विदिशालोकेशन -गंजबासौदा संवाददाता संजीव शर्मा
स्लग - मानव शरीर सांस्कारिक कर्तव्यों को पूर्ण करते हुए ईश्वर को प्राप्त करने के लिए ही मिला है - वेदांती जी महाराज
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गंजबासौदा:- श्री राम कथा में जगतगुरु अनंतानंद द्वाराचार्य स्वामी डॉ राम कमल दास वेदांती जी महाराज जी ने श्री रामचरितमानस में वर्णित श्री राम विवाह का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। उन्होंने बताया कि देव दुर्लभ मानव शरीर सांसारिक कर्तव्यों को पूर्ण करते हुए ईश्वर को प्राप्त करने के लिए ही मिला है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को सांसारिक जिम्मेदारियों को पूर्ण करते हुए भी अपनी मूल लक्ष्य का त्याग नहीं करना चाहिए। श्री राम कथा में वर्णित लक्ष्मण परशुराम संवाद के माध्यम से बताया गया कि क्रोध में भरा हुआ व्यक्ति अपने सामने खड़े हुए भगवान को भी नहीं पहचान पाता। इसीलिए भगवान परशुराम जी भी अपने सामने खड़े हुए श्री राम को नहीं पहचान पाए और वे श्रीराम को भी अनुचित शब्दों में फटकारते हैं। और तब अपने बड़े भाई का असम्मान होते हुए देखकर श्री लक्ष्मण जी आगे आकर भगवान परशुराम जी को बताने का प्रयत्न करते हैं कि भगवान राम ने धनुष को तोड़ा नहीं है।उनके स्पर्श करते ही धनुष खुद ही टूट गया। किंतु परशुरामजी को लगा जिस धनुष को हजारों राजा मिलकर हिला तक ना सके वह धनुष श्री राम के स्पर्श करते ही टूट कैसे गया और अंत में भगवान परशुराम ने अपने धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए भगवान राम को अपना धनुष दे दिया किंतु वे उस समय आश्चर्य में पड़ गए जिस समय उनके हाथ में जाते ही धनुष की प्रत्यंचा खुद ही चढ़ गई। अंत में वे श्री राम को भगवान का अवतार जानकर उन्हें नमन करके तपस्या करने चले गए।
हमारे जीवन में लक्ष्मण जैसे एक सद्गुरु की आवश्यकता है जो हमें सांसारिकता से निकाल कर भगवान से मिला दे।
कथा के अंत में राजा जनक के निमंत्रण पर अयोध्या नरेश राजा दशरथ सज धज कर पूरी बारात के साथ जनकपुर पधारे। कथा स्थल में बने हुए विवाह मंडप को अद्भुत सजाया गया, तथा कथा के साथ-साथ झांकियो के माध्यम से भी आश्रम के संस्कृत छात्रों ने राम विवाह का दृश्य साकार कर दिया। इस विशेष अवसर पर विधायक श्री हरि सिंह रघुवंशी समेत कथा व यज्ञ के समस्त यजमान गणों को पगड़ी बांधी गई।
विधायक श्री हरि सिंह रघुवंशी जी ने कथा व्यास स्वामी श्री वेदांती जी का माल्यार्पण कर स्वागत किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वामी श्री वेदांती जी ने हमारे क्षेत्र में एक संस्कृत विद्यालय की स्थापना कर के हमारे क्षेत्र के लिए एक बहुत बड़ी सौगात दी है वेदांत आश्रम में पढ़ रहे संस्कृत छात्रों के द्वारा हमारी वैदिक सनातन संस्कृति का उत्थान होगा, तथा जन जन में संस्कृत भाषा के प्रति महत्वपूर्ण दृष्टि पैदा होगी। उन्होंने कहा कि मैं यथा संभव आश्रम की मदद करता रहूंगा। शतचंडी महायज्ञ की पूर्णाहुति के बाद यज्ञस्थली के पास विराजमान नव देवियों की नव प्रतिमाओं की आरती उतारी गई।
विदित हो कि सोलह जनवरी दिन मंगलवार वेदांत आश्रम से प्रातः दस बजे देवियों की विसर्जन यात्रा प्रातः दस बजे से जय स्तंभ चौक, सावरकर चौक, व सिरोंज चौराहा होते हुए बेतवा नदी में पहुंचेगी।
आश्रम के महंत श्री हरिहर दास जी ने, कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु उपस्थित सभी संतो को बधाई तथा श्रद्धालुओं को धन्यवाद दिया। और कहा कि वें वेदांत आश्रम में होने वाले सभी अनुष्ठानों में इसी प्रकार श्रद्धा उत्साह पूर्वक भाग लेते रहे।