छत्तीसगढ़ पोंडी उपरोड़ा
रिपोर्ट :- नानक राजपूत
भुतपूर्व फ़ौजी मान सिंह सरदार कि जमीन सीमांकन कि जांच प्रतिवेदन कि जानकरी के लिए सरपंच समेत कोनकोना के ग्रामीणों ने किया तहसील कार्यालय का घेराव।
पोंडी उपरोड़ा तहसील मे कोनकोना पंचायत के सरपंच समेत ग्रामीणों ने अधिक संख्या मे पहुंचकर मानसिंह सरदार के जमीन कि पूर्व मे हुए सीमांकन जांच कि जानकारी के लिए तहसील कार्यालय का घेराव किया, उनका कहना है सरदार कों शासन द्वारा अनुदान मे जमीन प्राप्त हुई है, लेकिन उसके द्वारा जमीन खरीदी कि बात कही जाती है, अगर जमीन खरीदी है तो रजिस्ट्री पेपर प्रस्तुत करे, ग्रामीणों का कहना है कि उक्त जमीन के सीमांकन कि आड़ मे पंचायत कि शासकीय जमीन कों सरदार के पट्टे मे शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है, जानकारी के मुताबिक मान सिंह सरदार जो कि एक फ़ौजी थे जिन्हे शासन द्वारा लगभग 5 एकड़ जमीन प्राप्त हुई जिसका खसरा नंबर 284/5 है , उक्त जमीन कि सीमांकन के लिए परमजीत कौर ने आवेदन प्रस्तुत किया, आवेदन के आधार पर 21/11/2022 मे स्थानीय प्रसासन, पटवारी, आर आई, तहसीलदार द्वारा सीमांकन किया गया था लेकिन उस सीमांकन जांच से परमजीत कौर नाखुस हुए और उन्होंने कलेक्टर महोदय कों फिर से सीमांकन करने के लिए आवेदन दिया,
कलेक्टर के निर्देश पर जांच कमेटी गठित कि गई फिर से सीमांकन प्रक्रिया हुई जो विचाराधीन है और जांच प्रतिवेदन तैयार कि जा रही है, इधर ग्रामीणों का आरोप है उक्त जमीन कों सड़क किनारे दर्शाने के लिए स्थानीय प्रसासन एड़ी चोटी लगाई जा रही है सरदार कि जमीन से लगे सड़क किनारे ग्राम पंचायत कोनकोना कि शासकीय भूमि स्थापित है उक्त जमीन पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए राशि आबंटित हुई है, इस स्वास्थ्य केंद्र कों ग्रामीण उसी शासकीय जमीन पर बनवाना चाहते हैं, बार बार सीमांकन जांच पर शासकीय भूमि कि जानकारी नहीं मिल पाना ग्रामीणों कों चिंता मे डाल दिया, वही एक ग्रामीण का कहना है कि वह कई पीढ़ी से काबिज क़र उस जमीन मे कामाई करते आ रहा है उसे भी सरदार हड़पने का प्रयास क़र रहा, जिसका रिकार्ड भी नहीं बताया जा रहा, वही नयाब तहसीलदार सुमन मानिकपुरी ने बताया कि सरदार द्वारा सीमांकन के लिए आवेदन दिया गया था, हमारे द्वारा उक्त जमीन कि जांच प्रतिवेदन से आवेदक संतुस्ट नहीं था जिसने कलेक्टर महोदय कों फिर से सीमांकन के लिए आवेदन लगाया
जिसकी जांच चल रही है, उनका कहना है कि किसी फ़ौजी कों शासन द्वारा जमीन अनुदान मे मिली है उक्त जमीन कों वह फ़ौजी 10 वर्ष के बाद अपनी जमीन का स्वामी बन सकता है और कलेक्टर के आदेश पर जमीन बिक्री क़र सकता है, यह लगभग सन 1975 का यह मामला है सरदार ने जमीन खरीदी है या शासन द्वारा प्राप्त हुई है इन सबके दस्तावेज यहां उपलब्ध नहीं है क्युकी उस वक़्त यह तहसील कटघोरा थी इसलिए सारे दस्तावेज यहां नहीं हैं, वही तहसीलदार जल्द ही जांच कराकर जांच प्रतिवेदन सबके सामने रखने कि बात कही।