Reported By: Dinesh kumar Netam
Edited By: Abhishek Vyas X @abhishekvyas99
अच्छी बारिश और अच्छी फसल व गावं की खुशहाली कि कामना लिए करते है, शीतला माता व ठाकुर देव कि पूजा:
छत्तीसगढ़ में भिन्न-भिन्न पर्वों का अपना ही महत्व है। आशा और विश्वास बढ़ाने वाले पर्वों में अक्ती विशेष है। ग्राम के देवी-देवताओं की सेवा करने वाला ग्राम पुजारी को बैगा या गायता कहते है,अक्ती के दिन बैगा गांव पर सदैव कृपा बनाए रखने के लिए देवी-देवताओं से प्रार्थना करता है।अक्षय तृतीया अर्थात अक्ती के दिन बच्चे अपने मिट्टी से बने गुड्डे- गुड़ियों अर्थात पुतरा-पुतरी का ब्याह भी रचाते हैं
जिले की ग्राम देवारभाट में अक्षय तृतीया (अक्ति ) त्यौहार मनाया गया सालों से गांव के पुरखो की परंपराओं को आज भी मानते आ रहे
अक्षय तृतीया का त्योहार गांव में बेहतर फसल उत्पादन और अच्छी बारिश व गावं कि खुशहाली के लिए मनाया जाता है।सबसे पहले गांव के दोनो डीही शीतला माता और सूरूजडीवहारीन की गांव के पटेल और गायता द्वारा पूजा पाठ कर बाजे गाजे के साथ ठाकुर दाई, ठाकुर देव के स्थान में ले जाया जाता है फिर गांव के पटेल द्वारा रखे कोठी से धन निकाला कर गांव के प्रमुखों द्वारा पुजा कर, टोकरी में गांव के पटेल द्वारा धान को छिड़का जाता है साथ में कुछ बच्चों के हाथ में हल, कुल्हाड़ी पानी लेकर गोल-गोल घूमते हुए नेंग किया जाता है फिर गांव के पटेल, पांच पंच , गायता व पुरे ग्रामवासी मिलकर ठाकुर देवी, ठाकुर देव और प्रकृति को याद करके अच्छी पानी और फसल की कामना करते हैं।