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डॉ. अनिल वशिष्ठ के नेतृत्व का एक वर्ष: अमिटी लखनऊ कैंपस में सकारात्मक बदलाव की मिसाल:NN81



अमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ कैंपस के प्रो वाइस चांसलर प्रो. (डॉ.) अनिल वशिष्ठ ने अपने कार्यकाल के पहले ही वर्ष में ऐसा बदलाव किया, जिसने पूरे परिसर का स्वरूप ही बदल दिया। उनके तीन प्रमुख लक्ष्य — इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार, उत्कृष्ट फैकल्टी की नियुक्ति, और विश्वविद्यालय को छात्र-केंद्रित बनाना — मात्र एक वर्ष में सफलतापूर्वक पूरे हुए।

इन्फ्रास्ट्रक्चर के सुधार की बात करें तो, यह केवल बड़े प्रोजेक्ट तक सीमित नहीं रहा, बल्कि छोटी-छोटी सुविधाओं में भी बड़े बदलाव किए गए। कैंपस के वॉशरूम को हाई-टेक बनाना, कक्षाओं और परिसर में कैमरे स्थापित करना, भवनों और कक्षाओं का नवीनीकरण व पेंटिंग, कैंटीन व हॉस्टल-मेस का सुधार — इन सभी प्रयासों ने विश्वविद्यालय के माहौल को नया रूप दिया। फैकल्टी और स्टाफ के लिए भी नई सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं, और छात्रों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता पर किया गया।


उनके नेतृत्व में आयोजित सभी कार्यक्रम न केवल सफल रहे, बल्कि विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को भी ऊँचाई पर ले गए। इसी क्रम में, विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित क्लॉक टॉवर पर नई घड़ी की स्थापना का श्रेय भी प्रो. वशिष्ठ के प्रयासों को जाता है। इस अवसर पर अमिटी यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश की वाइस चांसलर प्रो. (डॉ.) बलविंदर शुक्ला लखनऊ पहुँचीं और इस पहल का उद्घाटन किया।

उनकी इस सकारात्मक कार्यशैली ने न केवल विश्वविद्यालय परिवार, बल्कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में भी गहरी छाप छोड़ी है। इसी का परिणाम है कि केंद्र सरकार के आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के तत्कालीन राज्य मंत्री और सांसद श्री कौशल किशोर ने उन्हें आधिकारिक पत्र भेजकर उनके कार्यों की सराहना की। पत्र में उल्लेख किया गया कि "आप जैसे पथप्रदर्शक ही देश के भविष्य को आकार देते हैं… जो युवा पीढ़ी को ज्ञान और मूल्यों से सशक्त बनाते हैं।" प्रो. अनिल वशिष्ठ का यह एक वर्ष यह दर्शाता है कि सच्चा नेतृत्व वह है, जो अपने आस-पास के माहौल को बेहतर बनाकर, हर व्यक्ति को आगे बढ़ने का अवसर देता है।

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