दिलों की धडकनें अब भी तुम्हारा नाम लेती हैं
कादीपुर/सुल्तानपुर
‘दिलों की धडकनें अब भी तुम्हारा नाम लेती हैं/तड़पने का तेरे ग़म में यही इनाम देती हैं’ यह पंक्तियाँ जब युवाकवि डॉ.अरुण निषाद ने जब पढीं तो लोग झूम उठे | वह वेद वेदांग विद्यापीठ गुरुकुल आश्रम धनपतगंज सुल्तानपुर के 18वें स्थापना दिवस पर आयोजित काव्यसंध्या में काव्यपाठ कर रहे थे | मंच संचालक कवि पुष्कर सुल्तानपुरी की पंक्तियाँ थीं ‘अब तो बर्दाश्त के बाहर है वतन की हालत’ सुनाकर खूब तालियाँ बटोरीं | कर्मराज शर्मा तुकान्त ने ‘बांसुरी छेड़ कितने बदन में तेरे, कितना आनन्द मिलता रुदन में तेरे सुनाकर सभी को भावविभोर कर दिया | इसके अलावा विकास चौरसिया, पीयूष प्रखर, गौरव गगन, सिद्धी मिश्रा ने भी रस-छन्द से ओतप्रोत रचनाएँ सुनाकर वाहवाही लूटी | धन्यवाद ज्ञापन गुरुकुल के प्राचार्य डॉ.शिवदत्त पाण्डेय ने किया |