जिला संवाददाता राघवेंद्र औदीच्य
नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में जमे डॉक्टर के भेष में बैठे झोलाछाप जो मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे डॉक्टरों का मरड़जाल फैला हुआ है। नागरिकों का कहना है कि रोगी इन झोलाछाप डॉक्टरों पर विश्वास के साथ अपना इलाज करने के लिए सड़क के किनारे या किसी गली में लगे डॉक्टर का बोर्ड देख कर रुक जाते है और अपनी बीमारी बताते हुए एक ऐसे डॉक्टर पर विश्वास कर लेते है जिसे दवा की जानकारी नहीं है फिर भी ये झोलाछाप डॉक्टर उस मरीज का इस तरह से इलाज़कर देते है कि मरीज भी इनके ऊपर शक नहीं कर पाता है। अगर दवा का सही असर हुआ तो ठीक है नहीं तो वह नगर के शासकीय अस्पताल या किसी बड़े डॉक्टर को दिखाने के राय देते हए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। पूर्व में भी ऐसी कई सारी घटनाएं सामने आ चुकी है। उल्लेखनीय की नगर में बैठे। चिकित्सक
जिम्मेदार अधिकारियों का नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र में आना जाना लगा रहता है जहां गालियों चौराहा सहित अन्य स्थानों पर कई सारे झोलाछाप डॉक्टर के बोर्ड टांगें दिखाई देते है और कई सारे लोगों की भीड़ भी डॉक्टर की दुकान के बाहर अपना इलाज करने के लिए लगी रहती है। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इन झोला छाप डॉक्टर पर कोई भी सख्त कार्रवाई नहीं करते, जिसका फायदा उठा कर ये झोलाछाप खुले आम लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हुए देखे जा रहे हैं।
झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या में हो रहा निरंतर इजाफा
नगर के मुख्य मार्गो सहित गलियों में अपनी क्लिनिक का बोर्ड लगा कर झोला छाप डॉक्टर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर मोटा पैसा कमाने में लगे हैं। कहने को तो ये डॉक्टर है लेकिन इनके पास किसी प्रकार की कोई डिग्री न होने के बाद भी सेकडों मरीजों का ईलाज कर रहे हैं। झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। पूरे क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार पड़ी हुई है, जिनके पास कोई डिग्री न होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग में बैठे अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। पूरे क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों का एक बड़ा जाल बिछा गया है जिसका मुख्य कारण स्वास्थ विभाग में बैठे अधिकारियों की लापरवाही और अनदेखी के चलते इनके होसले मजबूत होते जा रहे हैं। मरीज की बिना बीमारी की जांच किए
इनका कहना
शासन के निर्देश अनुसार समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है। साथ ही मरीज द्वारा शिकायत मिलने पर इस प्रकार के डॉक्टरों पर कार्यवाही की जाती है।
- प्रमेंद्र तिवारी, बी.एम.ओ राजीव गांधी जन चिकित्सालय प्रभारी
हुए ही दवाइयां व इंजेक्शन लगा दिया जाता है। दवाई और इंजेक्शन का रिएक्शन जब मरीज पर होता है तो यह लोग बड़ी अस्पताल में इलाज करने की बात कह कर अपनी जिम्मेदारी से इति श्री कर लेते हैं। वहीं से इन लोगों का खेल चालू हो जाता है और बड़े अस्पताल में डॉक्टर को पहले ही फोन लगाकर अपने मरीज का नाम पता बता दिया जाता है।