संजू नामदेव हरदा। थाना प्रभारी आरपी कवरेती ने छिपाबड़ थाने की कमान संभालते ही अपराधियों पर ऐसी नकेल कसी कि दो महीने में ही थाना क्षेत्र में अपराधियों के हौसले पस्त हो गए। अफीम, एमडी ड्रग्स, अवैध शराब, हत्या, पुरानी डकैती से लेकर सट्टा-जुआ जैसे संगठित अपराधों पर उन्होंने जिस तेजी और सख्ती से कार्रवाई की, वह पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। हालांकि, इतने प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद भी उन्हें 'लाइन अटैच' कर दिया गया है, जिससे आमजन के बीच नाराजगी और सवाल दोनों उठ रहे हैं।
कवरेती की कार्रवाई से अपराधियों में खौफ, आमजन में भरोसा : थाना प्रभारी आरपी कवरेती ने अपने बेहद अल्प करीब दो माह के कार्यकाल में जो काम किए, वे किसी लंबी योजना से कम नहीं थे। डकैती के मुख्य आरोपी को मुंबई से गिरफ्तार कर जेल भेजा, अंधे कत्ल का खुलासा कर आरोपी को पकड़कर सलाखों के पीछे पहुंचाया, एमडी ड्रग्स, अफीम और गांजा तस्करों पर लगातार कार्रवाई कर मादक पदार्थ बरामद किए, सट्टा और जुए के अड्डों पर छापेमारी कर पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया।
अवैध शराब की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाई, कई जगह जप्ती और गिरफ्तारी की कवरेती ने स्पष्ट कर दिया था कि छिपाबड़ थाना क्षेत्र में अब अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वरिष्ठ अधिकारियों के मौखिक आदेश पर फिर से मिली जिम्मेदारी, फिर हटाए गए। सूत्रों के अनुसार, कवरेती को पहले छिंदवाड़ा की एक पुरानी जांच के चलते जून माह में लाइन अटैच किया गया था। इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों के मौखिक निर्देश पर उन्हें छिपाबड़ थाना सौंपा गया। लेकिन जब उन्होंने अपराधों की रीढ़ तोड़ते हुए सख्त कार्रवाई शुरू की, और एक के बाद एक मामलों का पर्दाफाश किया तब
अपराधियों पर कहर, जनता को राहत, फिर भी लाइन अटैच
शहर के जानकारों का कहना है कि आरपी कवरेती ने जो सख्ती और प्रतिबद्धता दिखाई, उससे छिपाबड जैसे क्षेत्र में आमजन ने राहत की सांस ली थी। लगातार हो रहे खुलासों से लग रहा था कि अब पुलिसिंग का स्तर बदला है। लेकिन एक काबिल अधिकारी का बार-बार हटाया जाना तंत्र की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
फिर से उन्हें लाइन अटैच कर दिया गया।
जनता में नाराजगी और सवाल ऐसे अफसर को हटाना कितना उचित ? अब शहर और क्षेत्र में यह चर्चा तेज है कि, जो अफसर दो महीने में ही अपराध की जड़ें हिला दे, पुलिस की छवि निखारे और जनता का विश्वास लौटाए, उसे लाइन क्यों भेजा गया? लोग मानते हैं कि विभागीय कारण भले ही हों, लेकिन कवरेती जैसे जांबाज़ अफसरों का लगातार ट्रांसफर या लाइन अटैच किया जाना पुलिस की विश्वसनीयता और जनता के भरोसे दोनों पर असर डालता है।
वापसी की कर रहे मांग
थाना प्रभारी कवरेती की लाइन अटैच की सूचना मिलते ही नगर के लोगों ने नाराज के व्यक्ति की है नगर के लोगों का कहना है कि बिना किसी लेनदेन और अपराधियों पर लगातार नकल करने वाले थाना प्रभारी को लाइन अटैच कैसे किया गया जबकि नगर में दिन रात ग्रस्त कर अपराधियों की कमर तोड़ रहे थे बावजूद क्या कारण रहा की ऐसे निडर थाना प्रभारी कवरेती को लाइन अटैच करना पड़ा नगर की जनता का कहना है कि थाना छिपाबड की कमान श्री कावरेती को ही सौपी जाए जिससे नगर में शांति का माहौल बना रहे और अपराधियों के हौसले बुलंद ना हो।