आचार्य श्री ने घर घर व्रती तपस्वी विद्वान बनाये यह इस युग का सबसे बड़ा चमत्कार है- मुनि सागर महाराज
आष्टा-
रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर एमपी
उक्त उदगार नगर के दिव्योदय जैन तीर्थ किला मंदिर में दशलक्षण पर्व के अंतर्गत उत्तम त्याग धर्म के दिन धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य पूज्य मुनि श्री भूतबलि सागर जी महाराज संघस्थ मुनि सागर महाराज ने व्यक्त किये उन्होंने कहा कि आप सभी अपनी परम् पवित्र आत्मा को पावन बनाने के लिए इन पर्वो में साधना के माध्यम से धर्म ध्यान कर रहे है त्याग धर्म को नही अपनाएंगे तो हम शून्य हो जायेगे मार्ग पर त्याग से ही जीवन चलता है हमारी मूर्छा अशुभ साधनों में है तो उसे रोकने का प्रयत्न करना चाहिए आय है तो व्यय भी जरूरी है उसी तरह भोग है तो त्याग भी जरूरी है जितना त्याग करेंगे उतना हल्का होकर ऊपर उठेंगे त्याग भावना
भोगो को ज्यादा महत्व दे या त्याग भाव को यह हमारी होनहार पर निर्भर करता है त्याग अनिवार्य है जिसे हमने पकड़ा है उसे छोड़ना अनिवार्य है जब तक त्याग भावना नही तब तक केवल्य की प्राप्ति नही हो सकती मन मे आकुलित नही रहना उपाध्याय का काम पड़ना ओर पढाना होता है यह पद इतना हल्का भी होता है कच्चे धागे के समान पद का पालन करना होता है आचार्य श्री का प्रकाश भानु की भांति बढ़ता ही चला गया बिना त्याग के केवलयज्ञान तो क्या समाधि भी नही होती समाधि तभी होती जब आधी व्याधि उपाधि का त्याग होगा पद भावो से छोड़ना होता है ऐसे उत्कृष्ट पद पर रहते हुए भी निर्विकल्प होकर पद का मद न होना बहुत बड़ी साधना है ।
आप लोग त्याग भाव रखो मंदिर की चढ़ाई हुआ सामग्री ही नही अपने द्वारा कमाए गए धन का भी अगर हमने दान आदि में त्याग नही किया तो वह भी निर्माल्य के श्रेणी में आता है उसका आपको भारी दोष लगेगा।
उमर ढलते ढलते हमारी त्याग भावना बलवती होना चाहिए घर पर रहे पर कमल वत रहो सात पीढ़ी का इकट्ठा कर के रख कर जाना जीवन का कोई सार नही है अरे ऐसा कार्य कर के जाओ हसी खुशी घर वाले विदा करें
आप लोगो का पुण्य बहुत जोरदार है की पेट का बच्चा भी प्रवचन सुन रहा है जिनवाणी को सुन रहा है पहले सालो साल तक सन्तो के दर्शन नही हुआ करते थे पर आचार्य श्री ने घर घर पंडित विद्वान तपश्वि व्रती बना दिये यह इस युग का सबसे बड़ा चमत्कार है आचार्य श्री की वाणी को सुनलो बहुत कुछ देकर गए है हमे,