21 मार्च 2025/ सूरजपुर कर्मठ व्यक्ति अपने में बदलाव लाने और अपने जीवन शैली को बेहतर करने अर्थिक रूप से उन्नत होने के लिए में हमेशा कुछ नया करने का प्रयास करता रहता है। ऐसा ही एक उदाहरण देखने को मिलता है सूरजपुर जिले में जहां एक नारी ने अपने दृढ़ संकल्प और सकारात्मक सोच से  अपनी परिस्थिति को बेहतर कर समाज में अपनी अलग पहचान बनाई है। यह कहानी है जिला सूरजपुर के जनपद पंचायत प्रतापपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत सरहरी की रहने वाली मनबस कुशवाहा की । इन्होंने अपने आर्थिक स्थिति को बेहतर करने और आत्मनिर्भर बनने के लिए एक नए प्रयास के रूप में 14 जुलाई 2019 के दिन मां गौरी महिला स्व सहायता समूह से जुड़ने का निर्णय लिया। मनबस की शुरुआत शून्य अधिशेष से हुई, लेकिन समूह के सहयोग से उन्होंने धीरे-धीरे अपनी उन्नति की राह बनाई। समूह की साप्ताहिक बचत, चक्रिय निधि और सामुदायिक निवेश कोष ने सदस्यों को कृषि आधारित कार्यों ने उन्हें सहयोग दिया। 

महत्वपूर्ण बात यह है कि मनबस कुशवाहा अपने सकारात्मक सोंच से निरंतर आगे बढ़ने की राह चुनी। अपने भविष्य को संवारने की उनकी इच्छाशक्ति ने उन्हें प्रधानमंत्री मुद्रा लोन के लिए प्रेरित किया। जिससे ऋणस्वरूप 1,42,000 रुपये की राशि प्राप्त हुई । इस राशि का प्रयोंग करने उन्होंने नमकीन खाद्य उत्पाद मक्के से बने पोला, रिंग, पफ और कपड़ा दुकान संचालन का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। इस कदम में बी.पी.एम. अल्का कुजूर और पी.आर.पी. ललीता मिंज का सहयोग महत्वपूर्ण रहा।

जब इंसान खुद पर विश्वास करता है, तो जीवन में चमत्कार होने लगते हैं। आज मनबस कुशवाहा वाड्रफनगर और प्रतापपुर विकासखंड के 100 से अधिक गांवों में किराना दुकानों को होलसेलर के रूप में खाद्य सामग्री सप्लाई कर रही हैं। इससे हर महीने 20 से 30 हजार रुपये तक की आय हो रही है। साथ ही, कपड़े के व्यवसाय से भी 5 से 8 हजार रुपये मासिक आमदनी हो रही है।

अब उनका परिवार भी अपनी छोटी बड़ी इच्छाओं को खुल कर पूरा करने न समर्थ है, उनकी सफलता केवल आर्थिक मजबूती तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में स्वरोजगार को लेकर महिलाओं की सोच में एक सकारात्मक बदलाव का बड़ा कारण बनी है।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान योजना से जुड़कर उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति को तो मजबूत किया ही, साथ ही अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन गईं। आज मनबस कुशवाहा अपने समूह को अपने परिवार का अभिन्न अंग मानती हैं और कहती हैं। कि तंगहाली से खुशहाली की ओर जाने वाला यह सफर आसान नहीं था, हर सपनों को पूरा करने के पहले अनेकों चुनौतियां सामने खड़ी होती थी, लेकिन समूह और बिहान योजना ने सभी चुनौतियों से लड़ने की शक्ति देते हुए इसे संभव बनाया। उनकी कहानी उन सभी महिलाओं के लिए एक मिसाल है, जो अपने सपनों को सच करने की चाह रखती हैं। प्रयास करने वाले ही अपने जीवन में चमत्कार कर सकते हैं, और मनबस कुशवाहा इसकी जीती-जागती मिसाल हैं।