वाजीगरी खेल सामने आ रहा है भीभाग का : NN81

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वाजीगरी खेल सामने आ रहा है भीभाग का : NN81

13/12/2023 | December 13, 2023 Last Updated 2023-12-13T16:52:17Z
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 वाजीगरी खेल सामने आ रहा है 

भीभाग का




गुना जिले से गोलू सेन की रिपोर्ट




कार्य मशीनों से,


भुगतान फर्जी मजदूरों का! रोज लाखों के फर्जी व्हाऊचरो का खेल चरम पे! 


गुना वन मण्डल मे नियम कायदे तो खूटी पर मिलते ही है, इसके साथ ही घोटालों की भरमार भी शामिल है! गुना वन मण्डल की आठों रेंजो मे वर्तमान समय मे रोज लाखों रुपए के व्हाऊचर मजदूरों के नाम सहित अलग अलग कामो के भरे जा रहे हैं! इनमे आधे से ज्यादा व्हाऊचरो संधिगद् बताये जाते हैं! जिस तरह प्लांटेशन मे सीपीटी और री मेंटेनेस के नाम पर मशीनों से काम किया गया है और व्हाऊचर फर्जी मजदूरों के नाम से भरे जा रहे है! इतना ही नही हाल ही मे भृस्टाचार का एक नया अमलीजामा मुख्यसचिव के आदेश मे पहनाया जा रहा है! वर्तमान मे प्लांटेशन मे गड्ढे मशीनों से लगाए गए गए हे, और व्हॉउचार फर्जी मजदूरों के नाम बनाये जा रहे हे! 

जिसमे मजदूर ज्यादतर वन कर्मियों के रिस्तेदार और परिचितों के नाम शामिल किये जाते हैं! फिर इन लोगों से सेटिंग बतोर कुछ कमीशन देकर राशि वन कर्मी ले लेते हैं! वही मौके पर देखा जाए तो हर एक प्लांटेशन की सीपीटी खुद यह बया कर देती हे काम मशीनों (जेसीबी) से किया गया हे! पर हैरत की बात है वन विभाग के नीचे से उपर तक किसी भी अधिकारी को यह नजर नही आता? इसके पीछे भी कमिशनखोरी की वजह बताई जाती हे! 


राधोगढ़ वन परिक्षेत्र

मे भी जमकर भृस्टाचार! 


प्लांटेशन वर्किंग और सुरक्षा के कार्यो मे जमकर भृस्टाचार के सबूत राधोगढ़ वन परिक्षेत्र मे मिले है! पिपलखेड़ी प्लांटेशन  और गोलाखेडी जिसकी सीपीटी मात्र ही खुदी हे, साथ ही सुआखेडी प्लांटेशन मे सीपीटी के कार्य मजदूरों के नाम पर मशीनों से करा लिए गए हैं! जिसका भुगतान फर्जी मजदूरों के व्हाऊचरो से किया गया है! सुआखेडी प्लांटेशन मे तो भृस्टाचार के आयाम गड़े गए हैं! जिसके अंदर निरीक्षण पथ भी गायब है! इस प्लांटेशन मे कचरा और घास की वजह से आग भी लग चुकी है! आग की रोकथाम के लिए आने वाला बजट या साफ सफाई का बजट का उपयोग पर भी सवालिया निशान लग गया है, कहीं अग्नि सुरक्षा और साफ सफाई का बजट भी भृस्टाचार की भेंट तो नही चड गया है! इसी के साथ बात करे पौधरोपण के गड्डो मे डलने वाली उपजाऊ मिट्टी का जो वन मण्डल टेंडर प्रक्रिया के तहत भोपाल और शिवपुरी से खरीद होना बताया जाता है, इसमें तो वन विभाग सीधा आँखों मे धूल झोंकर लाखों के वारे न्यारे करता है! और मिट्टी आस पास से ही अवेध उत्खनन कर डाल ली जाती है! इस बात का खुलासा गुना उत्तर रेंज की महिला डिप्टी पत्रकारों के पूछे सवाल पर कर चुकी हैं! 


रोज लाखों के फर्जी व्हॉउचारो का खेला गुना वन मंडल मे - सूत्र


वही सूत्रों की जानकारी अनुसार चुनावी आदर्श आचार संहिता के दौरान मुख्य सचिव का एक आदेश कथित तौर पर वन विभाग के कर्मी चर्चा कर रहे हे! जिसमे बताया गया है प्लांटेशन मे पौधरोपण के गड्डो मे खुदाई के लिए मजदूर मशीनों का उपयोग कर सकते हे... वही मशीनों का कार्य एक मशीन या एक मजदूर से नही होना चाहिए, संख्या के हिसाब से मशीनों और मजदूरों की संख्या अधिक बताई जाती हे! खास बात यह हे इस कथित आदेश मे भुगतान मशीनों का नही मजदूरों का होना हे! इस आदेश को कथित भी हम इसलिए कह रहे हे, इसके बारे मे खुलकर किसी ने नही बताया आखिर स्पष्ट आदेश हे क्या? इसी कथित आदेश की आड मे वन विभाग को बैठे बिठाये भृस्टाचार का एक और जरिया मिल गया! मजदूरों को दुंढना भी नही, काम एक मशीन से कर लिया जाए, बाकी फर्जी व्हॉउचारो और फर्जी मजदूरों का खेला तो पहले से निरंतर चालू हे! पहले भी असल मजदूरों को तय दर से आधा पेमेंट किया जाता रहा हे! अब तो आदेश भी खुला भृस्टाचार करने आसान जरिया बन गया हे! वही गुना वनमण्डल के आठों रेंजो मे पिछले कुछ वर्षो से सीपीटी (पशु अवरोधक खंती) का कार्य मशीनों से कराया गया है, जिसकी गवाही खुद सीपीटी दे रही है! जबकि सीपीटी का कार्य मजदूरों द्वारा पर मीटर भुगतान के हिसाब से होना था! तकरीबन 200 रुपए प्रति मीटर मजदूरी भुगतान की सीपीटी का कार्य जेसीबी जैसी मशीनों से 50 से 60 रुपए प्रति मीटर मे करा दिया जाता है! और भुगतान फर्जी व्हॉउचारो के जरिए फर्जी मजदूरों के बैंक खातों मे कर दिया जाता है! जो पहले से ही नाकेदार से लेकर डिप्टी तथा चौकीदार व ओपरेटर के नजदीकी सहित परिवार जन शामिल रहते हैं! इस तरह फर्जी मजदूरों का काम आसान हो जाता है, पैसे भी डिप्टी और नाकेदार को मिल जाते हैं! और असली मजदूर को न तो मजदूरी मिलती हे और न ही तय मजदूरी दर! क्या यह सिस्टम कभी बदलेगा तो उम्मीद न के बराबर! कमीशन खोरी का खेला नीचे से उपर तय होता है!