*"पी जी कॉलेज के अस्तित्व को बरकरार रखते हुए गुना जिले में पर्याप्त सुविधाओं के साथ नए कैंपस में सभी मानकों के आधार पर खोला जाए विश्वविद्यालय.......एआईडीएसओ"*
गुना जिले से गोलू सेन की रिपोर्ट
आज स्थानीय पीजी कॉलेज गुना में छात्र संगठन AIDSO के बैनर तले एक विशाल छात्र प्रदर्शन किया गया। छात्र प्रदर्शन की मूल मांग थी कि यूनिवर्सिटी खानापूर्ति के लिए ना बनाकर संपूर्ण मानकों को पूरा करते हुए नए कैंपस में स्थापित की जाए। साथ ही पीजी कॉलेज के अस्तित्व को बरकरार रखते हुए उसे और विकसित और समृद्ध किया जाए।
इस प्रदर्शन की शुरुआत छात्रों द्वारा *शिक्षा के हक की ये लड़ाई आज हमको लड़ने दो सरकार हमको पढ़ने दो*...गीत से की । एआईडीएसओ गुना जिला सचिव राधेश्याम चंदेल ने प्रदर्शन में उपस्थित शिक्षक, छात्रों अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि " बहुत लंबे समय से गुना जिले में छात्र, शिक्षक, अभिभावक एक विश्वविद्यालय खोले जाने की मांग को उठा रहे थे। और यह आंदोलन का ही प्रभाव है कि सरकार को यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा करनी पड़ी। लेकिन सरकार का यह सिर्फ चुनावी निर्णय समझ में आ रहा है। सरकार ने विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा तो की लेकिन गुना महाविद्यालय को ही विश्वविद्यालय में संविलियन करने की घोषणा भी की अर्थात महाविद्यालय का अस्तित्व अब पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। एक विश्वविद्यालय जिसका मकसद छात्रों को विश्व ज्ञान से लैस करना होता है । उसका सही आधारभूत ढांचा तैयार करते हुए सरकार इसकी स्थापना करें। लेकिन हम देख रहे हैं कि कल तक हमारे सामने यहां पीजी कॉलेज गुना का बोर्ड लगा हुआ था आज इस बोर्ड पर मुख्यमंत्री जी के आदेश अनुसार डेढ़ सौ रुपए का बैनर लगा दिया गया है जिस पर लिखा है क्रांतिवीर तात्या टोपे विश्वविद्यालय! कितनी हास्यास्पद बात है कि एक दिन पहले तक जो कॉलेज हुआ करता था आज उसका यूनिवर्सिटी में रूपांतरण एक बैनर लगाकर सरकार ने कर दिया और इसका पूरे प्रदेश भर में प्रचार कर रही है। यह शर्म की बात है।सरकार इस हद तक जा रही है कि छात्रों से उनका पढ़ने का एकमात्र आसरा जिले का यह लीड कॉलेज ही है उसे भी छीन लिया जाएगा। साफ तौर पर जाहिर है कि सरकार की मंशा क्या है? कोई भी व्यक्ति थोड़ा सा विवेक का इस्तेमाल करके यह समझ सकता है कि सरकार का यह स्टंट चुनाव को ध्यान में रखते हुए है वे जानते हैं कि जनता को बताने के लिए हमारे पास कुछ नहीं है जनता को क्या काम गिनवाएंगे? इसीलिए आनन-फानन में किसी का नाम बदल दो, किसी को प्राइवेट कंपनी को सौंप दो और इसी का चुनावी फायदा ले लो! हम जानते हैं कि प्रदेश की इसी सरकार ने जहां एक तरफ महाविद्यालय को विश्वविद्यालय में संविलियन करने का निर्णय लिया है वहीं जनता के संघर्ष को नजरंदाज कर मध्य प्रदेश के कई जिला अस्पतालों को पीपीपी मॉडल पर चलाने का निर्णय भी लिया है। सीधे तौर पर यह जनता की गाड़ी कमाई से बने उपक्रमों को धन्ना सेठों को सौंपने का निर्णय है।
उन्होंने आगे कहा कि "हम सभी लोग जानते हैं कि हमारा गुना पीजी कॉलेज वर्तमान समय में कई सारी अनियमित्ताओं से गुजर रहा है। यहां पर शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक स्टाफ की भारी कमी है जितनी छात्र संख्या इस कॉलेज में अभी दर्ज है उनको एक साथ बिठाकर परीक्षा लेने तक की व्यवस्था कॉलेज के पास नहीं है। जगह की अपर्यप्ता और स्टाफ की कमी के कारण वर्तमान समय में परीक्षायें भी टेंट लगवा कर प लेनी पड़ती है । ऐसे मे महाविद्यालय में व्याप्त व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की बजाय महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बनाने का निर्णय लिया है। ऐसे में मूल सवाल है कि जो महाविद्यालय अपने स्तर पर खुद से संचालित होने में असमर्थ है वह कैसे विश्वविद्यालय में आने वाले 40 अन्य महाविद्यालयों का संचालन कर पाएगा ? वर्तमान में इस महाविद्यालय के अधीन 22000 छात्रों के भविष्य का क्या होगा और अगले सत्र से आने वाले छात्रों का भविष्य क्या होगा? वह कहां प्रवेश लेगा?
यह सारे नियम शिक्षा के निजीकरण और व्यापरीकरण को बढ़ावा देने के निर्णय है । हम इनका पुरजोर विरोध करते हैं।
हम जिले भर के तमाम शिक्षकों, छात्रों अभिभावकों तथा शिक्षा प्रेमी आम जनता से अपील करते हैं कि इस आंदोलन को मजबूत करने के लिए इसका हिस्सा बने।"
आज के प्रदर्शन को छात्र संगठन एआईडीएसओ के कॉलेज इकाई के कार्यालय सचिव प्रीति श्रीवास्तव तथा कॉलेज उपाध्यक्ष अमरीक सिंह संधू ने भी संबोधित किया।
साथ ही साथ इस प्रदर्शन का हिस्सा रहे पूर्व छात्रों की संस्था एलुमिनी एसोशिएशन के गुना जिला सचिव एडवोकेट पुष्पराग ने भी प्रदर्शन में मौजूद छात्रों को संबोधित करते हुए गुना पीजी कॉलेज के इतिहास पर रोशनी डाली। कहा कि "ये कॉलेज संघर्ष की उपज है हम इसे बरबाद होने नही देंगे।"
प्रदर्शन में सैकड़ो छात्र-छात्राएं , शिक्षक, अभिभावक मौजूद रहे।