लोकेशन
नौरोजाबाद// उमरिया
मदनलाल बर्मन की रिपोर्ट
झोपड़ी स्कूल: धूप सर्दी और वर्षा के बीच बच्चे कर रहे शिक्षा ग्रहण यह रहा भारत का भविष्य।
सरकारी मदद न मिलने से ग्रामीणों ने बनाया कच्चा स्कूल
देश की सरकारें विकास की चाहे कितने भी बड़े-बड़े दावे क्यों न कर ले इस प्रकार की तस्वीर एक अलग ही परिवेश बयां करती है आंकड़े भी विकास की गाथा पर मूहर तो लगा रहे हैं पर जमीन हकीकत विकास से परे कुछ और ही बाय करती है जहां उमरिया जिले के मानपुर जनपद स्थित ग्राम कसेरू के सरैया मोहल्ले में गांव के लोगों द्वारा निर्मित झोपड़ी में शासकीय प्राथमिक पाठशाला का संचालन हो रहा है
आपको बता दे कि यहां एक दो नहीं बल्कि गरीबों को तीन दर्जन से अधिक पहली से पांचवी तक के मासूम शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं वह दुर्भाग्य काहा जा सकता है कि 20वीं सदी में जब देश विकास की नई गाथा लिख रहा है जहां विश्व पटल में जब देश नए-नए कीर्तिमान हासिल कर स्वयं के विश्व गुरु की श्रेणी में खड़ा कर रहा है
साथ ही उस देश में शैक्षिक संस्थाओं का यह हाल, जिम्मेदारों के लिए बड़ा सवाल जहां यह बताया जाता है कि शासकीय भवन न होने की वजह से जिम्मेदार शिक्षक करीब 8 से 9 वर्षों से गांव के दयाराम सिंह के मकान में बच्चों को अध्यापन कार्य कराते रहे हैं
आपको बता दे की अभी हाल में गणतंत्र दिवस पर गांव के लोग मिलकर एक नवीन झोपड़ी का निर्माण कर विद्यालय का निर्माण किया है जहां जिसमें छात्र अध्यापन कार्य करना शुरू भी कर दिए हैं
हला की सवाल इस बात का है कि आठ से नौ वर्षों में मासूम छात्र दयाराम सिंह के कच्चे मकान में रहकर शीतकाल को झेल रहे थे इसके अलावा इसी कच्चे मकान अध्यापन कार्य कर रहे थे
जहां आखिर क्यों किसी सुध नहीं ली नाम न छापने की शर्त पर स्थानिय ग्रामीण ने व्यथित होकर बताएं कि प्राथमिक पाठशाला के लिए करीब 27 लाख स्वीकृत भी हुए हैं ऐसा हम में बताया गया था पर गरीबों की कौन शुध लेता है शिक्षा ग्रहण कार्य मासूम छात्र देश का भविष्य है
जहां इन मासूमों को शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं में शुरुआती दिनों में ही कमी शायद उनकी शिक्षक गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकती है जहां अगर ऐसा हुआ तो जी विकास की परिकल्पना को साकार करने में देश की सरकार जुटी है जो इस शायद मुश्किल होगा।