मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा धन आचरण होता है-सुकृत शास्त्री - NN81

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मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा धन आचरण होता है-सुकृत शास्त्री - NN81

20/05/2025 | मई 20, 2025 Last Updated 2025-05-20T08:19:38Z
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वर्तमान में कबीर साहेब की वाणी सबसे ज्यादा प्रासंगिक है-अरुण साव

पाटन। कबीर आश्रम सेलूद में दो दिवसीय संत समागम एवं भंडारा का आयोजन किया गया था। संत समागम का समापन रविवार को साहित्व वेदांताचार्य सुकृत शास्त्री साहेब के सानिध्य में सात्विक यज्ञ चौका आरती के साथ संपन्न हुआ।


साहित्य वेदांताचार्य सुकृत शास्त्री ने संत समागम को संबोधित करते हुए कहा भारत वर्ष में समय समय पर बड़े बड़े संत एवं महापुरुषों का जन्म हुआ है। भगवान की इस धरती पर 24 अवतार हुआ। इसी धरती पर कबीर साहेब का भी अवतरण हुआ। समाज में देव और दानव दोनों तरह के लोग है। वृक्ष में फल, नदी का जल अपने लिए उपयोग करते उसी तरह संत स्वयं के लिए जीवन नहीं जीते वे सर्व समाज के कल्याण और राष्ट्र के लिए अपना जीवन लगा देते।मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा धन आचरण होता है। काम, क्रोध और लोभ को छोड़कर, व्यक्ति को अपने मन को शांत और स्थिर करना चाहिए। ऐसा करने से, व्यक्ति को आध्यात्मिक विकास और मुक्ति प्राप्त होती है। व्यक्ति को अपने मन को नियंत्रित करने के लिए आत्म-जागरूकता, आध्यात्मिक अभ्यास, धर्म और नैतिकता, और सद्गुरु की शरण में जाना चाहिए।



मुख्यअतिथि उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा संत समाज के मार्गदर्शक होते है। संत समाज के।लिए जीते है दूसरों के लिए जीते है। संत कबीर ने दुनिया के सामने अपना विचार रखा उन्होंने कहा है कि जीवन में किस तरह ब्यहार करना है यह सिखाया है। आज के समय में कबीर साहेब की वाणी सबसे ज्यादा प्रासंगिक है। समाज जब तक एकजुट नहीं होगा। तब तक तरक्की नहीं हो सकता है। कबीर आश्रम सेलूद में अभाव के बाद भी समाज में जागृति और विचार आए उसके लिए कबीर आश्रम सेलूद में लगातार संत समागम का आयोजन होते आ रहा है। उपमुख्यमंत्री ने कबीर आश्रम की मांग पर शेड निर्माण के लिए 25 लाख रुपए की घोषणा किए।


सांसद विजय बघेल ने कहा संत कबीर दास जी की वाणी में सात्विकता थी। उनके अनुयायि भारत ही नहीं पूरे विश्व में है। संत के मुख से निकले शब्द जीवन जीने की कला सिखाती है। कबीर दास जी 800 सौ साल पहले साखी लिखी थी वह ऐसा प्रतीत होता है कि आज ही लिखा हुआ है। उनके हर शब्द प्रत्येक मनुष्य को प्रेरणा देता है। उनकी वाणी को संत हम सबके बीच परोसने का काम कर रहे है।



छोटे महंत परमेश्वर साहेब ने कहा जिनका खान पान पवित्र है वहीं कबीर पंथी है। चाहे वह किसी भी पंथ या देवी देवता को अपना आराध्य मानता हो। महाभारत में जीतने ज्ञान सभी को नहीं मिला। जिनका पात्र सही होता है उनके ऊपर ही गुरु की कृपा होती है। भारत भूमि में नारी को देवी का रूप मानते हैं लेकिन विकृत मानसिकता और व्यस्वन में डूबे हुए व्यक्ति के कारण वह देवी सुरक्षित नहीं है।


प्रदेश साहू संघ अध्यक्ष टहल सिंह साहू ने कहा आज धरती में सबसे ज्यादा आवश्यकता संस्कार की है। संस्कार को बनाए रखने के लिए कबीर साहेब की बताए मार्ग में चलने की जरूरत है। संत समागम में छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रांत के संत एवं भक्त हुए शामिल।